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    एक मैथ टीचर कैसे बन गया भारतीय टीम का कोच, द्रविड़ के बाद अब गंभीर युग में भी झंडे गाड़ने को तैयार

    टी20 वर्ल्ड कप 2024 के फाइनल में भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका को हराने के साथ ही आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्‍म किया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही राहुल द्रविड़ का बतौर हेड कोच कार्यकाल भी समाप्‍त हुआ। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अब यह जिम्‍मेदारी पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को सौंपी। गंभीर के सपोर्ट स्‍टाफ को लेकर कुछ नामों की चर्चा हो रही है।

    By Rajat Gupta Edited By: Rajat Gupta Updated: Sat, 20 Jul 2024 07:30 PM (IST)
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    जल्‍द होगा सपोर्ट स्‍टाफ के नाम का एलान। इमेज- सोशल मीडिया

     स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। टी20 वर्ल्ड कप 2024 के फाइनल में भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका को हराने के साथ ही आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्‍म किया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही राहुल द्रविड़ का बतौर हेड कोच कार्यकाल भी समाप्‍त हुआ। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अब यह जिम्‍मेदारी पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को सौंपी। 27 जुलाई से शुरू होना वाला श्रीलंका दौरा गंभीर का पहला असाइनमेंट होगा।

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    इस बीच गंभीर के सपोर्ट स्‍टाफ को लेकर कुछ नामों की चर्चा हो रही है। इनमें अभिषेक नायर, टी दिलीप, मोर्ने मोर्कल और नीदरलैंड्स के पूर्व क्रिकेटर रयान टेन डोशेट शामिल हैं। टी दिलीप राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में भारतीय टीम के फील्डिंग कोच थे। हालांकि, कम लोगों को ही पता होगा कि टी दिलीप ने भारतीय टीम की ओर से एक भी मैच नहीं खेला है। कोचिंग में हाथ आजमाने से पहले वह बच्‍चों को गणित पढ़ाते थे।

    टीम इंडिया की फिल्डिंग में काफी सुधार हुआ

    टी दिलीप के रहते टीम इंडिया की फिल्डिंग में काफी सुधार हुआ है। भारतीय टीम फील्डिंग में सुपरमैन बन गई है। हालांकि, यह सब एक या दो दिन में नहीं हुआ। इसके पीछे मैथ टीचर रहे दिलीप ने काफी मेहनत की है। टी दिलीप ने राज्य क्रिकेट अकादमी के जूनियर आयु ग्रुप कार्यक्रम में कोचिंग दी।

    वह इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी डेक्कन चार्जर्स में असिस्‍टेंट फील्डिंग कोच रहे। इस दौरान उन्‍हें बेसबॉल कोच माइक यंग के साथ काम करने का मौका मिला। यहां से उनका करियर ग्राफ ऊपर उठा। इसके अलावा राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में भी वह एक दशक बिता चुके हैं।

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    एनसीए में एक कोचिंग कार्यक्रम में हिस्‍सा लिया

    टी दिलीप को बचपन से ही क्रिकेट से लगाव था, लेकिन उनके परिवार ने कभी भी उन्‍हें सपोर्ट नहीं किया। वह स्‍कूली बच्‍चों को मैथ पढ़ाते थे और कोचिंग करने के लिए पैसा जुटाते थे। खेलने का कोई अनुभव नहीं होने के कारण दिलीप ने एनसीए में एक कोचिंग कार्यक्रम में हिस्‍सा लिया, इस दौरान उन्‍हें भारत के पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर के साथ काम करने का मौका मिला।

    बाद में वह एनसीए के रेगुलर फेस बन गए। ऑफ सीजन के दौरान दिलीप एनसीए जोनल और वार्षिक शिविरों में नियमित उपस्थिति रखते थे, इस दौरान उन्होंने द्रविड़ का ध्यान आकर्षित किया। उन्‍होंने टीम में बेस्‍ट फील्‍डर मेडल देने की परंपरा शुरू की है। इससे प्‍लेयर्स का उत्‍साह काफी बढ़ता है।

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