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    On This Day: वर्ल्‍ड कप इतिहास की सबसे करीबी हार, भारत के दूसरी बार चैंपियन बनने का सपना हुआ था चकनाचूर; मिचेल स्‍टार्क के कोच रहे हीरो

    Updated: Wed, 09 Oct 2024 06:06 AM (IST)

    भारत ने साल 1983 में पहली बार वर्ल्ड कप जीता था। अगले वर्ल्ड कप में वह खिताब की दावेदार थी और सेमीफाइनल तक पहुंची थी लेकिन इस मुकाबले में मिचेल स्टार्क के कोच ने भारत के खिताब बचाने के सपने को तोड़ दिया। इस शख्स ने जीत की तरफ जाती दिख रही टीम इंडिाय को एक रन से हारने पर विवश कर दिया था।

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    क्रैग मैक्डरमोट ने छीनी थी भारत से जीत

     स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीता था। टीम इंडिया चार साल बाद अपने घर में इस खिताब को बचाने उतरी थी और बचा भी लेती, लेकिन उसकी खिताबी जीत के बीच में आ गया मिचेल स्टार्क की स्विंग को निखारने वाला शख्स। बात साल 1987 की है जब भारत पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का आयोजन कर रहा था। टीम इंडिया खिताब की दावेदाऱ थी लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गई।

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    चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया का सेमीफाइनल आज ही के दिन यानी नौ अक्तूबर को खेला गया था। भारत को इस मैच में सिर्फ एक रन से हार का सामना करना पड़ा था और भारत की हार का कारण बने थे क्रेग मैक्डरमोट। ये वर्ल्ड कप में सबसे करीबी हार थी।

    पलट दी बाजी

    ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए छह विकेट खोकर 270 रन बनाए थे। उसके लिए ज्याफ मार्श ने 110 रनों की पारी खेली थी। भारतीय टीम ने दमदार शुरुआत की थी। क्रिस श्रीकांत और नवजोत सिंह सिद्धू ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के लिए आफत पैद कर दी थी। श्रीकांत ने 83 गेंदों पर 70 और सिद्धू ने 79 गेंदों पर 73 रन बनाए थे। जब तक ये दोनों थे तब तक सब कुछ ठीक था, लेकिन इसके बाद क्रेग मैक्डरमोट ने अपनी गेंदों से पूरी बाजी पलट दी। उन्होंने टीम इंडिया के मध्य क्रम को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।

    उन्होंने सिद्धू, दिलीप वेंगसरकर (29), मोहम्मद अजहरुद्दीन (10) और रवि शास्त्री (16) को आउट कर भारत की कमर तोड़ दी। भारत ने काफी कोशिश की लेकिन पूरी टीम 49.5 ओवरों में 269 रनों पर ढेर होकर मैच हार गई और इसी के साथ उसका वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना टूट गया।

    बने कोच

    मैक्डरमोट संन्यास लेने के बाद बिजनेस में कूद गए लेकिन उनका बिजनेस फेल हो गया। 2009 में उन्होंने बतौर कोच क्रिकेट में वापसी की और ऑस्ट्रेलिया के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में गेंदबाजी कोच बने। यहां उन्होंने जेम्स पैटिंसन, मिचेल स्टार्क जैसे गेंदबाजों को कोच किया। वह कुछ दिन बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम के गेंदबाजी कोच भी बने। साल 2012 में उन्होंने इस पद को भी छोड़ दिया।