13 साल की उम्र में छोड़ा घर, रात में सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर भूपेंद्र कर रहा क्रिकेटर बनने का सपना पूरा
कानपुर के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र ने महज 13 वर्ष की उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना लेकर अपना घर छोड़ दिया था। शुरुआती संघर्षों से भरे इस सफर में भूपेंद्र ने भूख बेबसी और आर्थिक तंगी का सामना करते हुए दिल्ली की गलियों में खुद को साबित किया।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली जागरण। अगर हौसले बुलंद हों और इरादे मजबूत, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता। कुछ ऐसा ही कर दिखा रहे है 17 वर्षीय तेज गेंदबाज भूपेंद्र कुमार, आज ये खिलाड़ी दिल्ली के क्रिकेट मैदानों पर अपनी तेज रफ्तार गेंदबाजी से बड़े-बड़े बल्लेबाजों के छक्के छुड़ा रहे हैं।
कानपुर के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र ने महज 13 वर्ष की उम्र में क्रिकेटर बनने का सपना लेकर अपना घर छोड़ दिया था। शुरुआती संघर्षों से भरे इस सफर में भूपेंद्र ने भूख, बेबसी और आर्थिक तंगी का सामना करते हुए दिल्ली की गलियों में खुद को साबित किया।
मां ने बेचा गाय का बछड़ा
दिल्ली आने की कहानी खुद भूपेंद्र की जुबानी बेहद मार्मिक है। उन्होंने बताया कि घर से निकलते वक्त मां ने गाय का बछड़ा बेचकर उन्हें एक साधारण कीपैड वाला फोन और मात्र 300 रुपये थमाए। पिता की अनुमति नहीं थी, लेकिन मां ने बेटे के सपनों को समझते हुए उसे दिल्ली भेजा।
CISF अधिकारी ने दिए 50 रुपये
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दो दिन तक भूखे-प्यासे भूपेंद्र ने गुजारे। जेब में एक रुपये भी नहीं थे। तब एक सीआईएसएफ अधिकारी ने उन पर दया दिखाते हुए 50 रुपये दिए। इसी पैसे से भूपेंद्र दिल्ली के उत्तम नगर पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात कोच देवदत्त और अशोक सर से हुई।
कोच अशोक कुमार व देवदत्त ने भूपेंद्र की आंखों में जुनून और हाथों में हुनर देखा। बिना किसी शुल्क के उन्होंने भूपेंद्र को अपनी क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण देना शुरू किया। शुरू में भूपेंद्र को अपना पेट पालने के लिए एक रेस्टोरेंट में बर्तन धोने पड़े। बाद में कोच देवदत्त की मदद से उन्हें गार्ड की नौकरी मिल गई, जिससे कुछ आर्थिक सहारा मिला।
आज भूपेंद्र द्वारका की एक निजी क्रिकेट अकादमी से जुड़े हैं और दिल्ली के कई टूर्नामेंटों में अपना जलवा दिखा चुके हैं। वह दिल्ली नगर निगम पार्षद के बेटे के साथ उसी अकादमी में अभ्यास करते हैं।
किराए के घर में रहता है परिवार
भूपेंद्र के परिवार की आर्थिक स्थिति अभी भी बेहतर नहीं है। मां गांव में घर-घर जाकर बर्तन साफ करने का काम करती हैं। पिता खेतों में मजदूरी करते हैं और गेहूं काटने जैसे श्रम कार्यों में लगे रहते हैं। उनका परिवार किराए के मकान में रहकर अपना जीवन यापन करता है। भूपेंद्र भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को अपना आदर्श मानते हैं।
बुमराह को मानते हैं आदर्श
उन्होंने बताया, मैंने बुमराह को देखकर ही गेंदबाजी सीखी है। उन्हीं की तरह सटीक यार्कर डालने की कोशिश करता हूं। मैं दिल्ली सिर्फ एक सपना लेकर आया था तेज गेंदबाज बनने का। मुझे सिर्फ क्रिकेट खेलना था और भगवान पर भरोसा था कि रास्ता खुद बनता जाएगा। जस्सी भईया (बुमराह) से मुझे प्रेरणा मिली। अब मेरा सपना है कि एक दिन भारतीय टीम के लिए खेलूं और अपने माता-पिता व देश का नाम रोशन करूं।
आत्मविश्वास और जज्बे से पिघला कोच का दिल
भूपेंद्र के कोच देवदत्त बताते हैं जब ये हमारे पास आया, तब इसके पास पहनने के लिए ढंग के कपड़े तक नहीं थे। मगर इसके आत्मविश्वास और जज़्बे ने हमें इसे मुफ़्त ट्रेनिंग देने के लिए प्रेरित किया। आज ये खिलाड़ी 76 विकेट झटक चुका है और कुल 50 मैच खेल चुका है। इसकी उम्र भले ही 17 वर्ष है, लेकिन हम इसे बड़े खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करवा रहे हैं ताकि वह उच्च स्तर की चुनौतियों के लिए तैयार हो सके।
दिल्ली कैपिटल्स ने बनाया नेट गेंदबाज
भूपेंद्र की प्रतिभा अब सिर्फ स्थानीय कोच ही नहीं, बल्कि देश के शीर्ष स्तर के क्रिकेट दिग्गज भी पहचानने लगे हैं। दिल्ली कैपिटल्स के मुख्य कोच हेमंग बदानी ने भूपेंद्र की तेज गेंदबाजी देखकर उसे आईपीएल के दौरान अपनी टीम का नेट बॉलर नियुक्त किया। भूपेंद्र दिल्ली में होने वाले आईपीएल मैचों के दौरान केएल राहुल, करुण नायर और फाफ डू प्लेसिस जैसे नामचीन बल्लेबाजों को गेंदबाजी करते नजर आए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।