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    Cricket Tale: 'क्रिकेट का जादूगर', जिसने बल्लेबाजों को अपनी गेंदों पर नचाया; भारत के खिलाफ विकेटों को तरसा

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 07:53 PM (IST)

    वॉर्न ने लेग स्पिन को कूल और स्टाइलिश अंदाज में बदल दिया। वॉर्न की गेंदबाजी का रनअप रहा हो, गेंद डालने का उनका अंदाज हो या फिर विकेट के लिए अपील करने ...और पढ़ें

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    भारत के खिलाफ फेल रहे शेन वॉर्न।

    उमेश कुमार, नई दिल्ली। आपने कई मशहूर जादूगरों के नाम और उनके कारनामें सुने और देखे होंगे, लेकिन क्रिकेट में भी एक ऐसा जादूगर था, जिसने अपनी धुन पर बल्लेबाजों को न सिर्फ नचाया। बल्कि जब भी मैदान पर उतरा मैच बल्लेबाजों की आंखों में आंखें डालकर उन्हें आउट किया। हालांकि, जब भी भारत में खेला वह उतना अपना जादू नहीं बिखेर सका।

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    हम किसी और की नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज लेग स्पिनर शेन वॉर्न (Shane Warne) की बात कर रहे हैं। शेन वॉर्न, क्रिकेट की दुनिया के ऐसे जीनियस रहे जिन्होंने अपनी घूमती गेंदों से बल्लेबाजों को चौंकाया। क्रिकेट के खेल को जानने वाले जानते होंगे कि लेग स्पिन करना इतना आसान नहीं होता और उस स्पिन को शेन वॉर्न ने इस अंदाज में साधा कि उनके आसपास कहीं कोई और नहीं दिखता है।

    वॉर्न ने लेग स्पिन को कूल और स्टाइलिश अंदाज में बदल दिया। वॉर्न की गेंदबाजी का रनअप रहा हो, गेंद डालने का उनका अंदाज हो या फिर विकेट के लिए अपील करने की शैली रही हो या फिर जश्न मनाने का अंदाज, इन सबके दुनिया भर में दीवाने मौजूद हैं। सीधे शब्दों में कहें तो उन्होंने लेग स्पिन गेंदबाजी को फिर से आकर्षक बना दिया। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शेन वॉर्न ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुल 1001 विकेट (टेस्ट-708, वनडे- 293) चटकाए हैं। 

    यह सच है कि उनकी प्रसिद्धि का कुछ हिस्सा उनके निजी जीवन के कारनामों से भी जुड़ा है, लेकिन सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शेन वार्न जिस तरह से क्रिकेट गेंद को स्पिन कराते थे- चाहे वह एशेज सीरीज हो या वर्ल्ड कप- उसी वजह से वह सुपरस्टार बने। एक ऐसे दौर में जब स्पिन गेंदबाजी का महत्व कम हो रहा था, वार्न ने किसी भी अन्य गेंदबाज से कहीं अधिक इस कला को फिर से जिंदा कर दिया।

    Warne Test

    बडे़ मैचों के हीरो

    शेन वॉर्न की पहचान ऐसे गेंदबाज की रही जो बड़े मैचों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना बखूबी जानते थे। 1999 के वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले को लीजिए, साउथ अफ्रीकी टीम 214 रनों का पीछा करते हुए मजबूत स्थिति में थी और उसकी जीत तय मानी जा रही थी। तब वॉर्न ने एक के बाद एक तीन विकेट झटकर मैच की बाजी पलट दी थी और ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में पहुंचाया।

    इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली एशेज सीरीज में उनका दबदबा था। लगातार 14 सालों तक वॉर्न इंग्लैंड के बल्लेबाजों की नींद उड़ाते रहे। इंग्लैंड के खिलाफ 195 टेस्ट विकेट, किसी भी गेंदबाज का एक देश के खिलाफ सबसे ज्यादा विकेटों का रिकॉर्ड है। इसके अलावा उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी 130 विकेट चटकाए थे। वॉर्न के मैजिकल टच की दो बड़ी मिसाल उनके करियर के शुरुआती सालों में ही दुनिया को हो गई थी। हालांकि, टेस्ट मैचों में उनका डेब्यू इसके विपरीत रहा था।

    1991-92 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर पहुंची थी। 2 जनवरी, 1992 को सिडनी टेस्ट में उन्हें डेब्यू करने का मौका मिला। ये टेस्ट शेन वॉर्न के लिए किसी बुरे सपने जैसा साबित हुआ। रवि शास्त्री ने उनकी गेंदों को स्टेडियम के चारों तरफ बाउंड्री के पार भेजा। शास्त्री ने उस मुकाबले में दोहरा शतक ठोका था, जबकि 18 साल के सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 148 रनों की पारी खेली। इन दोनों के सामने शेन वॉर्न बेबस नजर आए।

    आखिर में उन्हें अपनी पहली विकेट मिली। शेन वॉर्न ने 150 रन खर्च करने के बाद रवि शास्त्री को 206 रनों पर आउट करने में कामयाबी हासिल की। जिस तरह से उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की, उसे देखकर शायद ही किसी ने इतने उज्ज्वल भविष्य की कल्पना की होगी। हालांकि, श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने अपने स्पिन की एक झलक दिखाई। इसके बाद घरेलू मैदान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ वॉर्न छा गए। इस सीरीज में उन्होंने अपना पहला प्लेयर ऑफ मैच का अवॉर्ड भी जीता।

    'बॉल ऑफ द सेंचुरी'

    साल 1993 से लेकर अगले पांच सालों तक उन्होंने लगभग हर सीरीज में अहम भूमिका निभाई। 1993 की एशेज सीरीज में माइक गैटिंग को फेंकी गई उस गेंद से ही उनकी प्रसिद्धि की शुरुआत हुई और हर ओवर के साथ यह प्रसिद्धि बढ़ती गई। माइक गैटिंग के सामने शेन वॉर्न ने एक फ्लाइटेड गेंद डाली थी, जो शुरू में लगा कि सीधे जा रही है लेकिन गेंद ने हवा में ही दिशा बदली और गैटिंग के लेग स्टंप के पास टप्पा खाई, जिसे खेलने में गैटिंग चूक गए और गेंद वहां से टर्न होते हुए उनका ऑफ स्टंप ले उड़ी। गेंद ने लगभग 45 डिग्री तक मुड़ गई। इसे 'बॉल ऑफ सेंचुरी' कहा गया।

    वार्न का 2005 का साल किसी भी गेंदबाज द्वारा किया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। उन्होंने 15 मैचों में 22.02 के औसत से 96 विकेट लिए। किसी भी अन्य गेंदबाज ने एक कैलेंडर वर्ष में 90 से अधिक विकेट नहीं लिए हैं। इंग्लैंड में खेले गए 2005 के एशेज में वार्न ने 40 विकेट लिए थे, जो किसी एक सीरीज में 40 या उससे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों के मात्र आठ उदाहरणों में से एक है।

    भारत के खिलाफ नहीं चला जादू

    शेन वॉर्न लगभग 15 साल तक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के आधार स्तंभ बने रहे। इस दौरान ग्लेन मैक्ग्रा के साथ उनकी जोड़ी ने दुनिया भर के बल्लेबाजों को छकाना जारी रखा। दोनों ने मिलकर टेस्ट क्रिकेट में 1281 विकेट झटके। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया का वर्ल्ड क्रिकेट में दबदबा भी देखने को मिला। वैसे वॉर्न के पूरे करियर में एक मलाल ये जरूर हो सकता है कि भारतीय बल्लेबाजों के सामने उनका जलवा कभी नहीं चल पाया। क्योंकि, भारतीय बल्लेबाज स्पिन को बहुत अच्छे से खेल लेते हैं।

    पहले टेस्ट में सचिन तेंदुलकर और शास्त्री ने जो उनकी धुलाई की, वो आगे भी जारी रही। इसमें शारजाह की दो पारियों में सचिन तेंदुलकर का वो तूफानी अंदाज भी शामिल रहा, जिसके बाद वॉर्न ने कहा था कि सचिन तेंदुलकर उन्हें सपने में भी डरा रहे हैं। भारत के खिलाफ बहुत कामयाब नहीं होने के बाद भी शेन वॉर्न भारत में खासे लोकप्रिय रहे।

    Warne Against India

    वार्न ने अपने 15 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में लगभग सभी उपलब्धियां हासिल कीं, लेकिन एक उपलब्धि जो उनसे अछूती रही, वह थी टेस्ट शतक। वे हमेशा से एक उपयोगी बल्लेबाज रहे, लेकिन शतक के सबसे करीब वे 2001 में पर्थ में न्यूजीलैंड के खिलाफ पहुंचे थे। जब डेनियल विटोरी ने उन्हें 99 रन पर आउट कर दिया था। शायद यही बात उनकी महानता को और बढ़ाती है।

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