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    कौन हैं Col CK Nayudu? जिनके नाम पर BCCI देता है लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, जानें पूरी डिटेल्स

    Updated: Wed, 24 Jan 2024 06:10 PM (IST)

    Col CK Nayudu Lifetime Achievement Awards रवि शास्त्री को 1983 वर्ल्ड कप विजेता और भारतीय टीम के मुख्य कोच रह चुके हैं। रवि शास्त्री की ही कोचिंग में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो ऐतिहासिक सीरीज जीती थी। वहीं महान फारुख इंजीनियर ने भारत के लिए 46 टेस्ट खेले हैं जिसमें उन्होंने 2611 रन बनाए और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 13000 से अधिक रन बनाए।

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    Col CK Nayudu भारत के पहले टेस्ट कप्तान।

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। Col CK Nayudu Lifetime Achievement Awards: बीसीसीआई ने सोमवार को भारतीय क्रिकेट में विशेष योगदान देने वाले क्रिकेटरों को सम्मानित किया। पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री और फारुख इंजीनियर को कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान भारतीय क्रिकेट में सर्वोच्च पुरस्कार है। अब सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं सीके नायडू, जिनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है।

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    रवि शास्त्री को 1983 वर्ल्ड कप विजेता और भारतीय टीम के मुख्य कोच रह चुके हैं। रवि शास्त्री की ही कोचिंग में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो ऐतिहासिक सीरीज जीती थी। वहीं, महान फारुख इंजीनियर ने भारत के लिए 46 टेस्ट खेले हैं, जिसमें उन्होंने 2611 रन बनाए और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 13000 से अधिक रन बनाए। इन दोनों को ही कर्नल सीके नायडू के नाम पर दिए जाने वाला सम्मान दिया गया।

    कौन हैं कर्नल सीके नायडू

    सीके नायडू का जन्म 31 अक्टूबर 1895 को वकील के परिवार में हुआ था। उन्होंने 1916 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था, जो 1963 तक 47 वर्षों तक वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहा। उन्हें भारत के पहले वकील होने का विशेष गौरव प्राप्त है। 1932 में इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया। नायडू को उनकी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है। उनके बल्ले से निकले सिक्स से दर्शक कूब रोमांचित होते थे।

    कुछ खास बातें

    • प्रथम श्रेणी क्रिकेट में नायडू का पहला स्कोरिंग शॉट भी छक्का था।
    • 1926/27 में बॉम्बे जिमखाना में मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब में सिर्फ 66 मिनट में शतक ठोक दिया और 116 मिनट में 153 रन बना डाले।
    • एमसीसी की ओर से उन्हें चांदी का बल्ला भेंट किया गया था।
    • इस पारी ने भारत को टेस्ट राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाई थी।

    उनकी पारी पर अंग्रेजी पत्रकार साइमन बार्न्स ने विजडन इंडिया अलमनैक 2016 के लिए लिखा, "यह एक ऐसी पारी थी, जिसने खेल के इतिहास को बदल दिया और शायद वास्तविक इतिहास को भी प्रभावित किया। यहां एक ऐसी पारी थी जो आक्रामक बल्लेबाजी का प्रतीक बन गई थी।"

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    आक्रामक बल्लेबाजी के बने प्रतीक

    • 1920 में चेपॉक स्टेडियम में जड़ा था 140 मीटर का सिक्स
    • दिसंबर में खेले गए मैच में यूरोपियन्स के खिलाफ बनाए थे 120 रन
    • चार टेस्ट मैच में भारत का किया नेतृत्व
    • 1936 में अपने आखिरी टेस्ट मैच में नायडू ने 81 रन की पारी खेली थी
    • इसी मैच में नायडू को गुब्बी एलन की गेंद लगी थी।

    लाला अमरनाथ के साथ की थी बेजोड़ साझेदारी

    नायडू और लाला अमरनाथ ने 1933-34 में भारत दौरे पर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में तीसरे विकेट के लिए 186 रन की साझेदारी की थी। इस साझेदारी के दौरान उन्होंने दिखाया था कि वह धैर्य के साथ बल्लेबाजी भी कर सकते हैं। अपने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हिस्सा लेते रहे। इस दिग्गज ने 50 साल की उम्र के बाद रणजी ट्रॉफी में दोहरा शतक बनाने का एक और विशेष गौरव भी हासिल किया है।

    बीसीसीआई का रहे हैं हिस्सा

    क्रिकेट से पूरी तरह संन्यास लेने के बाद नायडू बाद में बीसीसीआई प्रशासन में शामिल हो गए और उपाध्यक्ष और मुख्य राष्ट्रीय चयनकर्ता के रूप में कार्य किया। भारतीय बोर्ड ने 1994 में प्रतिष्ठित सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार की शुरुआत की और उस वर्ष उनके साथी लाला अमरनाथ को यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।

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