जब माथे पर रखी गई AK-47, जिंदगी खोने का सताया था डर, कश्मीरी क्रिकेटर ने सुनाई खौफनाक कहानी; VIDEO हुआ वायरल
वो कहते है ना कि इंसान अगर किसी चीज को पाने की ठान ले तो चाहे फिर कितनी भी मुसीबतें आ जाए एक दिन सफलता खुद-ब-खुद उसके कदम चूमती है। ऐसा ही एक किस्सा कश्मीर की एक महिला खिलाड़ी से जुड़ा हुआ है। बता दें कि दक्षिण कश्मीर का शोपियां जिला आमतौर पर आतंकवाद से जुड़ी खबरों को लेकर काफी चर्चा में रहता है।
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। Jasia Akhtar Inspirational Story। वो कहते है ना कि इंसान अगर किसी चीज को पाने की ठान ले तो चाहे फिर कितनी भी मुसीबतें आ जाए एक दिन सफलता खुद-ब-खुद उसके कदम चूमती है।
ऐसा ही एक किस्सा कश्मीर की एक महिला खिलाड़ी से जुड़ा हुआ है। बता दें कि दक्षिण कश्मीर का शोपियां जिला आमतौर पर आतंकवाद से जुड़ी खबरों को लेकर काफी चर्चा में रहता है।
इस जिले के ब्रारीपोरा गांव की 34 साल की महिला खिलाड़ी जासिया अख्तर की कहानी भी काफी खौफनाक रही है। जासिया को दिल्ली कैपिटल्स ने विमेंस प्रीमियर लीग के पहले सीजन के लिए चुना था।
कश्मीर की इस खिलाड़ी के लिए क्रिकेट के मैदान पर उतरना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। एक बार तो उनके घर में आतंकवादी भी घुस आए थे और उन्हें काफी पीटा था। इस घटना को याद करते हुए हाल ही में जासिया ने दिल्ली कैपिटल्स (Delhi Capitals) द्वारा शेयर की वीडियो में अपनी संघर्ष भरी कहानी बताई है। आइए जानते हैं इस कहानी को विस्तार से।
Jasia Akhtar ने बताई अपनी जिंदगी की संघर्ष-भरी कहानी, Delhi Capitals ने वीडियो किया शेयर
दरअसल, दिल्ली कैपिटल्स ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें कश्मीरी खिलाड़ी जासिया अख्तर (Jasia Akhtar) अपनी स्ट्रगल स्टोरी सुनाती हुई नजर आ रही है। जासिया ने इस दौरान कहा कि जब उन्होंने क्रिकेट शुरू किया था तो उन्होंने सोचा नहीं था कि वह यहां तक पहुंच पाएगी, क्योंकि वह सबसे पहले खेतों में प्रैक्टिस करती थी। वो टेनिस बॉल के साथ लड़कों के साथ जाकर खेलती थी।
इसके साथ ही जासिया ने कहा,
“ये मेरे पापा का सपना है। उन्होंने कहा कि आप आगे जाकर क्रिकेट खेले, क्योंकि मेरे पापा पढ़े-लिखे नहीं है। वो मुझसे बस ये बोलते है कि आप मुझे गर्व महसूस करवाए कि लोग बोले आपकी बेटी क्रिकेट खेलती है और हम उसे टीवी पर देखते है। अगर मेरे पापा मेरे साथ खड़े नहीं होते तो आज मैं यहां नहीं होती।”
जब जासिया ने पहली बार देखा था बल्ला
जासिया ने कहा कि सब लोग जानते हैं कश्मीर के बारे में, लेकिन जिस एरिया में मैं रहती वो कश्मीर की सबसे खतरनाक जगह थी। मैं साउथ कश्मीर में रहती हूं, जहां सालों-साल कर्फ्यू रहता, गड़ियां नहीं चलती, सब कुछ बंद रहता था। वहां खेलने के लिए कही ग्राउंड नहीं है, लेकिन हमारी एक बालकनी थी जिस पर हम मैट बिछाकर रखते थे।
एक दिन मैंने मैट उठाया और देखा कि उसके नीचे एक लकड़ी का बल्ला है। मैंने पापा को बोला कि ये क्या है तो वो मुझसे बोले कि ये कहा से निकाला ये बैट है जब बड़े हो जाओगे तब इससे खेलना। मैंने अपने भाई को बताया कि मेरे घर में एक बैट है पापा को पता नहीं चलना चाहिए तो हम रोज खेलने जाएंगे और हम खेतों में सुबह जल्दी क्रिकेट खेलने जाते थे, ताकि पापा को पता न चले।
जब जासिया के मांथे पर रखी गई थी AK-47
जासिया ने अपने जीवन के सबसे खौफनाक पल को याद करते हुए बताया कि 2005 में एक बार 3 या 4 लोग आए थे और मुझे दो थप्पड़ मारे। मेरी छोटी बहन को बुखार था और मैं भागते हुए घर आई। पीछे से गोलियां चली तो पापा ने कहा कि क्या हुआ। तो वह लोग हमारे घर आ गए और बोले जासिया कौन है, मैंने कहा मैं हूं। एक मिनट के बाद मैं उठी और बोला मैं हूं। उन्होंने दो थप्पड़ मारे पहले और मेरे दो दांत टूट गए। AK-47 मेरे माथे पर रखा और बोला 36 के 36 ठोक दूंगी। फिर मैंने पापा को बोला की जब जिंदगी नहीं रहेगी तो क्या खेलूंगी मैं। फिर मैंने 2011 तक ब्रेक लिया।
इसके बाद 2011 में एक सर आए और उन्होंने मुझे मोटिवेट किया कि मैं क्रिकेट दोबारा खेल सकूं। साल 2012 में फिर मैंने क्रिकेट शुरू किया। तो मैं सभी को ये कहना चाहूंगी कि जिंदगी में कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। एक दिन जिंदगी में सबको मेहनत का फल जरूर मिलता है।
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