IND vs AUS: भारत के सामने एडिलेड का दाग धोने की चुनौती, गुलाबी और लाल गेंद में फर्क को भी समझ लें
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरा टेस्ट 6 दिसंबर से एडिलेड में खेला जाएगा। भारतीय टीम ने पर्थ टेस्ट 295 रन से जीतकर सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। हालांकि एडिलेड में भारतीय टीम कुछ दबाव में होगी क्योंकि पिछली बार यहां पूरी टीम केवल 36 रन पर ऑलआउट हो गई थी। भारतीय टीम इस बार उस दाग को हटाकर सीरीज में बढ़त दोगुना करना चाहेगी।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। 49204048041.. यह कोई मोबाइल नंबर नहीं है। यह स्कोर है भारतीय बल्लेबाजों के, जब टेस्ट इतिहास में भारतीय टीम ने न्यूनतम 36 रन का स्कोर बनाया था और कोई भी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा नहीं छू सका था।
भारत के पिछले बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के ऑस्ट्रेलिया दौरे में एडिलेड में खेले गए गुलाबी गेंद टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारतीय टीम की बल्लेबाजी से जो दाग लगा था, भारत को यह छह दिसंबर से एडिलेड में ही शुरू होने वाले गुलाबी गेंद टेस्ट में धोने की चुनौती होगी।
गुलाबी गेंद टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया का रिकॉर्ड शानदार है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध केवल एक दिन-रात्रि टेस्ट खेला है, और भारतीय टीम इसे याद नहीं करना चाहेगी।
रोहित और गिल की हो सकती है वापसी
पैट कमिंस (21/4) और जोश हेजलवुड (8/5) की गेंदबाजी जोड़ी ने 2020 में जो कारनामा किया था, वो फिर इसे दोहराना चाहेंगे। वहीं, भारतीय टीम पर्थ में मिली जीत से बढ़े आत्मविश्वास के साथ एडिलेड में अपना दाग धोने उतरेगी। इसका पूरा दारोमदार भारतीय बल्लेबाजी शीर्षक्रम पर होगा, जिसमें कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल की वापसी हो सकती है।
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शेष तीनों बल्लेबाजों ने पर्थ में लय पकड़ ली थी, इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कप्तान रोहित स्वयं किस स्थान पर बल्लेबाजी करते हैं। भारत ने पर्थ में खेले गए शुरुआती टेस्ट को 295 रन से जीता था। यह ऑस्ट्रेलिया की धरती पर रनों से टीम की सबसे बड़ी जीत है।
यशस्वी-राहुल को फिर देना होगा डिफेंस टेस्ट
भारत के पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे में यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल भारतीय टीम में शामिल नहीं थे। पर्थ में दोनों ने दूसरी पारी में जिस तरह बल्लेबाजी की, वो दार्शनीय था। ओल्ड स्कूल बल्लेबाजी कर दोनों ने पहले विकेट के लिए रिकॉर्ड 201 रन जोड़े थे।
इस दौरान दोनों ने 63 ओवर बल्लेबाजी की और पारी की शुरुआत में रक्षात्मक रुख अपनाया। एडिलेड में अगर भारतीय टीम को अपनी बढ़त को दोगुना करना है तो इन दोनों बल्लेबाजों को एक-बार फिर यह कारनामा दोहराना होगा।
टीम | स्कोर | ओवर | विरुद्ध | स्थान | वर्ष |
न्यूजीलैंड | 26 | 27.0 | इंग्लैंड | ऑकलैंड | 1955 |
दक्षिण अफ्रीका | 30 | 18.5 | इंग्लैंड | क्बेरहा | 1896 |
दक्षिण अफ्रीका | 30 | 12.3 | इंग्लैंड | बर्मिंघम | 1924 |
दक्षिण अफ्रीका | 35 | 22.5 | इंग्लैंड | केपटाउन | 1899 |
दक्षिण अफ्रीका | 36 | 23.2 | ऑस्ट्रेलिया | मेलबर्न | 1932 |
ऑस्ट्रेलिया | 36 | 23.0 | इंग्लैंड | बर्मिंघम | 1902 |
भारत | 36 | 21.2 | ऑस्ट्रेलिया | एडिलेड | 2020 |
कूकाबुरा गुलाबी और लाल गेंदों में होते हैं ये अंतर
गुलाबी गेंद
- इस पर एक अतिरिक्त लाह की परत होती है। इसके कारण गुलाबी गेंद इसे फ्लडलाइट में पहचानना आसान होता है, यह लाल गेंद से अधिक स्विंग करती है
- इस गेंद की सीम 45-50 ओवर के बाद सपाट होती है, जिससे इसे लंबे समय तक गेंदबाजों को मदद मिलती है।
- मशीन से बनी इस गेंद को काले धागे से सील किया जाता है
- दोनों गेंदों के भार में कोई फर्क नहीं होता है यह अमूमन 156 से 162 ग्राम के बीच ही होता है
लाल गेंद
- लाल गेंद दिन में खेले जाने वाले टेस्ट के लिए आदर्श है। कृत्रिम रोशनी में इसे देखना मुश्किल होता है, विशेषकर जब यह घिस जाती है।
- लाल गेंद की सीम 30-35 ओवर में सपाट हो जाती है, जिससे समय के साथ स्विंग गेंदबाजी के लिए यह कम प्रभावी हो जाती है।
- मशीन से बनी इस गेंद को उजले धागे से सील किया जाता है
- दोनों गेंदों के भार में कोई फर्क नहीं होता है यह अमूमन 156 से 162 ग्राम के बीच ही होता है
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