IND vs ENG: शुभमन गिल को बनाना होगा खुद का रास्ता, इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा
शुभमन गिल भारत की टेस्ट टीम के नए नवेले कप्तान हैं। अपने पहले ही दौरे पर उन्हें इंग्लैंड में कप्तानी करने का मौका मिल रहा है जो सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक माना जाता है। सीरीज के तीन मैच हो चुके हैं और अब चौथा मैच काफी अहम है लेकिन ये गिल के लिए मौका भी है।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट में कई कप्तान हुए। उनमें से कुछ ही ऐसी छाप छोड़ पाए जिसकी मिसाल आज तक दी जाती है। कपिल देव ने टीम को अपनी ताकत पहचानना सिखाया। सौरव गांगुली ने टीम इंडिया को लड़ना सिखाया। महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी चतुराई और कूलनेस से टीम को नई दिशा दी। विराट कोहली की आक्रामकता ने विश्व पटल पर भारतीय टीम की अलग पहचान बनाई। इन सभी की अपनी शैली थी। इन्होंने किसी को कॉपी नहीं किया और तभी ये भारत के ही नहीं विश्व के महान कप्तानों में गिने जाते हैं।
इनमें रोहित शर्मा का नाम जोड़ना भी जरूरी है। उनकी शैली भी अलग थी। वह आक्रामक थे, लेकिन उनकी आक्रामकता अलग थी। वह कोहली की तरह सामने वाले के मुंह पर उसे दिखाते नहीं थे। वह दूरी बनाते हुए अपनी रणनीति और खेल से विपक्षी टीम पर हावी होते थे। यही कारण है कि वह दो आईसीसी ट्रॉफी जिताने में सफल रहे।
इस समय भारत की टेस्ट टीम की कमान युवा खिलाड़ी शुभमन गिल के हाथों में हैं। 25 साल का ये युवा खिलाड़ी अभी काफी कुछ सीख रहा है। उन्हें पहली बार कप्तानी मिली है और उनके सामने इंग्लैंड जैसे देश में टीम को सीरीज जिताने की चुनौती मिली है। गिल की कप्तानी में अभी तक काफी कमी देखने को मिली। पहले टेस्ट मैच में वह ज्यादा वोकल नहीं थे। मसलन गेंदबाजों के साथ ज्यादा कम्यूनिकेशन नहीं कर रहे थे। दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने अपनी गलती को सुधारा और टीम को जीत भी मिली।
फिर आया लॉर्ड्स टेस्ट। इस मैदान पर जीत हर कप्तान का सपना होती है। यहां टीम इंडिया काफी करीब आकर जीत से चूक गई। इस मैच में गिल का एक अलग अंदाज देखने को मिला। मैच के तीसरे दिन आखिरी समय में जब जैक क्रॉली समय बर्बाद कर रहे थे तो गिल में मानो कोहली की आत्मा आ गई थी। वह अपनी जुबान पर काबू भी नहीं रख पाए और फिर इंग्लैंड के बल्लेबाजों के पास जाकर फेस टू फेस उनसे बहस करने लगे। वही अंदाज जो कोहली का था।
हर कोई नहीं संभाल सकता ये एटिट्यूड
ये गिल का अंदाज नहीं था। वह काफी समय से भारत के लिए खेल रहे हैं। ये बात सही है कि उनमें भी आक्रामकता है लेकिन वो ऐसी नहीं है जैसी गिल ने लॉर्ड्स में दिखाई। यहां लगा कि मानो गिल कहीं न कहीं कोहली की कप्तानी शैली को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें समझना होगा कि कोहली की जो शैली है वो उनकी स्वाभाविक शैली है और ये उन्हीं पर सूट करती है। जब आक्रामकता किसी को कॉपी करके लाई जाती है तो वो बैकफायर करती है। गिल को इस बात को समझने की जरूरत है।
उन्हें न कोहली की शैली में काम करना है और न ही रोहित की। एमएस धोनी की शैली भी उनके काम शायद ही आए। गिल को समझना होगा कि उन्हें अपने तरीके से काम करना होगा न कि किसी दूसरी कप्तान के तरीकों से। जो स्वाभाविक होता है उसमें आत्मविश्वास दिखता है और आत्मविश्वास है तो फिर सफलता की गांरटी भी ज्यादा होती है और हालात बदलने का माद्दा भी।
शानदार है मौका
गिल के पास अपनी शैली को जानने, समझने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। बेशक इंग्लैंड का दौरा मुश्किल है, लेकिन ये वही स्थिति है जहां इंसान अगर खुद को तराश ले तो कुछ और ही निखरकर आता है। टीम इंडिया पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-2 से पीछे है। चौथा टेस्ट मैच भारत के लिए काफी अहम है। अगर टीम इंडिया इस मैच में हार जाती है तो सीरीज गंवा बैठेगी। यही गिल के लिए मौका है। वह अपने दिमाग और स्वाभाविक स्थिति को समझें और उसके हिसाब से कप्तानी करें न कि किसी दूसरे कप्तान को कॉपी कर।
ये मुश्किल स्थिति है और अगर जहां खुद को झोंक खुद को पाने में सफल रहते हैं तो क्या पता भारत को अपना सबसे महान कप्तान मिल जाए। हार और जीत खेल के हिस्से हैं और ये चलते रहेंगे, लेकिन ऐसे हालात, ऐसे मैच आपको अपने आप को परखने में मदद करते हैं जो आगे चलकर आपको निखार सकते हैं।
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