'बेहतर भाषा का इस्तेमाल...', क्यूरेटर के बचाव में उतरा ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज, गौतम गंभीर के खिलाफ उगला जहर!
भारतीय क्रिकेट टीम और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज 2-2 की बराबरी पर समाप्त हुई। लंदन के द ओवल मैदान में खेले गए आखिरी टेस्ट को भारतीय टीम ने 6 रन से जीता। 5वें टेस्ट की शुरुआत से पहले भारतीय हेड कोच गौतम गंभीर और द ओवल के पिच क्यूरेटर ली फोर्टिस के बीच कहासुनी हो गई थी।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारत और इंग्लैंड के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज अब समाप्त हो चुकी है। यह सीरीज 2-2 की बराबरी पर रही। द ओवल में खेले गए आखिरी टेस्ट को भारतीय टीम ने 6 रन से जीता। 5वें टेस्ट की शुरुआत से पहले भारतीय हेड कोच गौतम गंभीर और द ओवल के पिच क्यूरेटर ली फोर्टिस के बीच कहासुनी हो गई थी।
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने गौतम गंभीर और ओवल पिच क्यूरेटर के बीच हुए विवाद पर कमेंट किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय कोच को ली फोर्टिस के साथ हुई बहस के दौरान बेहतर भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए था।
आप सिर्फ एक ग्राउंड्समैन हो
इस बहस के दौरा, गंभीर ने फोर्टिस से कहा कि वह सिर्फ एक ग्राउंड्समैन हैं और कुछ अपशब्द भी कहे गए। भारत के बल्लेबाजी कोच सीतांशु कोटक ने बाद में खुलासा किया कि गंभीर फोर्टिस के व्यवहार से नाखुश थे, जिन्होंने भारतीय टीम प्रबंधन को पिच से दूर रहने को कहा था और बैकरूम स्टाफ पर चिल्लाए थे।
ऑल ओवर बार द क्रिकेट पर बात करते हुए हेडन ने आयोजन स्थल पर फोर्टिस के नियंत्रण की आलोचना की। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज ने सुझाव दिया कि गंभीर को थोड़ा संयमित होना चाहिए था, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए था कि वह एक महत्वपूर्ण मैच की तैयारियों में व्यस्त थे।
इंग्लैंड में यह आम बात
हेडन ने कहा, "इंग्लैंड में यह एक आम मामला है। आखिरी टेस्ट मैच है, यह मेरा मैदान है, और वे गौतम गंभीर के लिए इसे मुश्किल बनाने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें इसे कम करने का पूरा अधिकार है। वह बेहतर भाषा का इस्तेमाल कर सकते थे। लेकिन हकीकत यह है कि उनकी टीम सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट मैच से पहले अभ्यास करने की कोशिश कर रही है।"
स्थिति को और बेहतर संभाल सकते थे
ग्रेग ब्लेवेट भी हेडन से सहमत थे और उन्होंने कहा कि गंभीर इस स्थिति को और बेहतर तरीके से संभाल सकते थे। उन्होंने कहा, "मैं सहमत हूं। एक कमेंटेटर के तौर पर भी, जब आप पिच के पास पहुंचते हैं, तो हर कोई कहता है कि आप उसके पास नहीं पहुंच सकते और आप ऐसा सोचते हैं जैसे मैंने स्पाइक्स नहीं पहने हैं। यह बहुत ही हास्यास्पद है। मुझे निराशा समझ आती है। लेकिन मैं मानता हूं कि उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह अच्छी नहीं थी। अगर वह आत्मचिंतन करते तो शायद इसे थोड़ा बेहतर तरीके से संभाल सकते थे।"
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