EXCLUSIVE: स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए टॉनिक हैं प्रशंसक- सचिन तेंदुलकर
Happy Birthday Sachin Tendulkar सचिन तेंदुलकर ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कई बातें साझा कीं और कहा कि फैंस से ही खिलाड़ियों का वजूद है।
Happpy Birthday Sachin Tendulkar: मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर शुक्रवार को 47 साल के हो गए। वह कोरोना वायरस और देश में लॉक डाउन लागू होने के कारण अपना जन्म दिन नहीं मनाएंगे। जन्म दिन से पहले उन्होंने भारत के इस साल के आखिरी में होने वाले ऑस्ट्रेलिया के बहुप्रतीक्षित दौरा, आइपीएल और टी-20 विश्व कप के आयोजन को लेकर अपनी राय रखी। क्रिकेट के भगवान का मानना है कि दर्शक खेल के लिए टॉनिक होते हैं लेकिन टूर्नामेंट कैसे होंगे यह सरकारों पर निर्भर करेगा। क्रिकेट से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभिषेक त्रिपाठी ने सचिन तेंदुलकर से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :
-अगर ऑस्ट्रेलियाई सीरीज अपने समय पर होती है और भारत को डे-नाइट टेस्ट खेलना पड़ता है तो क्या आपको लगता है कि भारतीय टीम उसके लिए तैयार है?
-हमने अभी तक बांग्लादेश के खिलाफ एक टेस्ट डे-नाइट टेस्ट यहां ईडन गार्डेस पर खेला है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना अलग होता है क्योंकि वह अच्छी टीम है। उनके खिलाफ खेलना रोमांचक होता है। वहां जाकर शाम को उनके विकेट की हालात देखनी होती है, मौसम कैसा रहता है, आउटस्विंग मिल रही है या नहीं। वहां शाम को विकेट ठंडा हो जाता है।
मुझे लगता है कि वहां पर गेंद में थोड़ी सी मूवमेंट रहेगी लेकिन ये सभी चीजें वहां जाकर ही पता चलेंगी। यहां बैठकर ये सब पता करना बहुत मुश्किल है। मैं यह भी जानता हूं कि हमारी टीम वहां पर अब तक जो डे-नाइट टेस्ट हुए हैं उनके बारे में भी जरूर सोचेगी। टीम देखेगी कि वहां पिच ने कैसा काम किया है। किस समय विकेट गेंदबाजों को ज्यादा मदद करती है, कौन सा समय बल्लेबाजी के लिए अच्छा रहता है।
-क्या आपको लगता है कि गुलाबी गेंद से डे-नाइट टेस्ट हमारी सीरीज जीतने की उम्मीदों के लिए झटका होगा?
-गुलाबी गेंद हो या लाल गेंद खेला तो क्रिकेट ही जाएगा। विकेट भी दोनों के लिए एक ही रहेगी। डे-नाइट टेस्ट में हालात जरूर बदल सकते हैं क्योंकि सूर्यास्त से पहले और बाद में विकेट और हालात कैसे बदलते हैं ये पता होना बहुत जरूरी है। खिलाडि़यों को उसी हिसाब से रणनीति बनानी होगी।
मुझे लगता है कि जो हालात हमें मिलेंगे वो ही ऑस्ट्रेलिया को भी मिलेंगे। पहले दिन शाम को हम बल्लेबाजी करते तो दूसरे शाम को ऑस्ट्रेलिया भी बल्लेबाजी कर रही होगी। वहां शाम के समय में गेंद स्विंग कर रहा होता है तो इस पर मैच का निर्णय ज्यादा निर्भर रहेगा कि कौन सी टीम इस समय को कैसे उपयोग करती है। टीम को योजना बनानी होगी कि जब धूप है तो थोड़ा आक्रामक होकर खेलें। जब शाम को गेंद में मूवमेंट होती है तो उस समय कैसे बल्लेबाजी करनी है, कौन ज्यादा गेंदबाजी करेगा।
-क्या दर्शकों के बिना टी-20 विश्व कप और आइपीएल आयोजित करने के समर्थन में हैं आप?
-मुझे लगता है कि यह आइसीसी या बीसीसीआइ की बात नहीं है। यह सरकार की बात हैं। सभी देशों के स्वास्थ्य मंत्रालय देखते हैं कि हालात खेलने के लायक है क्या नहीं। उस हिसाब से हमें आगे चलना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय पास कर देता है तो सरकार भी मंजूरी दे देगी और फिर बोर्ड को बात करनी चाहिए। स्टैंड में प्रशंसकों से जो खिलाडि़यों को जोश मिलता है, वो नहीं मिलेगा।
बल्लेबाज के चौके या छक्के मारने पर प्रशंसक जो प्रतिक्रिया देते हैं, या गेंदबाज के विकेट लेने पर उसके जश्न का भी प्रशंसक हिस्सा बन जाते हैं उससे खिलाडि़यों को ऊर्जा मिलती है। कहते है ना कि टॉनिक मिल गया। तो खिलाडि़यों के लिए यह एक टॉनिक है। इससे खिलाड़ी और ज्यादा अच्छा करने की कोशिश करते हैं तो खिलाडि़यों को इसकी कमी जरूर महसूस होगी।
-कोरोना के कारण क्या लार का प्रयोग कम हो जाएगा?
-निश्चित तौर पर गेंद चमकाने की तकनीक जरूर बदल जाएगी। अभी भी कई लोग चर्चा कर रहे हैं कि गेंद पर लार लगानी चाहिए कि नहीं। किस तरह से गेंद चमकानी चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि गेंद कैसे स्विंग होती है। गेंद को चमकाए रखने के लिए हर कोई मेहनत करता है तो अब गेंदबाज उतना कर पाएंगे या नहीं, यह तो खेलने के बाद ही पता लगेगा। इसके अलावा खिलाडि़यों के जश्न मनाने के तरीके में बदलाव जरूर आएगा जैसे एक-दूसरे से गले मिलते हैं, हाइ-फाइव करते हैं। मैच जीतने के बाद जश्न के तरीके में थोड़ा बदलाव जरूर आएगा और सभी के दिमाग में शारीरिक दूरी का ध्यान जरूर रहेगा।
-ऑस्ट्रेलिया में नई कूकाबुरा गेंद मैचों की दिशा तय करती है। कूकाबुरा काफी देर तक नई रहती है तो क्या इसका फर्क दिखाई देगा?
- टेस्ट क्रिकेट में हमेशा नई गेंद महत्वपूर्ण होती है। ऑस्ट्रेलिया में कूकाबुरा गेंद का इस्तेमाल होता है। मुझे लगता है कि जब गेंद की सीम कठोर है तो गेंदबाजों को मदद ज्यादा मिलती है। डे-नाइट मैच में शुरुआती 25-30 ओवर गेंदबाजों के लिए मददगार होंगे। दिन के टेस्ट मैच में पहले 20 ओवर में गेंदबाजों को मदद मिलेगी।
-हाल ही में युवराज सिंह ने कहा था कि जब वह सचिन, सौरव, गांगुली और द्रविड़ के साथ खेलते थे तो उस समय सीनियर्स का सम्मान किया जाता था लेकिन मौजूदा भारतीय टीम में ऐसा नहीं है?
-मैं विराट कोहली की टीम का हिस्सा नहीं हूं तो मुझे बताना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा कि वास्तविक स्थिति क्या है। वर्तमान ड्रेसिंग रूम में क्या होता है ये मुझे पता नहीं। युवी ने हमारे साथ भी खेला है और इन खिलाडि़यों के साथ भी समय बिताया है। 2018 तक युवी भी इस टीम का हिस्सा थे। उन्हें संन्यास लिए ज्यादा समय नहीं हुआ है तो उन्हें पता है लेकिन इस पर मेरा कहना कुछ सही नहीं रहेगा।
-आपने कई साल पहले कहा था कि कोहली और रोहित आपका रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं। दोनों अच्छा कर रहे हैं। वर्तमान में आपको ऐसी प्रतिभा किसमें नजर आती है?
-रोहित और कोहली के अलावा मैं मैं शुभमन गिल और पृथ्वी शॉ की बात जरूर करूंगा। गिल और शॉ में वो स्पार्क है कि वे भारत के लिए लंबे समय तक खेल सकते हैं। रोहित और विराट की बात की जाए तो दोनों में एक अलग ही क्षमता है और वे दोनों ही बहुत ही अच्छे खिलाड़ी है इसलिए मैंने कहा था कि दोनों भारत के क्रिकेट को आगे ले जा सकते हैं। मैं चेतेश्वर पुजारा का भी नाम लूंगा। उनकी ज्यादा बात नहीं होती है लेकिन वह हमारे टेस्ट क्रिकेट के लिए बहुत ही उपयोगी हैं।
- रवि शास्त्री ने पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कहा था कि कुलदीप टेस्ट के नियमित गेंदबाज हैं लेकिन उसके बाद से उन्हें अंतिम एकादश में ज्यादा मौके ही नहीं दिए गए?
-इस बारे में तो रवि से ही पूछ सकते हैं लेकिन मैंने कुलदीप को बहुत पहले देखा था और वह मुझे प्रतिभावान खिलाड़ी नजर आए और अभी भी हैं। सभी खिलाडि़यों का प्रदर्शन ऊपर-नीचे होता रहा है। कुलदीप की प्रतिभा पर कोई शक नहीं है और वह बहुत ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। मुझे उसमें वह स्पार्क दिखा था। वह लगातार चाइनामैन गेंद फेंक सकता है। वैसे भी दुनिया में चाइनामैन गेंदबाज बहुत ही कम आए हैं।
-अगर आप खेल रहे होते और उस समय लॉकडाउन होता तो आप फिट होने के लिए और उसके बाद मैदान पर आने के लिए कैसे खुद को तैयार करते और अभी क्या कर रहे हैं?
-मुझे लगता है कि मैं अपनी ट्रेनिंग जरूर जारी रखता। एक होती है शारीरिक ट्रेनिंग और दूसरी मानसिक ट्रेनिंग। क्रिकेट के लिए भी बल्लेबाज और गेंदबाज के लिए दो आधार होते हैं। मैं घर में बल्ला लेकर आभासी अभ्यास करता और दिमागी तौर पर भी खुद को तैयार करता। जब शरीर और दिमाग एक होते हैं तो उसका नतीजा अच्छा होता है। हम कहते हैं कि यह खिलाड़ी दिमागी तौर पर बहुत मजबूत है तो उसमें उसकी शारीरिक क्षमता को भी देखा जाता है।