टीम इंडिया के मुश्किल ऑस्ट्रेलिया दौरे की हर कहानी, 36 रन पर ऑलआउट होने का लगा ठप्पा
भारतीय क्रिकेट टीम के फील्डिंग कोच श्रीधर ने टीम इंडिया की ड्रेसिंग रूम की बातों और एक महीने के मुश्किल समय के बारे में बताया कि कैसे टीम इंडिया ने यह समय गुजारा। उन्होंने इस दौरे से जुड़ी कई बातों को बताया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। टीम इंडिया के फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने गुरुवार को गाबा टेस्ट जीतने से पहले टीम इंडिया की बल्लेबाजी कौशल और इस पूरे दौरे की भावुक यात्रा पर खुलकर बात की। हैदराबाद में अपने घर पहुंचे श्रीधर ने कहा कि जब रिषभ और वाशिंगटन बल्लेबाजी कर रहे थे तो मैं दिमागी तौर पर बहुत परेशान था। मेरी हार्ट बीट फिटनेस एप पर 120 थी और मैंने रोहित से कहा कि मैं एक घंटे में 10 साल बूढ़ा हो गया।
श्रीधर ने टीम इंडिया की ड्रेसिंग रूम की बातों और एक महीने के मुश्किल समय के बारे में बताया कि कैसे टीम इंडिया ने यह समय गुजारा। उन्होंने इस दौरे से जुड़ी कई बातों को बताया। इसमें 36 रन पर आउट होने के बाद कोच रवि शास्त्री के भाषण से लेकर हनुमा विहारी की सिडनी की बल्लेबाजी और ब्रिसबेन में इतिहास रचने के पीछे की रोचक कहानियों को बताया।
जब 36 रन पर आउट हुई टीम : श्रीधर ने कहा कि जब 36 रन पर ऑलआउट हो गए थे तो आपको नहीं पता था कि आगे क्या। तब रवि भाई ने टीम को एकत्रित किया और कहा कि अपनी बाजुओं पर इस 36 नंबर के बैच को लगा लो और आप एक बेहतरीन टीम बन जाओगे। 40 दिन बाद यह बात सच निकली। एडिलेड टेस्ट के बाद हमारी दो दिन के भीतर पांच बैठक हुई थीं। तीसरे दिन के समापन के बाद विराट कोहली, रहाणे और कोचिंग स्टाफ ने टीम संतुलन पर बात की और एमसीजी टेस्ट खेलने से पहले विराट ने कई अच्छे विकल्प भी दिए। मेलबर्न में हमने इसके बाद शानदार खेल दिखाया और यह टेस्ट जीतकर सीरीज में 1-1 की बराबरी कर ली।
हनुमा ने दिलाया विश्वास : सिडनी में चायकाल के समय विहारी हैमस्टि्रंग को ठीक करने के लिए नितिन पटेल के साथ थे और दवाइयां ले रहे थे। श्रीधर उनके पास गए और कहा कि आप अपनी टीम को ये दो घंटे देने वाले हैं, क्योंकि इस टीम ने हमेशा आपका समर्थन किया है और जब 250 गेंद खेलने के बाद वह वापस लौटे। वह चल भी नहीं पा रहे थे। वह कुर्सी पर बैठ गए और मैंने जाकर उनको गले लगा लिया।
हनुमा ने मुझसे कहा कि आपने ऐसा करने के लिए कहा था सर और मैं इस स्थिति में इससे बेहतर नहीं कर सकता था। मैं सिर्फ आपको धन्यवाद दे सकता हूं। श्रीधर ने कहा कि विहारी की फिटनेस काफी खराब हो चुकी थी, क्योंकि वह आइपीएल नहीं खेले थे। इसके बाद वह तीनों टेस्ट में शॉर्ट लेग पर खड़े रहे, जिससे उनकी यह चोट बढ़ती चली गई, लेकिन जो उन्होंने सिडनी में करके दिखाया उसने हमें यह विश्वास दिला दिया कि हम ब्रिसबेन को जीत सकते हैं।
ब्रिसबेन का वो आखिरी दिन : श्रीधर ने कहा कि हम आखिरी दिन रिषभ और वाशिंगटन के लिए कुछ भी जटिल नहीं करना चाहते थे और यह उनका अपना प्लान था। उनके पास बहुत अच्छा प्लान था, जो उनकी काबिलियत और विश्वास पर आधारित था। श्रीधर ने कहा कि जब आप उनको ऐसा करते हुए देख रहे थे तो आप उन तक संदेश पहुंचाना चाहते हो। तब अजिंक्य और रवि भाई ने कहा कि इन दोनों को अकेला छोड़ दो। जो भी होता है, हम उसको स्वीकार करेंगे। इसके बाद हम इतने शानदार तरीके से यह टेस्ट जीते।
बल्ला तक नहीं लाए थे नटराजन : श्रीधर ने कहा कि नटराजन के पास में बल्ला तक नहीं था। उसके पास बस उसके गेंदबाजी जूते और ट्रेनर्स थे क्योंकि वह यहां एक नेट गेंदबाज के तौर पर आया था और उसे बस यहां गेंदबाजी करने की उम्मीद थी। जब उसको टीम में शामिल किया गया तो उसने वाशिंगटन सुंदर से एक बल्ला खरीदा, लेकिन यही खूबसूरती थी। वह एक साधारण नेट गेंदबाज नहीं है। स्ट्रेंथ एंड कडिशनिंग कोच निक वेब और ट्रेनर सोहम देसाई के पास नेट गेंदबाजों के लिए अच्छा प्लान है और वह ड्रेसिंग रूम का एक बड़ा हिस्सा हैं।
वाशिंगटन जैसा कोई नहीं : श्रीधर ने कहा कि हमने वाशिंगटन को यहां पर सीमित ओवर सीरीज के लिए रोक लिया था, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि अश्विन नेट पर ज्यादा गेंदबाजी करे। हमने वाशिंगटन से रफ पर गेंदबाजी कराई। जब वह हमारे शीर्ष क्रम को नेट पर गेंदबाजी करता था, मैं उसके पास जाता था और बोलता था कि वाशिंगटन, यहां ओवर स्पिन करो, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में यही कामयाबी दिलाएंगी। वह टीम में नहीं होने के बावजूद हर रोज आधा घंटा बल्लेबाजी करता था।
अब नेतृत्व क्षमता को रवि शिप कहा जाएगा : ब्रिसबेन टेस्ट से पहले रवि भाई का एक मंत्र था। नटराजन जसप्रीत बुमराह से और वाशिंगटन अश्विन से कम नहीं है और यही आपका माइंडसेट होना चाहिए। जब आप भारतीय कैप पहनते हुए मैदान के अंदर घुसते हो तो आप किसी से कम नहीं हो। श्रीधर ने कहा कि भारत की इस सबसे बड़ी जीत में रवि भाई को भी श्रेय देना होगा ।