भारत बनाम इंग्लैंड: वर्ष 2011 में धौनी की कप्तानी में भारत को इंग्लैंड में 4-0 से टेस्ट सीरीज गवांनी पड़ी
धौनी की कप्तानी में वर्ष 2011 व 2014 में भारत को इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में हार मिली।
फ्लैश बैक 2011 :
विश्व चैंपियन का बुरा हाल
मैच - 04, नतीजा - इंग्लैंड 4-0 से जीता
भारतीय टीम ने 2007 के इंग्लैंड दौरे पर सीरीज फतह की थी और उसके चार साल बाद अपने घर पर वनडे विश्व कप का खिताब जीता था। ऐसे में उम्मीदों का बोझ लिए महेंद्र सिंह धौनी के नेतृत्व में भारतीय टीम 2011 में इंग्लैंड के दौरे पर पहुंची थी। तब जहीर खान दुनिया के सबसे अच्छे तेज गेंदबाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे लेकिन पहले टेस्ट की शुरुआत से ठीक पहले उनका चोटिल होना भारत को बहुत नुकसान पहुंचा गया। केविन पीटरसन के धमाकेदार दोहरे शतक के दम पर इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में 196 रनों की जीत हासिल की। इसके बाद नॉटिंघम टेस्ट में धौनी का इयान बेल को विवादास्पद रनआउट के बाद वापस बुलाना महंगा पड़ा, जिन्होंने 159 रनों की जोरदार पारी खेलकर इंग्लैंड को एक और बड़ी जीत दिलाई। राहुल द्रविड़ द्वारा लगातार दूसरे टेस्ट में लगाया गया शतक बेकार गया।
बर्मिघम में खेला गया तीसरा टेस्ट भारत के लिए और भी मुश्किलें लेकर आया। स्टुअर्ट ब्रॉड और टिम ब्रिसनेन ने भारत को पहली पारी में सवा दो सौ रनों के पहले समेट दिया। इसके बाद एलिस्टेयर कुक ने 294 रन की पारी खेलकर इंग्लैंड को 710 रनों तक पहुंचाया, जिसके बाद एक बार फिर भारत की दूसरी पारी जेम्स एंडरसन के सामने ताश के पत्तों के महल की तरह बिखर गई। भारत पारी और 242 रनों के विशाल अंतर से तीसरा टेस्ट हारने के साथ सीरीज गंवा चुका था। भारत का सीरीज में बड़ी हार का सिलसिला चौथे टेस्ट में भी जारी रहा जहां इयान बेल के दोहरे शतक के दम पर इंग्लैंड ने पारी और आठ रनों से जीत हासिल की और भारत का क्लीन स्वीप किया। द्रविड़ का सीरीज में तीसरा शतक और सचिन तेंदुलकर की 91 रनों की पारी भारत की बड़ी हार को नहीं टाल सकी।
फ्लैश बैक 2014 :
विराट हुए फ्लॉप और रूट चमके
मैच - 05, नतीजा - इंग्लैंड 3-1 से जीता
1959 के बाद पहली बार भारतीय टीम 2014 में पांच टेस्ट मैचों की लंबी सीरीज खेलने इंग्लैंड गई। एक बार फिर कमान महेंद्र सिंह धौनी के हाथों में थी, लेकिन चार साल पहले वाले नतीजे में कुछ ज्यादा फर्क नहीं आया। इंग्लैंड ने 3-1 से सीरीज को अपने नाम किया, लेकिन भारत की हार के बावजूद मुरली विजय (402 रन) और भुवनेश्वर कुमार (19 विकेट) ने चमक बिखेरी। नॉटिंघम में ड्रॉ के साथ टेस्ट सीरीज की शुरुआत हुई जहां दोनों टीमें की ओर से आखिरी विकेट के लिए रिकॉर्ड साझेदारियां हुईं। पहली पारी में भुवनेश्वर कुमार (58) और मुहम्मद शमी (नाबाद 51) ने भारत के लिए 111 रनों की साझेदारी निभाई, जबकि इंग्लैंड की ओर से स्टुअर्ट ब्रॉड (47) और जेम्स एंडरसन (81) ने दसवें विकेट के लिए 198 रन जोड़े।
हालांकि लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट में अजिंक्य रहाणे और मुरली विजय की साहसिक पारियों और इशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार की मारक गेंदबाजी के दम पर भारत ने जीत हासिल करके सीरीज में वापसी की। लेकिन, रोज बाउल में मोइन अली की फिरकी में भारत फंस गया और तीसरे टेस्ट में उसे हार मिली। इसके बाद चौथे और पांचवें टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजी ताश के पत्तों के महल की तरह बिखर गई और आखिरी दोनों टेस्ट में उसे पारी के अंतर से हार झेलनी पड़ी। इस सीरीज में टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान विराट कोहली बुरी तरह फ्लॉप हुए। वहीं इंग्लैंड के मौजूदा कप्तान जो रूट ने इस सीरीज के पहले और आखिरी टेस्ट में शतक जड़े थे और सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे।