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    Duckworth- Lewis: आसानी से समझें क्या है डकवर्थ-लुईस नियम? किस तरह इसकी मदद से होता है हार-जीत का फैसला

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Mon, 29 May 2023 10:28 PM (IST)

    लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में जब बारिश के कारण खेल बाधित होता है तो डकवर्थ-लुईस नियम हरकत में आता है। नियम के अनुसार बारिश के बाद बचे हुए वक्त में टारगेट का पीछा कर रही टीम को नया टारगेट दिया जाता है। दूसरी पारी में बल्‍लेबाजी करने वाली टीम अगर समय के मुताबिक अपेक्षित लक्ष्‍य को पार करती है तो जीत जाती है नहीं तो हार जाती है।

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    डकवर्थ-लुईस नियम का सीमित ओवर क्रिकेट में महत्‍व है

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत और पाकिस्‍तान के बीच एशिया कप 2023 का तीसरा मैच पल्‍लेकले स्‍टेडियम में खेला जा रहा है। बारिश से प्रभावित मैच में पहली पारी पूरी हुई, जिसमें भारतीय टीम 266 रन बनाकर ऑलआउट हुई।

    भारतीय कप्‍तान रोहित शर्मा ने पाकिस्‍तान के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाजी का फैसला किया। ईशान किशन (82) और हार्दिक पांड्या (87) ने अर्धशतक जमाए और भारतीय पारी 48.5 ओवर में 266 रन पर ऑलआउट हुई। इस तरह पाकिस्‍तान को जीतने के लिए 267 रन का लक्ष्‍य मिला है।

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    हालांकि, बारिश के कारण पाकिस्‍तान की पारी शुरू नहीं हो सकी है। क्रिकेट फैंस ऐसे में डकवर्थ-लुईस नियम के बारे में सोच रहे हैं कि कहीं इसका उपयोग किया जाएगा या नहीं। ऐसे में हम आपको यहां डकवर्थ-लुईस नियम आसानी से समझाने का प्रयत्‍न कर रहे हैं।

    जानें क्या है डकवर्थ-लुईस नियम

    वनडे और टी20 फॅार्मेट में डकवर्थ-लुईस का रोल काफी अहम होता है। सीमित ओवर क्रिकेट मैच में जब खेल बारिश की वजह से बाधित होता है, तो डकवर्थ-लुईस नियम काम में लाया जाता है। नियम के अनुसार बारिश के बाद बचे हुए वक्त में टारगेट का पीछा कर रही टीम को नया टारगेट दिया जाता है। इसमें बचे हुए विकेट और बचे हुए ओवर दोनों को ध्यान में रखा जाता है।

    दिलचस्प बात है कि नया टारगेट कैसे तय किया जाता है, इसके लिए एक टेबल बनाया गया है। इसमें बचे हुए ओवर और विकटों के आधार पर किसी भी टीम को नया टारगेट दिया जाता है। गौरतलब है कि मैच में एक या दो बार बाधा आने पर नए लक्ष्य को भी बदला जा सकता है। बता दें कि इस नियम को आसानी से समझ पाना काफी कठिन है, इसलिए कई क्रिकेट फैंस डकवर्थ-लुईस नियम का आलोचना भी करते हैं।

    कब हुई थी इस नियम की शुरुआत

    इंग्लैंड के स्टेटिक्स एक्सपर्ट फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस ने इस नियम को तैयार किया था। उनके नाम पर ही इसका पहली बार साल 1997 में उपयोग किया गया था। ऑस्ट्रेलियाई अकादमिक स्टीन स्टर्न ने साल 2015 विश्व कप से पहले इस फॅार्मूले को अपडेट किया था।

    नियम के अनुसार इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि पहले खेलने वाली टीम ने इतने ही रिसोर्स (मैच के बारिश से बाधित होने तक) में कितना रन बनाया था। इसे आप कुछ ऐसे समझ सकते हैं।

    टीम 2 का नया टारगेट = टीम 1 का स्कोर

    टीम 2 का नया लक्ष्‍य = टीम 1 का स्‍कोर x (टीम 2 के रिसोर्स/ टीम 1 के रिसोर्स)

    अन्‍तर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में रिसोर्स वैल्‍यू एक कम्‍प्‍यूटर प्रोग्राम के जरिए तय की जाती है जोकि एक जटिल प्रक्रिया है।

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