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    पादरी बनते-बनते बन गया तेज गेंदबाज, फिर क्रिकेट जगत में मचाई तबाही; 24 साल बाद भी नहीं टूटा है यह रिकॉर्ड

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 02:33 PM (IST)

    बेहद धार्मिक प्रवृति के इस तेज गेंदबाज ने 12-13 साल की उम्र तक इसी दिशा में अपनी शिक्षा-दीक्षा ली। फिर एक दिन किस्मत ने अपना चमत्कार दिखाया। एक दिन अपनी उम्र के बच्‍चों के बीच समय बिताते हुए उनके हाथ बॉल लगी और फिर जो हुआ उसकी किसी ने उम्‍मीद नहीं की थी।

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    चामिंडा वास के नाम दर्ज है वनडे क्रिकेट में महारिकॉर्ड। फाइल फोटो

     स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। हर मनुष्य बचपन में एक सपना देखता है कि बड़े होकर वो क्या बनेगा। इनमें से कुछ डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और टीचर बनने का सपना देखते हैं। हर किसी का सपना अलग-अलग होता है, लेकिन श्रीलंका के एक क्रिकेटर ने पादरी बनने का सपना देखा और इसी दिशा में जीवन भी जीने लगे। हालांकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

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    बेहद धार्मिक प्रवृति के इस तेज गेंदबाज ने 12-13 साल की उम्र तक इसी दिशा में अपनी शिक्षा-दीक्षा ली। फिर एक दिन किस्मत ने अपना चमत्कार दिखाया। एक दिन अपनी उम्र के बच्‍चों के बीच समय बिताते हुए उनके हाथ बॉल लगी और फिर जो हुआ, उसकी किसी ने उम्‍मीद नहीं की थी।

    चामिंडा वास का क्रिकेट करियर

    हम बात कर रहे हैं श्रीलंका के सबसे खतरनाक तेज गेंदबाज चामिंडा वास की। वास के नाम वनडे क्रिकेट में एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे अबतक कोई नहीं तोड़ पाया है। हालांकि, मोहम्मद सिराज नजदीक पहुंच गए थे लेकिन वह तोड़ नहीं पाए।

    दरअसल, चामिंडा वास एक वनडे मैच में सर्वाधिक आठ विकेट लेने का कीर्तिमान बना चुके हैं। साल 2001 में जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ मुकाबले में उन्‍होंने यह कमाल करते हुए कुल 8 विकेट चटकाए थे। चामिंडा वास के वनडे करियर पर नजर डाले तों 322 मैच में उनके नाम 400 विकेट हैं। उन्‍होंने साल 2009 में अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट से संन्‍यास ले लिया था।

    टेस्ट में लिए हैं 355 विकेट

    उनके टेस्‍ट करियर पर नजर डालें तो उन्‍होंने 111 मैचों में 355 विकेट अपने नाम किए। इस दौरान उनके बल्‍ले से एक शतक और 13 अर्धशतक भी आए। डेढ़ दशक बाद भी श्रीलंका की टीम को चामिंडा वास का रिप्लेसमेंट नहीं मिल पाया है।

    श्रीलंका को दिया जीत का मंत्र

    एक मजेदार आंकड़ा बताते हैं। साल 1981 में आईसीसी ने श्रीलंका की टीम को टेस्‍ट प्‍लेइंग नेशन का दर्जा दिया। इसके बाद श्रीलंका की टीम ने अपने देश में तो खूब मैच जीते, लेकिन 24 साल गुजर जाने के बावजूद वो विदेशी धरती पर जीत नहीं पाए थे।

    जीत की आस लिए साल 1995 में श्रीलंका की टीम न्‍यूजीलैंड के दौरे पर थी। इस टीम में 21 साल के युवा तेज गेंदबाज चामिंडा वास भी खेल रहे थे। न्यूजीलैंड के खिलाफ चामिंडा वास चमके। नेपियर में खेले गए पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों के पांच विकेट हॉल अपने नाम किया। इसके दम पर कीवी बैटर्स घुटनों पर आ गए और श्रीलंका ने मुकाबले में 241 रनों से जीत दर्ज की।

    नहीं मिला वैसा गेंदबाज

    यह विदेशी सरजमीं पर पहली जीत थी, जिसके हीरो चामिंडा वास रहे। पादरी बनते-बनते वह किस्मत की लेखनी से दुनिया के खतरनाक बॉलर बन गए। श्रीलंका क्रिकेट में उनके जैसा तेज गेंदबाज नहीं आया।