BCCI ने शुरू की नए टाइटल स्पांसर की खोज, करोड़ों की डील के लिए लगेगी होड़, इन कंपनियों को आवेदन करने की मनाही
भारतीय क्रिकेट टीम के टाइटल स्पांसरशिप से ड्रीम-11 ने अपना नाम वापस ले लिया है। इसके बाद बीसीसीआई ने अब नए टाइटल स्पांसर के लिए आवेदान मांगे हैं। बीसीसीआई ने इसके लिए कुछ पैमाने तय किए हैं और इन पर खरा उतरने वाली कंपनियां ही आवेदन करने की हकदार होंगी।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। बीसीसीआई ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट टीम के नए टाइटल स्पांसर की खोज शुरू कर दी है। भारतीय बोर्ड ने इसके लिए आवेदन मांगे हैं। भारतीय सरकार द्वारा गेमिंग कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद ड्रीम 11 ने टाइटस स्पांसर के नाम वापस ले लिया और टीम इंडिया बिना टाइटल स्पांसर के हो गई है।
ड्रीम-11 ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 के कारण अपने उन गेमों को बंद कर दिया जिनमें पैसा लगता था। इस नियम के मुताबिक, एक कोई भी शख्स ऑनलाइन गेमिंग सर्विस में शर्त, पैसा नहीं लगा सकता और न ही न ही इस तरह के विज्ञापन से जुड़ेगा जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से किसी दूसरे व्यक्ति को ऑनलाइन गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा हो। बीसीसीआई ने साफ तौर पर ऑनलाइन गेमिंग एप और क्रिप्टो कंपनियों को आवेदन करने की मनाही की है।
ड्रीम 11 और माय 11 सर्किल ने मिलकर भारतीय टीम की टाइटल स्पांसरशिर और इंडियन प्रीमियर लीग के लिए बीसीसीआई में कुल 1000 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।
16 सितंबर है आखिरी तारीख
कंपनियों को इसके लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 16 सितंबर है। बीसीसीआई ने जो बयान जारी किया है उसमें साफ कर दिया है कि आवेदक कंपनी और उससे जुड़ी कंपनियां अगर प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 में प्रतिबंधित कामों में संलिप्त होती हैं तो वह आवेदन देने की हकदार नहीं हैं।
बीसीसीआई ने साथ ही तंबाकू, शराब कंपनियों को भी आवेदन करने से दूर रखा है। बीसीसीआई ने साफ कर दिया है कि कुछ ब्रांड कैटेगरी जिनका संबंध मौजूदा स्पांसरों से हैं उन्हें ब्लॉक कर दिया जाएगा।
बीसीसीआई ने बयान में लिखा है, आवेदक अपने दूसरे ब्रांड की कंपनियों से आवेदन नहीं दे सकते। जहां तक आवेदन करने वाली कंपनी की बात है तो बीसीसीआई ने इसके लिए आर्थिक पैमाना भी तय किया है। बीसीसीआई ने कहा है कि वो कंपनियों जिनका बीते तीन साल का टर्नओवर कम से कम 300 करोड़ रुपये या आवेदक की बीते तीन साल की औसत नेट वर्थ कम से कम 300 करोड़ रुपये हो वही आवेदन कर सकती हैं।
कंपनियों को हुआ नुकसान
बीसीसीआई के साथ एक अजब संयोग भी रहा है। जिन कंपनियों ने भी टीम इंडिया के टाइटल स्पांसर का जिम्मा संभाला है वो कुछ साल में तबाही के राह पर बढ़ी हैं। फिर चाहे वो सहारा हो या स्टार स्पोर्ट्स या बायजूस। ऐसे में देखना होगा कि कौन-कौन सी कंपनियां इस बार इस जोखिम को उठाने के लिए आगे बढ़ती हैं।
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