IND vs AUS: भारतीय टीम में बड़ी सर्जरी की जरूरत, गंभीर और अगरकर को लेने होंगे बड़े फैसले
कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर को समझना होगा कि अगर वे असीमित समय तक ऐसे खिलाड़ियों का समर्थन करते रहेंगे तो टीम नहीं जीतेगी साथ ही उनकी कुर्सी पर खतरा हो जाएगा। खासकर गंभीर को अगर अपनी कुर्सी बचानी है और भारत को जिताना है तो उन्हें मुख्य चयनकर्ता और बीसीसीआई के साथ मिलकर सर्जरी करनी ही होगी।

अभिषेक त्रिपाठी, सिडनी। कुछ सीनियर खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट टीम को अपनी संपत्ति समझ लिया है। चयनकर्ता लगातार खराब फॉर्म के बावजूद उनको टीम से हटा नहीं पा रहे हैं। तीन मैचों में कुल 31 रन बनाने वाले रोहित शर्मा ने कप्तान रहते हुए सिडनी में खुद को ड्रॉप जरूर किया, लेकिन मैच के दूसरे दिन वह ये कहते नजर आए कि मैं कहीं जा नहीं रहा हूं।
पिछले पांच साल से टेस्ट में औसत से कम प्रदर्शन कर रहे विराट के प्रशंसकों को भी लगता है कि उनके स्टारडम के आगे बीसीसीआई बौना है। निश्चित तौर पर अब बीसीसीआई को ये दिखाना होगा कि देश में क्रिकेट बड़ा है या स्टार कल्चर। टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है। पिछले कुछ सालों में विराट और रोहित से बेहतर प्रदर्शन करने वाले रविचंद्रन अश्विन को अगर बीच दौरे में संन्यास लेने को मजबूर होना पड़ सकता है तो बेहद खराब फार्म में चल रहे खिलाड़ियों पर अतिरिक्त कृपा से सवाल खड़े होंगे।
कोच पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उनके नेतृत्व में भारत ने इस सत्र में 10 में से छह टेस्ट गंवाए हैं। इसके अलावा टीम को श्रीलंका में वनडे सीरीज में भी हार का सामना करना पड़ा।
एक अकेला बुमराह
इस सीरीज में सिर्फ जसप्रीत बुमराह ही अकेले ऐसे खिलाड़ी रहे जिनसे ऑस्ट्रेलियाई टीम खौफ खाती रही। उन्होंने पांच मैचों में 32 विकेट लेकर मेजबानों की नाक में दम कर दिया। पहला टेस्ट उनकी कप्तानी में ही भारत ने जीता, लेकिन रोहित के आने के बाद टीम की लय बिगड़ गई। आखिरी मैच में उन्हें कप्तानी दी गई, लेकिन यहां भी भारतीय बल्लेबाज असफल रहे। भारत की पहली पारी 185 और दूसरी पारी 157 रनों पर ऑलआउट हो गई। पहली पारी में 181 रनों पर ऑलआउट होने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दूसरी पारी में चार विकेट पर 162 रन बनाकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली।
चोट के कारण बुमराह की गैरमौजूदगी में प्रसिद्ध कृष्णा (तीन विकेट) और मोहम्मद सिराज (एक विकेट) दबाव बनाने में नाकाम रहे। बुमराह की जगह कप्तानी कर रहे विराट कोहली ने इन्हीं दोनों तेज गेंदबाजों पर भरोसा बरकरार रखा। कृष्णा और सिराज ने शुरुआत में ही इतनी खराब गेंदबाजी की कि आस्ट्रेलिया ने सिर्फ तीन ओवर में 35 रन बना लिए। ओपनर उस्मान ख्वाजा (41), ट्रेविस हेड (नाबाद 34) और पदार्पण करने वाले ब्यू वेबस्टर (नाबाद 39) की पारियों की बदौलत टीम ने 27 ओवर में ही जीत हासिल की।
बेहद खराब बल्लेबाजी
भारतीय बल्लेबाज पिछले आठ टेस्ट मैचों (इस मैच को मिलाकर) की 15 पूरी पारियों में से 12 में 80 ओवर भी नहीं खेल सके हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस सीरीज में भारत ने 9 पूरी पारी खेलीं, जिसमें सिर्फ दो में उसके बल्लेबाजों ने 80 ओवर या उससे ज्यादा बल्लेबाजी की। एडिलेड में दोनों पारी मिलाकर टीम सिर्फ 81 ओवर खेल पाई। इस सीरीज में भारतीय टीम 9 पूर्ण पारियों में से सिर्फ तीन बार 200 का आंकड़ा पार कर पाई है। इससे पहले न्यूजीलैंड के विरुद्ध तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में घर में भारत को पहली बार क्लीन स्वीप झेलना पड़ा था। भारतीय टीम ने उस सीरीज की छह पारियों में से पांच में 80 से कम ओवर खेले थे। इसमें टीम तीन पारियों में 200 का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी। बेंगलुरु में हुए पहले टेस्ट की पहली पारी में तो टीम सिर्फ 45 रनों पर आलआउट हो गई थी।
सीरीज में क्या हुआ और आगे क्या करना होगा
- नियमित कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली तकनीकी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
- विराट बाहर जाती गेंदों पर आउट हो रहे तो रोहित अभ्यास सत्र में भी ढंग से नहीं खेल पा रहे।
- तीन बार शून्य पर आउट होने के बावजूद यशस्वी जायसवाल (391) भारत के शीर्ष स्कोरर रहे।
- उनके बाद नवोदित नितीश कुमार रेड्डी (298), लोकेश राहुल (276) और ऋषभ पंत (255) हैं।
- रोहित और विराट पर निर्भरता छोड़कर टीम में कुछ अच्छे युवा खिलाड़ियों को नए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र के लिए तैयार करना चाहिए।
- भारत को अगली पांच टेस्ट की सीरीज जून-जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ उसके घर में खेलनी है।
- भारत को तीन अच्छे तेज गेंदबाज तैयार करने होंगे, सिराज से कुछ खास होने वाला नहीं।
- प्रसिद्ध कृष्णा कुछ अच्छी गेंद फेंकने के बाद लॉलीपॉप फेंक देते हैं।
- हर्षित राणा तो टेस्ट गेंदबाज हैं ही नहीं
- रवींद्र जडेजा के भविष्य के बारे में भी सोचना होगा। वह स्पिनर की जगह बल्लेबाज दिख रहे हैं।
- पुणे में वॉशिंगटन सुंदर के 12 विकेट को अलग रखा जाए तो वह बल्लेबाजी के अनुकूल विकेटों पर एक सक्षम ऑफ स्पिनर से अधिक बल्लेबाज हैं।
- जायसवाल में दम है, लेकिन उन्हें निरंतर अच्छी बल्लेबाजी करनी होगी।
- नीतीश रेड्डी ने बल्ले से दम दिखाया है लेकिन उन्हें हार्दिक पांड्या की तरह तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर बनने के लिए और विकेट लेने होंगे
कमाल के कप्तान हैं कमिंस
- ऑस्ट्रेलिया विश्व टेस्ट चैंपियनशिप जीती
- ऑस्ट्रेलिया वनडे विश्व कप जीता
- ऑस्ट्रेलिया ने एशेज सीरीज जीती
- ऑस्ट्रेलिया ने 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीती
गंभीर युग की खराब शुरुआत
गंभीर युग में भारतीय टीम को 2-0 से श्रीलंका में वनडे सीरीज में हार मिली। घर में न्यूजीलैंड के हाथों टेस्ट सीरीज में 3-0 से व्हाइट वॉश देखा। 46 रन पर भारतीय टीम अपने घर पर ऑलआउट हुई। 12 साल बाद भारतीय टीम कोई टेस्ट सीरीज हारी। 10 साल बाद ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज में शिकस्त झेली।
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