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    Gundappa Viswanath birthday special: करियर में जमाया सिर्फ 1 दोहरा शतक लेकिन रच दिया इतिहास

    By Viplove KumarEdited By:
    Updated: Fri, 12 Feb 2021 03:38 PM (IST)

    विश्वनाथ ने अपने 91 टेस्ट मैच के करियर में महज एक दोहरा शतक बनाया था लेकिन यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में दोहरा शतक बनाने वाले वह पहले भारतीय बल्लेबाज बने थे।

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    पूर्व भारतीय बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ - फोटो ट्विटर पेज

    नई दिल्ली, जेएनएन। भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही चार मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मुकाबला शनिवार 13 फरवरी से चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेला जाना है। यह मैदान उस खास हस्ती की यादगार पारी से जुड़ा है जिसे असली जेंटलमैन क्रिकेटर कहा जाता है। 12 फरवरी 1949 को कर्नाटक जिसे कभी मैसूर के नाम से जाना जाता था में जन्मे गुंडप्पा रंगनाथ विश्वनाथ आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं।

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    अपने पहले ही मैच में शतकीय पारी खेलकर सुर्खियां बटोरने वाले विश्वनाथ ऐसे एक मात्र भारतीय हैं जिन्होंने डेब्यू फर्स्टक्लास मैच में दोहरा शतक जमाया हो। भारत की तरफ से 91 टेस्ट और 25 वनडे मैच खेलने वाले इस दिग्गज बल्लेबाज को कलाई का जादूगर माना जाता था। टेस्ट में उनके नाम 14 शतकीय पारी और 222 रन की सर्वश्रेष्ठ पारी के साथ कुल 6080 रन हैं। वनडे में उनका करियर कुछ खास नहीं रहा और 19 की औसत से उन्होंने महज 439 रन ही बनाए।

    पहला और आखिरी दोहरा शतक इतिहास के पन्नों में दर्ज

    विश्वनाथ ने अपने 91 टेस्ट मैच के करियर में महज एक दोहरा शतक बनाया था लेकिन यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में दोहरा शतक बनाने वाले वह पहले भारतीय बल्लेबाज बने थे। 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ 374 गेंद पर 222 रन की पारी खेली थी। इस पारी में उन्होंने 39 चौके लगाए थे और स्ट्राइक रेट 59.36 का रहा था। यह मैच ड्रॉ रहा था।  

    मैच हारा लेकिन खेल भावना से विश्वनाथ ने जीता दिल

    साल 1979-80 में भारत के दौरे पर आई इंग्लैंड की टीम के बल्लेबाज बॉब टेलर मुंबई टेस्ट में अंपायर द्वारा आउट करार दिए गए थे। कपिल देव की गेंद पर गेंद बॉब के बल्ले के पास के गुजरी और अंपायर ने उनको कैच आउट करार दिया। विश्वनाथ ने इस फैसले के विरुद्ध जाकर खेल भावना का परिचय देते हुए बॉब के वापस बल्लेबाजी के लिए बुलाया। 

    बॉब ने इयान बॉथम के साथ 171 रन की साझेदारी निभाई और अंत में भारतीय टीम को इस मैच में 10 विकेट से हार मिली। मैच हारने के बाद भी विश्वनाथ के इस फैसले ने सबका दिल जीत लिया और यह घटना इंटरनेशनल क्रिकेट में एक मिसाल बन गई।