Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    EXCLUSIVE INTERVIEW: विराट कोहली की जगह मैं होता तो शादी नहीं करता : शोएब अख्तर

    By Sanjay SavernEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jan 2022 09:47 AM (IST)

    शोएब अख्तर ने कहा कि कोहली ने छह-सात साल कप्तानी की लेकिन मैं उसकी कप्तानी के पक्ष में नहीं था। मैं चाहता था वह बस 100 120 रन बनाता रहे। वह सिर्फ अपनी ...और पढ़ें

    Hero Image
    पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर (एपी फोटो)

    पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर और पूर्व भारतीय कप्तान विराट कोहली दोनों ही मैदान में आक्रामक रहे हैं। अख्तर को लगता है कि विराट ऐसे क्रिकेटर हैं जिसे सिर्फ अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देकर कम से कम 120-130 टेस्ट में ज्यादा से ज्यादा रन बनाने चाहिए थे। अगर मैं कोहली की जगह होता तो इतनी जल्दी शादी नहीं करता। इसका असर प्रदर्शन पर पड़ता है। मस्कट में लीजेंड्स लीग क्रिकेट में भाग ले रहे शोएब अख्तर ने अभिषेक त्रिपाठी से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    - लीजेंड्स लीग के बारे में आपका क्या विचार है?

    - यह अच्छा कांसेप्ट है। मुझे अच्छा लग रहा है। पुराने साथियों के साथ फिर जुड़ने का मौका मिला। अच्छी बात यह है कि सभी गंभीर क्रिकेट खेल रहे हैं।

    -पाकिस्तान में एक समय इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे तेज गेंदबाज कप्तान होते थे। हाल ही में पैट कमिंस को आस्ट्रेलिया की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन जसप्रीत बुमराह कप्तान के तौर पर बीसीसीआइ की पहली प्राथमिकता नहीं हैं?

    -- ऐसा समझा जाता है कि बल्लेबाज, तेज गेंदबाज की तुलना में ज्यादा समझदार होते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है। क्षमता और प्रेरणा तेज गेंदबाजों में ज्यादा होती है क्योंकि वे जल्द से जल्द विकेट लेकर मैच खत्म करना चाहते हैं। तेज गेंदबाज आक्रामक मानसिकता के होते हैं। मेरा हमेशा मानना रहा है कि बल्लेबाज रक्षात्मक मानसिकता के होते हैं। मेरे ख्याल से यह गलत चलन चल रहा है। पाकिस्तान और भारत ने 1980-90 में तेज गेंदबाजों को कप्तान बनाने का चलन शुरू किया था। कपिल देव तेज गेंदबाज थे, लेकिन उन्होंने कप्तानी की और विश्व कप जिताया। क्रिकेट का रंग छीन लिया गया है। प्रतिबंध लगाकर तेज गेंदबाज को क्रिकेट से दूर किया गया है। आजकल इसीलिए क्रिकेट नीचे जा रहा है। कमिंस अच्छे उदाहरण हैं, लेकिन आपको मजा नहीं आ रहा है। जो इस मजा को खत्म कर रहे हैं उनसे सवाल किए जाने चाहिए।

    - ऐसा क्या है कि विश्व में अच्छे तेज गेंदबाज देखने को नहीं मिल रहे हैं?

    -- विश्व को सामान्य लोग पसंद हैं। इसे छाप देना। औसत बंदे से किसी को डर नहीं लगता, लेकिन जो असाधारण बंदा होता है उससे पूरी दुनिया डरती है और उसे मंजूर नहीं करेगी। ना उसको ऊपर आने देगी। अगर वह ऊपर आया तो सिस्टम ठीक करेगा। वह चरित्र लाएगा। चरित्र ठीक होंगे तो लोग उस चीज की पूजा करेंगे। ऐसा होगा तो फिर उसके प्रशंसक बढ़ेंगे।

    -जैसे आपने असाधारण व्यक्तित्व की बात की तो क्या विराट कोहली को भी असाधारण होने के कारण तीनों प्रारूपों की कप्तानी छोड़नी पड़ी?

    -- वो तो सभी को पता है उसके साथ क्या हो रहा है और कौन कर रहा है। सबको पता है और उसको मेरे मुंह से कुछ उगलवाने की जरूरत नहीं है। उसने छह-सात साल कप्तानी की। मैं उसकी कप्तानी के पक्ष में नहीं था। मैं चाहता था वह बस 100, 120 रन बनाता रहे। वह सिर्फ अपनी बल्लेबाजी पर तवज्जो दे। मैं उसकी जगह होता तो शादी भी नहीं करता। मैं बस सिर्फ रन बनाता। अपने क्रिकेट का मजा लेता। ये जो 10-12 साल होते हैं यह अलग समय होता है। यह दोबारा नहीं आता। मैं यह नहीं कह रहा कि उन्होंने शादी करके कुछ गलत किया। कप्तानी भी मैं इसलिए नहीं करता क्योंकि क्रिकेटर के तौर पर मेरे पास कम समय था तो मैं उस वक्त का आनंद लेता। आप भारत की तरफ से खेल रहे हो, वहां मैंने कोलकाता में एक आइपीएल का मैच जिता दिया तो मुझे सिर पर उठा लिया था। भारत में प्रशंसकों की दीवानगी बहुत होती है। कोहली को प्रशंसकों से मिल रहे लाड़ को 20 साल तक बरकार रखना था। कप्तानी में क्या रखा है।

    - वाकई में कप्तानी, शादी और परिवार का दबाव क्या क्रिकेट पर पड़ता है?

    -- बिलकुल पड़ता है। बच्चों का, परिवार का दबाव होता है। जिम्मेदारी बढ़ती है तो दबाव भी पड़ता है। क्रिकेटरों का करियर छोटा सा होता है 14-15 वर्षों का जिसमें आप शिखर पर पांच-छह साल रहते हो। विराट के वे साल बीत गए, अब उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। अब उन्हें दिखाना पड़ रहा है कि मैं किसी से बड़ा हूं। अब यह समय है जहां कोहली को दोबारा कोहली बनना है। इसमें यह भी दिक्कत है कि अगर वह यहां पर ज्यादा ट्राई कर गए तो ढह भी सकते हैं। कप्तान के तौर पर आपको बहुत ज्यादा सोचना पड़ता है। मैं शादी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मेरा मानना है खेल के समय खेलो। कोई जिम्मेदारी नहीं, खुलकर खेलो। बैग उठाया, खेले, आउट किया, मुंह तोड़े, घर गए, मस्ती की, सो गए। मैंने जब क्रिकेट से संन्यास लिया तब शादी की। कप्तान के तौर पर आपको सिर्फ टीम नहीं, मीडिया, ब्रांड, आरोप सबको झेलना होता है। आज के दौर में जितनी कम जिम्मेदारी लेकर मैदान पर जाओ अच्छा है। इंग्लैंड की कप्तानी करना आसान हैं, भारत की कप्तानी करना बहुत मुश्किल है।

    - किसी को तो कप्तान बनना पड़ेगा?

    -- हां, मेरे खयाल से रोहित शर्मा फिलहाल उपयुक्त पसंद होंगे। अगर वह इस दबाव के आगे झुकते नहीं है तो अच्छा है।