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    EXCLUSIVE: केन विलियमसन मैदान पर ही हमारी गलती सुधार देते हैं : सिद्धार्थ कौल

    By Sanjay SavernEdited By:
    Updated: Wed, 26 May 2021 07:46 PM (IST)

    सिद्धार्थ कौल ने कहा कि मैं मार्च 2019 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 मैच में भारत के लिए अंतिम बार खेला था। उसके बाद मेरा चयन नहीं हो पाया। मेरी यही सोच रही है कि चाहे घरेलू क्रिकेट खेलूं या आइपीएल मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूं।

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    टीम इंडिया के तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल (एपी फोटो)

    भारतीय टीम को 18 जून से न्यूजीलैंड के खिलाफ साउथैंपटन में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेलना है। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज। इसी दौरान जुलाई में श्रीलंका में सीमित ओवर की सीरीज भी होगी। चूंकि मुख्य टीम इंग्लैंड के दौरे पर होगी तो श्रीलंका दौरे पर युवा खिलाड़ियों और आइपीएल के सितारों को मौका मिलेगा। तीन टी-20 और तीन वनडे खेलने वाले पंजाब व सनराइजर्स हैदराबाद के तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल की निगाहें भी टीम इंडिया में वापसी पर हैं। केन विलियमसन की कप्तानी में आइपीएल में खेल रहे सिद्धार्थ कौल से अभिषेक त्रिपाठी ने कई मुद्दों पर बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-

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    -आपकी तैयारियां कैसी चल रही हैं और आगे का लक्ष्य क्या है?

    --कोविड की वजह से अभी हम कहीं बाहर नहीं जा सकते तो जो भी घर में उपलब्धत है वह कर लेते हैं, जैसे मेरे घर में जिम है, तो अभ्यास कर लेता हूं। साइकिल चलाता हूं। घर से बिलकुल सटा हुआ एक छोटा सा पार्क है तो उसमें बीप टेस्ट या यो-यो टेस्ट हो जाता है। दिमाग में यह जरूर है कि अगर चयनकर्ता श्रीलंका दौरे के लिए मेरा चयन करते हैं तो उसकी तैयारी एक या दो जून से शुरू कर दूंगा। यदि पंजाब क्रिकेट संघ अनुमति देगा तो वहां जाकर तैयारी करूंगा या जहां की भी अनुमति मिलेगी वहां अभ्यास करूंगा।

    -श्रीलंका दौरा आपके और युवा खिलाड़ियों के लिए कितना अहम रहेगा, क्योंकि ऐसे मौके कम आते हैं जब सारे सीनियर खिलाड़ी एक दौरे पर हों और दूसरे पर युवाओं को जाने को मिले?

    --सभी के लिए यह दौरा अहम होगा, क्योंकि सबका लक्ष्य देश के लिए खेलना ही होता है। जब आप घरेलू स्तर पर या आइपीएल या इंडिया-ए खेलकर आते हैं और आपको देश के लिए प्रदर्शन करने का मौका मिलता है तो ये आपकी कई सालों की मेहनत का परिणाम होता है। निश्चित रूप से अगर मुझे मौका मिलेगा तो मेरे लिए यह टीम इंडिया में वापसी का मौका होगा। मैं मार्च 2019 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 मैच में भारत के लिए अंतिम बार खेला था। उसके बाद मेरा चयन नहीं हो पाया। लेकिन, मेरी यही सोच रही है कि चाहे घरेलू क्रिकेट खेलूं या आइपीएल, या इंडिया-ए, या सीनियर इंडिया टीम के लिए खेलूं, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूं। हालांकि, कई बार परिस्थितियां आपके अनुकूल नहीं हो पातीं और आप अपनी टीम को वो नहीं दे पाते जो वह चाहती है।

    -आपने तीन वनडे और तीन टी-20 खेले। अब आप दोबारा टीम में आने के लिए दरवाजा खटखटा रहे हैं। भारत का वर्तमान तेज गेंदबाजी आक्रमण बहुत शानदार है। अब टीम में आना और टिके रहना कितना मुश्किल है?

    --जब मेरा चयन हुआ था तब टीम में बुमराह, भुवी, हार्दिक पांड्या, विजय शंकर भी थे, इसलिए ऐसा नहीं है कि मेरा चयन हुआ था तब खिलाड़ी नहीं थे। तब भी खिलाड़ी थे और मैंने प्रदर्शन किया। मेरा यह मानना है कि मुझे कुछ अलग नहीं करने की जरूरत है। मैं बस अपने बेसिक्स और ज्यादा मजबूत करता रहूंगा और विकेट लेता रहूंगा। जैसे अपनी यॉर्कर और नक्कल बॉल पर मैं और ज्यादा निरंतरता रहा हूं। मेरी ऑफ कटर अब और बेहतर होने लगी है। अब ध्यान इस पर है कि उसको और ज्यादा कैसे इस्तेमाल करूं। 

    -टी-20 के कारण तेज गेंदबाजों के लिए विविधता की कितनी अहमियत हो गई है?

    --विविधता होनी इसलिए अहम है क्योंकि अब बल्लेबाज भी विविधता वाले हो गए हैं। आपने देखा होगा कि टेस्ट मैच में रिषभ पंत ने तेज गेंदबाज पर रिवर्स स्वीप मार दिया। टी-20 से उसे इतना विश्वास मिला कि उसने उस शॉट को टेस्ट मैच में भी मारा। उसने वह शॉट तब लगाया जब उसे यह विश्वास हो गया कि मैं गेंदबाज के ऊपर हावी हूं और गेंदबाज ये चीज नहीं सोच रहा होगा कि वह उस शॉट को खेलेगा। वह साल का सर्वश्रेष्ठ शॉट भी बन गया। इसलिए जब बल्लेबाज अपने शॉट में इतनी विविधता लेकर आता है तो गेंदबाजों को भी अपने लिए नए-नए हथियार लेकर आने होते हैं। मेरे हिसाब से अहम यह है कि आप अपने हथियारों को अच्छे से इस्तेमाल करें। 

    -विश्व टेस्ट चैंपियनशिप होना क्रिकेट के लिए और खासतौर से टेस्ट क्रिकेट के लिए कितना अहम है?

    --टेस्ट क्रिकेट में हर चीज का टेस्ट होता है। आपके धैर्य का टेस्ट होता है, आपकी मनोस्थिति का टेस्ट होता है, आपकी क्षमताओं का टेस्ट होता है, फिटनेस का टेस्ट होता है, तो मेरे हिसाब से टेस्ट क्रिकेट सबसे अहम है। अब इसमें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप भी आ गई है। असल में टी-20 इतना ज्यादा हो गया था कि लगने लगा था कि टेस्ट क्रिकेट कहीं गायब ही ना हो जाए, इसलिए टेस्ट को और ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप को लाया गया है। मेरा भी लक्ष्य यही है कि मैं देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलूं। तीनों प्रारूपों में खेलूं। ये नहीं हो कि एक ही प्रारूप का गेंदबाज रहूं। 

    -आप केन विलियमसन के साथ सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलते हैं। आपने उन्हें बहुत पास से देखा है। एक कप्तान और इंसान के तौर पर वह आपको कैसे लगते हैं? वह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भारत के खिलाफ न्यूजीलैंड की कप्तानी करेंगे?

    --उनकी कप्तानी की मैं किसी से भी तुलना नहीं करूंगा, क्योंकि हर कोई अलग होता है। हर कोई अपने हिसाब से खिलाडि़यों को सहज रखता है। कोई गेंदबाजों को पूरी आजादी देता है तो कोई समझाता है कि ये चीज करनी चाहिए। विलियमसन बड़े शांत स्वभाव के हैं। वह आपको स्वतंत्रता देते हैं और पूछते हैं कि अगले मैच के लिए आपकी क्या तैयारी हैं। जब मैदान में हम गलती भी करते हैं तो वह उसी समय उसे सुधार देते हैं। ये उनकी एक खासियत है। ओवर खत्म होने के बाद वह जरूर बताते हैं कि ये गलतियां हुई और अगले ओवर में कोशिश करना कि ये गलतियां नहीं हों। ये उनकी सफल कप्तानी का एक प्लस प्वाइंट है। 

    -ऐसी और कौन सी चीज है जो उन्हें विश्व के सर्वोच्च कप्तानों में शुमार करती है?

    --जब आप इतने उच्च स्तर पर खेलते हो तो आपका अलग-अलग चीजों पर फोकस रहता है। अलग टेंपरामेंट हो जाता है क्योंकि आप इतने बड़े-बड़े खिलाडि़यों के साथ बातचीत करते हो, उनका अनुभव लेते हो, अपना अनुभव डालते हो, फिर आप आइपीएल में अलग-अलग खिलाडि़यों से मिलते हो तो आपको अलग-अलग चीजें मिलती रहती हैं। मैं अंडर-19 विश्व कप से उनके साथ खेल रहा हूं। धीरे-धीरे वह भी परिपक्व होते गए। जब उन्हें पूरी तरह से कप्तानी मिली तो उन्होंने कई चीजें अपने में विकसित कीं। हर कोई अपने हिसाब से करता है, लेकिन विलियमसन उस चीज पर खरे उतरे हैं, इसलिए उनकी तारीफ होती है। 

    -आइपीएल का भारतीय खिलाड़ियों को और खुद आपको कितना फायदा मिला?

    --आइपीएल में खेलना बहुत बड़ा अनुभव है। आप बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं। जब हम अंडर-19 विश्व कप जीतकर आए थे तो उसके बाद 19 साल की उम्र में मुझे सौरव गांगुली, रिकी पोंटिंग, शोएब अख्तर, उमर गुल, अशोक डिंडा जैसे खिलाड़ियों के साथ खेलने और ड्रेसिंग रूम शेयर करने का मौका मिला। जब आपको इतने बड़े-बड़े खिलाडि़यों के साथ खेलने का मौका मिलता है तो आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है, आप अपने खेल में क्या सुधार कर सकते हो, किस लेंथ पर गेंद डाल सकते हो, इस स्तर पर बने रहने के लिए आप किस चीज में सुधार कर सकते हो, ऐसे दिग्गज खिलाड़ियों के साथ ऐसी बड़ी-बड़ी बातें आपको पता चलती हैं। आइपीएल के आने से हमें यह पता चला कि दुनिया भर के खिलाड़ियों के खेलने के तरीके, उनकी मानसिकता, उनके काम के तरीके आदि के बारे में पता चला।