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    गांगुली को देखते ही उनकी प्रतिभा पहचान ली थी अरुण लाल ने, कहा- वो क्रिकेट खेलने के लिए ही जन्मे थे

    By Sanjay SavernEdited By:
    Updated: Fri, 17 Jul 2020 10:02 PM (IST)

    अरुण लाल ने कहा- 1992 में वनडे मैच से भारतीय टीम में पदार्पण के बाद वापसी के लिए चार साल की प्रतीक्षा ने सौरव को परिपक्व क्रिकेटर बनाया। ...और पढ़ें

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    गांगुली को देखते ही उनकी प्रतिभा पहचान ली थी अरुण लाल ने, कहा- वो क्रिकेट खेलने के लिए ही जन्मे थे

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पूर्व क्रिकेटर व बंगाल रणजी टीम के कोच अरुण लाल ने कहा कि सचिन तेंदुलकर की तरह सौरव गांगुली भी क्रिकेट खेलने के लिए ही जन्मे थे। लाल ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा- 'मैंने सौरव को 16-17 साल की उम्र में सीसीएफसी ग्राउंड में एक प्रदर्शनी मैच में बल्लेबाजी करते देखा था। सौरव उस मैच में आराम से छक्के लगा रहे थे।उन्होंने छ -सात छक्के लगाए थे और तभी मुझे मालूम हो गया था कि वे बहुत अलग हैं। मैं इस बात को लेकर हमेशा ही निश्चित था कि इस लड़के को कोई रोक नहीं पाएगा।'

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    अरुण लाल ने आगे कहा- '1992 में वनडे मैच से भारतीय टीम में पदार्पण के बाद वापसी के लिए चार साल की प्रतीक्षा ने सौरव को परिपक्व क्रिकेटर बनाया। अगर उस समय वे टीम से बाहर नहीं हुए होते तो उस जगह पर नहीं पहुंच पाते,जहां वे आज हैं। उनके खेल में परिपक्वता आई। वे टीम के कप्तान बने और आज बीसीसीआइ का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि सौरव का सर्वोत्तम देखना अभी बाकी है। उनके सर्वोत्तम साल अभी आने वाले हैं। 

    आपको बता दें कि सौरव गांगुली को साल 2000 में टीम इंडिया की कप्तानी सौंपी गई थी जिस वक्त भारतीय टीम बुरे दौर से गुजर रही थी। मैच फिक्सिंग के मामले में टीम की काफी बदनामी हुई थी और क्रिकेट फैंस टीम को शक भरी निगाहों से देखने लगे थे। इस मुश्किल हालात में सौरव ने एक नई टीम खड़ी की और भारतीय क्रिकेट की साख वापस लाई। 

    गांगुली ने अपनी कप्तानी में वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान, मोहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ियों को मौका दिया जो भारत के लिए विजेता साबित हुए। गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया 2003 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में भी पहुंची थी, लेकिन टीम जीत नहीं पाई। उनकी कप्तानी में टीम में नया आत्मविश्वास आया और टीम ने विदेशी धरती पर भी जीतना सीखा।