'10,000 रुपये का जुर्माना...', Sachin Tendulkar ने 2011 वर्ल्ड कप में ऐसा रवैया क्यों रखा? Suresh Raina ने किया बड़ा खुलासा
भारतीय टीम ने 2011 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। सुरेश रैना ने बताया कि टूर्नामेंट के दौरान महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने खिलाड़ी पर 10000 रुपये का जुर्माना लगाने का एक नियम तय किया था। रैना ने कहा कि भारतीय टीम बेहद दबाव में थी और तेंदुलकर के इस प्रयास से सभी एकजुट रहे। भारत ने 28 साल के बाद वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किया था।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडर सुरेश रैना ने एक मजेदार खुलासा किया। उन्होंने बताया कि महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने एक नियम बनाया, जिससे टीम 2011 वर्ल्ड कप के दौरान एकजुट रही।
सुरेश रैना ने यूट्यूबर रणवीर अलाहबादिया के शो ताकत में शिरकत करके यह किस्सा बताया। रैना ने बताया कि सचिन तेंदुलकर ने एक नियम बनाया कि सभी टीम के साथी सुबह 7:45 पर एकसाथ नाश्ता करेंगे और अगर कोई देरी से आया तो उसे 10,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा।
रैना ने क्या कहा
2011 वर्ल्ड कप की जीत बहुत स्पेशल थी। हम दो-तीन साल से तैयारी कर रहे थे। सचिन तेंदुलकर और गैरी कर्स्टन ने जिस तरह का माहौल बनाया था कि टीम में हर किसी को एक-दूसरे की इज्जत करनी है, चाहे नतीजा कुछ भी हो। हर किसी के लिए खड़े होना बेहद जरूरी था। सचिन तेंदुलकर ने नियम बनाया था कि 2011 वर्ल्ड कप टीम के सदस्य सुबह 7:45 बजे एकसाथ नाश्ता करेंगे। अगर कोई देरी से आया तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
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तेंदुलकर ने बढ़ाया टीम का हौसला
सुरेश रैना ने साथ ही बताया कि कैसे घर में वर्ल्ड कप होने के कारण टीम दबाव में थी। उन्होंने साथ ही कहा कि जब भारत को दक्षिण अफ्रीका से शिकस्त मिली तब सचिन तेंदुलकर ने टीम बैठक में सभी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया था। उन्होंने कहा कि टीम अपनी गलतियों से सबक लेगी और इसे नहीं दोहराएगी व खिताब जीतेगी। आगे ऐसा ही हुआ।
पाकिस्तान के खिलाफ पता था...
भारत और पाकिस्तान के बीच 2011 वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मैच मोहाली में खेला गया था। इस मैच के बारे में बात करते हुए रैना ने बताया कि मेजबान टीम जानती थी कि 260-270 रन का स्कोर पर्याप्त होगा।
2011 वर्ल्ड कप में हमारा पाकिस्तान के खिलाफ मैच था। हमें पता था कि अगर 260-270 रन बना लिए तो हम उन्हें इतना स्कोर बनाने नहीं देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे पास दबाव सोखने वाले खिलाड़ी थे। हमारे पास कैप्टन कूल थे। हमारे पास वर्ल्ड क्लास गेंदबाज थे। हमें बस उन्हें गलत शॉट खेलने के लिए बाध्य करना था। यह शानदार फील्डिंग, थ्रो करना, बेहतरीन ऊर्जा या आंख से आंख मिलाने के बारे में था। हम तब तक नीचे नहीं देखेंगे जब तक मैच खत्म न हो और जब उनके खिलाफ खेले तो आंख में आंख डालकर देखना है।
पता हो कि भारत ने 28 साल का सूखा खत्म करते हुए वर्ल्ड कप खिताब जीता था। इससे पहले 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप खिताब जीता था।
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