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    महेंद्र सिंह धौनी इस अपील की वजह से सोशल मीडिया पर हो गए ट्रोल

    धौनी एक तस्वीर में अपनी तरफ से तो पेड़ बचाने का संदेश दे रहे हैं लेकिन इसके इंटरनेट मीडिया में आते ही उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। बता दें कि यह संदेश स्लीपर पर लिखा होने के कारण ही उन्हें कुछ लोगों ने ट्रोल किया है।

    By Viplove KumarEdited By: Updated: Sun, 27 Jun 2021 07:00 AM (IST)
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    भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी- फोटो ट्विटर पेज

    रोहित नागपाल, शिमला। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी इन दिनों खेल के मैदान से दूर हैं लेकिन चर्चा में फिर भी आ गए हैं। अपने नए लुक कि वजह से सुर्खियां बटोरने वाले धौनी अब किसी और वजह से लोगों की नजर में हैं। देश को क्रिकेट के दो विश्वकप दिलाने वाले पूर्व कप्तान अपने शिमला दौरे के दौरान इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट डालने के बाद ट्रोल हो गए।

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    उन्होंने शिमला के मीना बाग होम स्टे में फोटो खिंचवाई। इस फोटो में लकड़ी के बने शेड पर लगे स्लीपर पर संदेश दिया है कि 'प्लांट ट्री, सेव फारेस्ट'।

    इस फोटो में धौनी अपनी तरफ से तो पेड़ बचाने का संदेश दे रहे हैं, लेकिन इसके इंटरनेट मीडिया में आते ही उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। बता दें कि यह संदेश स्लीपर पर लिखा होने के कारण ही उन्हें कुछ लोगों ने ट्रोल किया है। कुछ ने तो यहां तक कहा कि यह तो ऐसा ही हो गया कि तंबाकू बेचने वाली कंपनी कैंसर अस्पताल बनाने का काम कर रही है। हालांकि रतनाड़ी में अधिकतर घर लकड़ी से ही बनाए जाते हैं।

    धौनी अपने शिमला दौरे के दौरान हिमाचली टोपी में खूब दिखे। उनके साधारण व्यवहार से लोग भी काफी प्रभावित रहे। धौनी यहां तीन होम स्टे में रुके। पहले दिन धौनी राजधानी शिमला के मेहली स्थित होम स्टे में रुके तो दूसरे दिन कनलोग में शिफ्ट हो गए। इसके बाद परिवार और दोस्तों के साथ रतनाड़ी के मीना बाग होम स्टे में शिफ्ट हुए। शिमला दौरे का अधिकतर समय उन्होंने वहीं बिताया।

    टीडी पालिसी के तहत मिलती है घर के लिए लकड़ी :

    हिमाचल प्रदेश के गांव में रहने वाले लोगों के लिए टिंबर टू राइट होल्डर (टीडी) पालिसी बनाई है। इसके तहत घर बनाने के लिए वनों से लकड़ी दी जाती है। हालांकि इस पालिसी को अंग्रेजों के समय में बनाया था। प्रदेश सरकार ने 2013 में इसे संशोधित कर नई पालिसी बनाई थी। इसके तहत हरे पेड़ नहीं, बल्कि वनों में गिरे पेड़ों की लकड़ी दी जाती है।