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इरफान पठान का खुलासा- 2007 वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद द्रविड़ उन्हें और Dhoni को कहां लेकर गए थे

इरफान पठान ने टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ के बारे में बताया कि वो किस तरह के इंसान हैं। पठान ने साल 2007 वनडे वर्ल्ड कप का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से उन्होंने मेरी और धौनी की मायूसी दूर की थी।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 03 Jul 2021 08:33 PM (IST)Updated: Sun, 04 Jul 2021 06:59 AM (IST)
इरफान पठान का खुलासा- 2007 वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद द्रविड़ उन्हें और Dhoni को कहां लेकर गए थे
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान धौनी व द्रविड़ (एपी फोटो)

नई दिल्ली, जेएनएन। साल 2007 वनडे वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को पहले ही राउंड में बुरी तरह से हार मिली और टीम इस टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी। इस साल मैन इन ब्लू श्रीलंका के हाथों हारकर दूसरे राउंड में नहीं पहुंच पाई थी। साल 2003 में गांगुली की कप्तानी में भारत फाइनल तक पहुंची थी ऐसे में 2007 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टीम से बड़ी आशा थी, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम की जर्नी सिर्फ तीन मैच से बाद ही खत्म हो गई थी। इस साल भारत को पहले मैच में बांग्लादेश ने हरा दिया तो फिर भारत ने वापसी करते हुए बरमुडा को 257 रन से हराया था, लेकिन तीसरे मैच में श्रीलंका के हाथों हारकर टीम इंडिया बाहर हो गई। 

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अब टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंर इरफान पठान ने साल 2007 वनडे वर्ल्ड कप के बारे में स्टार स्पोर्ट्स पर बात करते हुए कहा कि, वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद कप्तान राहुल द्रविड़ उन्हें और एम एस धौनी का मनोबल बढ़ाने के लिए हिन्दी मूवी दिखाने ले गए थे। पठान ने कहा कि, जिस वक्त द्रविड़ टीम इंडिया के कप्तान थे उस वक्त भी वो युवा खिलाड़ियों के साथ काफी क्लीयर रहते थे। अगर किसी को कोई भी परेशानी होती थी तो वो उनके पास जा सकता था और अपनी परेशानी के बारे में खुलकर बात कर सकता था। 

पठान ने कहा कि, जब हम 2007 वर्ल्ड कप से बाहर हो गए तब राहुल द्रविड़ मेरे और धौनी के पास आए। उन्होंने कहा कि, देखो हम सभी अपसेट हैं चलो मूवी देखने चलते हैं। जब हम मूवी देखने गए तब उन्होंने हम दोनों से कहा कि, हां हम वर्ल्ड कप हार गए। हम सभी एक बड़ा बदलाव लाना चाहते थे लेकिन ये इसका अंत नहीं है। जीवन बहुत बड़ा है और हम कल वापस आएंगे। वो इस तरह के चरित्र के व्यक्ति हैं और वो हमेशा क्रिकेटरों को सकारात्मक सोच में रखना चाहते हैं। इसलिए अगर कोई दुर्भाग्य से श्रीलंका में फॉर्म से बाहर हो जाता है तो वो उसका मार्गदर्शन करने और आत्मविश्वास देने वाले पहला व्यक्ति होंगे। 


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