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    आस्ट्रेलिया में रोजगार दे रहा भारत का 'ड्रापआउट चायवाला', पढ़ाई में फेल हुए तो मेलबर्न में खोल लीं तीन दुकानें

    By Abhishek TripathiEdited By: Sanjay Savern
    Updated: Sun, 06 Nov 2022 10:50 PM (IST)

    ड्रापआउट और चाय के संगम पर सौम्य स्वभाव वाले संजीत ने कहा पिता चाहते थे कि मैं विदेश में पढूं। 2019 में मैं यहां पढ़ने आया। मन नहीं लगने के कारण मुझे ...और पढ़ें

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    भारतीय ड्रापआउट चायवाला संजीत कोंडा (फोटो- दैनिक जागरण)

    अभिषेक त्रिपाठी, मेलबर्न। काफी के लिए प्रसिद्ध आस्ट्रेलियाई राजधानी मेलबर्न में इन दिनों चाय पर चर्चा हो रही है। इसका श्रेय जाता है भारतीय ड्रापआउट चायवाला को। जब मैं मेलबर्न के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) की एलिजाबेथ स्ट्रीट में पहुंचा तो वहां 'ड्रापआउट चायवाला' के बोर्ड ने सभी भारतीयों की तरह मुझे भी आकर्षित किया। इस दुकान में कटिंग चाय, मसाला चाय, आलू पेटीज और समोसा मिलते देख मन प्रसन्न हो गया। आंध्र प्रदेश में जन्मे और बेंगलुरु में 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले 22 वर्षीय संजीत कोंडा के पिता ने उन्हें विदेश में बैचलर आफ बिजनेस की पढ़ाई करने भेजा था। दो साल के कोर्स के बाद वे ड्रापआउट हो गए और अब यहां अपना स्टार्टअप खड़ा कर दिया है।

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    ड्रापआउट और चाय के संगम पर सौम्य स्वभाव वाले संजीत ने कहा, 'पिता चाहते थे कि मैं विदेश में पढूं। 2019 में मैं यहां पढ़ने आया। मन नहीं लगने के कारण मुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इससे पहले मां कुछ समय के लिए यहां आई थीं। उन्हें चाय बहुत पसंद है, लेकिन यहां कोई दुकान नहीं थी। मेरा मन बिजनेस करने का था, तो सोचा कि चलो इसमें ही हाथ आजमाते हैं। मैं ड्रापआउट था, इसलिए चायवाला के आगे उसको लगा लिया।' तीनों दुकानों को खोलने में पांच लाख आस्ट्रेलियन डालर (2.6 करोड़ रुपये) का निवेश हुआ। अभी प्रति माह 50 हजार आस्ट्रेलियन डालर (26 लाख रुपये) का फायदा हो रहा है।

    पहले बड़ी बातें हुईं : संजीत बताते हैं, 'शुरुआत में दोस्तों और रिश्तेदारों ने खूब बातें बनाईं। हालांकि, एक साल के अंदर हमें निवेशक मिल गया और हमने दो बड़ी दुकानें और एक ट्रक में चलने वाली दुकान खोल ली। अगले साल सिडनी और फिर आस्ट्रेलिया के हर बड़े शहर में इसे खोलने की योजना है। हम इसे आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय ब्रांड बनाना चाहते हैं। हमें एपेक बिजनेस अवार्ड की तरफ से मोस्ट आथेंटिक स्ट्रीट चाय प्रोवाइडर का अवार्ड और इनोवेटिव बिजनेस अवार्ड भी मिला है।'

    मेरे अलावा सब ग्रेजुएट : संजीत मुस्कुराते हुए बताते हैं, 'मुझे छोड़कर यहां काम कर रहे बाकी सब ग्रेजुएट हैं। हमने सोचा था कि सिर्फ भारतीय आएंगे। लेकिन आस्ट्रेलियाई, चीनी, वियतनामी, एशिया और यूरोप के कई देशों के लोग क¨टग और मसाला चाय पीने आते हैं। स्वाद बनाए रखने के लिए चाय भारत से ही आयात की जाती है।'