Move to Jagran APP

Sunil Gavaskar: मेरे नाम का गलत उपयोग कर बेचे जाते थे बल्ले- सुनील गावस्कर

उन दिनों अनुबंध बहुत सरल थे और खिलाड़ियों ने विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए हस्ताक्षर किए थे। कहीं भी वे या यहां तक कि बीसीसीआइ भी इस बात पर सहमत नहीं थे कि ब्राडकास्टर द्वारा किसी भी मैच के मुख्य अंशों का बार-बार उपयोग करें।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 27 Nov 2022 07:15 AM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 07:15 AM (IST)
Sunil Gavaskar: मेरे नाम का गलत उपयोग कर बेचे जाते थे बल्ले- सुनील गावस्कर
टीम इंडिया के पूर्व ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर (एपी फोटो)

सुनील गावस्कर का कालम

loksabha election banner

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। दिल्ली हाई कोर्ट ने सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों (नाम, आवाज, छवि, समानता और अन्य विशेषताओं के व्यावसायिक उपयोग) को लेकर जो फैसला सुनाया है वो बढि़या और जरूरी है। यह सभी को राह दिखाने वाला है क्योंकि अब सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोग अपने व्यक्तित्व अधिकारों को संरक्षित रख सकेंगे जिनका पहले काफी हद तक हनन किया जा रहा था।

मेरे करियर के शुरुआती दिनों में मेरा पहला अनुभव था कि कैसे एक नाम का उपयोग उपयोगकर्ता पर बिना किसी दायित्व के किया जा सकता है। यह कुछ बल्ला निर्माताओं द्वारा मेरे नाम का उपयोग करने के मामले में था। इसमें जानबूझकर मेरा नाम थोड़ा अलग तरह से लिखा गया था। इस बल्ले को मेरे नाम की गलत स्पेलिंग लिखकर मेरा आटोग्राफ बताकर बेचा जा रहा था। जाहिर था कि वो मेरा हस्ताक्षर नहीं था। कानूनी तौर पर मैं इस पर कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि नाम की स्पेलिंग अलग थी और हस्ताक्षर भी अलग था और मुझे सलाह दी गई थी कि ऐसा करना समय की बर्बादी होगी क्योंकि ऐसे बल्लों की बिक्री ज्यादा नहीं होती।

हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह किस तरह विकसित होगा। 83 फिल्म के निर्माण के दौरान, उस टीम के खिलाड़ी इस बात से चकित थे कि टीवी चैनलों द्वारा खिलाड़ियों से जांच किए बिना कितनी बार हाइलाइट्स दिखाए गए। ब्राडकास्ट अधिकारों से पहले के युग में खेलने वाली टीमों के क्रिकेट बोर्ड के साथ बहुत ही सरल अनुबंध रहते थे। वे यह नहीं जान पाते थे कि जिन हाइलाइट्स में वे दिखते हैं, उन्हें बार-बार दिखाया जाता है। कपिल देव को आश्चर्य करने का पूरा अधिकार है कि जब सभी 83 विश्व कप फाइनल में विवियन रिच‌र्ड्स के अविस्मरणीय कैच के क्रम का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें इसका हिस्सा क्यों नहीं मिलना चाहिए। इसी तरह मदन लाल जो गेंदबाज थे, रिच‌र्ड्स जो बल्लेबाजी कर रहे थे और दिवंगत यशपाल शर्मा जो उस कैच को पकड़ने के लिए दौड़े थे, इन्हें भी फायदे का हिस्सा मिलना चाहिए था।

उन दिनों अनुबंध बहुत सरल थे और खिलाड़ियों ने विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए हस्ताक्षर किए थे। कहीं भी वे या यहां तक कि बीसीसीआइ भी इस बात पर सहमत नहीं थे कि ब्राडकास्टर द्वारा किसी भी मैच के मुख्य अंशों का बार-बार उपयोग किया जा सकता है। कोई भी समझौता मेजबान देश के क्रिकेट बोर्ड और अधिकार धारक के बीच होता था। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इसे आगे बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि अगर यह सफल होता है तो पहले के युग के खिलाड़ियों के लिए एक बोनस का इंतजार किया जा सकता है जो बस खेलते थे और ट्राफी जीतते थे। व्यक्तित्व अधिकार के ऐसे कई पहलू होंगे और आने वाले दिन निश्चित रूप से देखने वाले होंगे। इस मामले से लड़ने के लिए अमिताभ बच्चन और हरीश साल्वे के नेतृत्व वाली उनकी कानूनी टीम को धन्यवाद। उन्होंने उन लोगों की बहुत मदद की है जो सार्वजनिक क्षेत्र में हैं और जो पहले कुछ नहीं कर सकते थे जब उनके अधिकारों का दूसरों द्वारा हनन किया जाता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.