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    काल बना 2025: एक-एक कर ढेर हो रहे शीर्ष माओवादी, टूट रही संगठन की रीढ़

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 07:57 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की पहाड़ियों में गुरुवार की सुबह गूंजे गोलियों के स्वर ने भारत की सबसे लंबी चली विद्रोही कथा के अंतिम अध्याय में नया पन्ना जोड़ दिया। केंद्रीय समिति स्तर का शीर्ष माओवादी आतंकी एक करोड़ का इनामी मोडेम बालकृष्ण सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया। वहीं उसके साथ दस और हथियारबंद साथी भी ढेर हो गए।

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    एक-एक कर ढेर हो रहे शीर्ष माओवादी, टूट रही संगठन की रीढ़

     जेएनएन, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की पहाड़ियों में गुरुवार की सुबह गूंजे गोलियों के स्वर ने भारत की सबसे लंबी चली विद्रोही कथा के अंतिम अध्याय में नया पन्ना जोड़ दिया। केंद्रीय समिति स्तर का शीर्ष माओवादी आतंकी, एक करोड़ का इनामी मोडेम बालकृष्ण, सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया। उसके साथ दस और हथियारबंद साथी भी ढेर हो गए।

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    यह मुठभेड़ उस लाल आतंक पर निर्णायक चोट थी, जिसने आधी सदी से अधिक समय तक आदिवासी अंचलों को अपनी बंदूक की छाया में कैद रखा। वर्ष 2025 माओवादियों के लिए काल साबित हुआ है।

    बसवराजू, सुधाकर, चलपति, उदय और अब बालकृष्ण ये वे नाम थे, जिनके सहारे संगठन अपनी पकड़ बनाए हुए था। लेकिन एक-एक कर सब धराशायी हो गए। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक वर्ष के भीतर माओवादी संगठन के पांच केंद्रीय समिति सदस्य मुठभेड़ों में मारे गए हों।

    माओवादी आंदोलन के इतिहास में इससे पहले सबसे बड़ा झटका 2 नवंबर 1999 को तेलंगाना के करीमनगर जिले में लगा था, जब पीपुल्स वार ग्रुप के तीन केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए थे। लेकिन 2025 ने संगठन की रीढ़ ही तोड़ दी है।

    छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के बीच मजबूत समन्वय, खुफिया तंत्र की पैनी पकड़ और सुरक्षा बलों के अदम्य साहस ने लंबे समय से सक्रिय माओवादियों के साम्राज्य को जर्जर कर दिया है।

    अकेले छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में 465 से अधिक माओवादी मारे गए हैं, जिनमें से 400 से अधिक बस्तर क्षेत्र से थे। इनमें 25 लाख के इनामी जोगन्ना, नीति, रुपेश, सुधीर, जगदीश समेत 12 राज्य स्तरीय(एसजेडसी) माओवादी भी मारे गए हैं। सुरक्षा बलों के शौर्य और और सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के बल पर आज बस्तर बदल रहा है।

    गोलियों की गूंज की जगह अब अंदरूनी इलाकों के स्कूलों में बच्चों की हंसी सुनाई देने लगी है। घने जंगलों के बीच नए स्कूल, अस्पताल और सड़कें आकार ले रही हैं। प्रदेश सरकार ने एक दिन पहले ही ''बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट'' के जरिए 965 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव लाकर उद्योग और रोजगार सृजन को दिशा देने की पहल भी कर दी है।

    हमारा उद्देश्य केवल बंदूक से लड़ना नहीं है, बल्कि विकास का ऐसा दीप जलाना है जिसमें हर भटका हुआ नौजवान अपनी राह पहचान सके। जो हथियार छोड़ेंगे, उन्हें हम समाज से जोड़ेंगे। लेकिन जो बंदूक उठाएंगे, उन्हें उसी भाषा में जवाब मिलेगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के संकल्प ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले वर्षों में माओवाद का नाम इतिहास की किताबों तक सीमित रह जाएगा। प्रदेश अब शांति और विकास की ओर बढ़ रहा है। -विजय शर्मा, उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री