मतांतरण से दो फाड़ हो रहे बस्तर के गांव, भेजरीपदर में एक सप्ताह बाद भी तनाव की स्थिति
मतांतरण की वजह से बस्तर का यह गांव अब दो फाड़ हो चुका है। बस्तर के सैकड़ों गांव में ऐसे ही हालात हैं। कुछ वर्ष पहले तक एक साथ रहने वाले आदिवासी अब टंगिया डंडा कुल्हाड़ी लेकर एक-दूसरे को मारने पर उतारू हैं।

जगदलपुर, अनिमेष पाल। ठहरिये! छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के भेजरीपदर गांव की सीमा के बाहर मोड़ पर पुलिस का यह स्टापर दिखेगा। बस्तर जिले के मड़िया जनजाति बहुल इस गांव में इन दिनों तनाव के हालात हैं। एक सप्ताह से गांव के चारों ओर सैकड़ों की संख्या में जवान तैनात हैं। गांव के चर्च के आसपास भी फोर्स का कड़ा पहरा है।
मतांतरण से दो फाड़ हो रहे बस्तर के गांव
मतांतरण की वजह से बस्तर का यह गांव अब दो फाड़ हो चुका है। बस्तर के सैकड़ों गांव में ऐसे ही हालात हैं। कुछ वर्ष पहले तक एक साथ रहने वाले आदिवासी अब टंगिया, डंडा, कुल्हाड़ी लेकर एक-दूसरे को मारने पर उतारू हैं। मतांतरित आदिवासी अपनी परंपरा व संस्कृति से कट चुके हैं। रीतिरिवाज, उत्सव, पूजा में मतांतरित भाग नहीं लेते हैं। आदिवासियों की देवगुड़ी की जगह गांव में चर्च बनते जा रहे हैं। दो दशक में बस्तर के गावों में दो हजार से अधिक नए चर्च बन चुके हैं।
सैकड़ों आदिवासी गांव के बाहर कर रहे प्रदर्शन
भेजरीपदर में पिछले रविवार को मतांतरित महिला वेको का शव गांव के श्मशान में दफनाने को लेकर विवाद हुआ था। दूसरे गांवों से आकर मतांतरितों ने गांव के लोगों से मारपीट की थी। इसे लेकर गांव में तनाव है। सैकड़ों आदिवासी गांव के बाहर मैदान में एक सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मतांतरण से समूल आदिवासी संस्कृति के नष्ट होने का खतरा है। आसपास के दर्जनों गांव में भी आदिवासियों का मतांतरण करवाया गया है।
गांव के पुजारी ने दी जानकारी
गांव के पुजारी सुखदेव ने बताया कि गांव में 253 परिवार हैं, जिनमें से पिछले एक दशक में 70 परिवार मतांतरित हो चुके हैं। रविवार को विधायक राजमन बेंजाम व एसडीएम ऋतुराज बिसेन दोनों पक्षों में समझौता कराने के लिए भेजरीपदर पहुंचे। परपा थानाप्रभारी धनंजय सिन्हा ने बताया कि दोनों पक्ष बड़ी मुश्किल से इस शर्त पर बात करने को राजी हुए हैं कि बाहर का कोई व्यक्ति दखल नहीं देगा। गांव में कोई अप्रिय घटना न घट जाए, इस डर से वे खुद भी एक सप्ताह से घर नहीं गए हैं।
एक वर्ष में मतांतरण को लेकर विवाद
लंबी बातचीत के बाद मृत महिला के पति मोसू वेको ने शांति जल छिड़क कर मूलधर्म में वापसी कर ली, पर उसके बड़े भाई करसी वेको ने इसके लिए एक माह का समय मांगा है। करसी को डर है कि मिशनरी के लोगों ने उसे ट्रैक्टर खरीदने में मदद की थी, अब यदि वह मूल धर्म में वापसी करता है तो उसे तुरंत पैसे लौटाने होंगे। एक वर्ष में सौ से अधिक विवाद-बस्तर के सात जिलों के विभिन्न गावों में बीते एक वर्ष में मतांतरण को लेकर हुए विवाद के सौ से अधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। कुछ महीने पूर्व नारायणपुर जिले के एड़का गांव में आदिवासी समाज की बैठक में मतांतरितों के हमले ने तूल पकड़ा था।
आदिवासी रीतिरिवाज के विरुद्ध
आदिवासियों ने प्रदर्शन किया, जिसमें एसपी सदानंद कुमार का सिर फूट गया था। पांच माह पूर्व जगदलपुर के निकट खदान धंसने से मृत एक मतांतरित महिला के शव को दफनाने के विवाद में पुलिस को दखल देना पड़ा। लोहंडीगुड़ा के आंजर में ऐसे ही विवाद के बाद मतांतरित महिला का शव दो दिन तक पड़ा रहा। मतांतरित लोग आदिवासी रीतिरिवाज के विरुद्ध अन्य तरीके से हमारे श्मशान में शव दफनाना चाहते हैं। इससे विवाद हो रहा है। प्रशासन को चाहिए कि मतांतरित का दस्तावेजी प्रमाण मांगे।
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