छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला: निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू को अंतरिम बेल, कई और आरोपियों को राहत देते हुए क्या बोला SC?
मुख्य आरोपियों में से एक बिजनेसमैन सूर्यकांत तिवारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया को भी जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अंतरिम जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। मुख्य आरोपियों में से एक बिजनेसमैन सूर्यकांत तिवारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया को भी जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अंतरिम जमानत दे दी।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,
इस मामले में जांच में काफी समय लगेगा, इसलिए समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं।
उन्होंने कहा,
'अगर कोई गवाहों को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने में पाया जाता है, तो राज्य अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और उस स्थिति में अंतरिम जमानत रद कर दी जाएगी।'
राज्य की दूसरी आईएएस अधिकारी रानू साहू
2010 बैच की छत्तीसगढ़ कैडर की आईएएस अधिकारी रानू साहू को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2023 में गिरफ्तार किया था, जबकि छत्तीसगढ़ कैडर की ही सिविल सेवक सौम्या चौरसिया को 2022 में गिरफ्तार किया गया था। साहू उस समय राज्य कृषि विभाग की निदेशक के पद पर कार्यरत थीं। वह राज्य की दूसरी आईएएस अधिकारी थीं जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया था, इससे पहले समीर विश्नोई को 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला
छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से की गई जांच से पता चला है कि निजी व्यक्तियों का एक समूह, राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलीभगत करके कोयला ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली में लगा हुआ था।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि उन्होंने जुलाई 2020 और जून 2022 के बीच परिवहन किए गए कोयले के प्रति टन 25 रुपये वसूले। इस अवधि के दौरान, अपराध से प्राप्त कुल आय (पीओसी) 540 करोड़ रुपये (लगभग) थी, जो छत्तीसगढ़ में कोयला ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली गई थी।
कब किया गया अवैध धन का इस्तेमाल?
अवैध धन का इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने के लिए किया गया था, साथ ही पीओसी का कुछ हिस्सा चुनावों में भी खर्च किया गया था। शेष धनराशि का इस्तेमाल चल और अचल संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया था।'
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