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    रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड पर सीबीआई का बड़ा खुलासा, मान्यता के लिए होती थी प्रतिनिधियों से सौदेबाजी

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 08:47 PM (IST)

    श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड में सीबीआई जांच से पता चला कि रविशंकर महाराज और डीपी सिंह के बीच रिश्वत की सौदेबाजी हुई थी। इस मामले में कॉलेज के निदेशक अतुल तिवारी गिरफ्तार हुए हैं जबकि अन्य आरोपी अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं। जांच में एनएमसी और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत से निजी मेडिकल कॉलेजों को रिश्वत लेकर मंजूरी देने का खुलासा हुआ है।

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    रैकेट ने मोटी रिश्वत के बदले कई निजी मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई

    जेएनएन, रायपुर। श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड की प्रारंभिक सीबीआई जांच में यह साफ हुआ है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) के चेयरमैन डीपी सिंह से रविशंकर महाराज (रावतपुरा सरकार) सीधे रिश्वत की सौदेबाजी कर रहे थे।

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    डीपी सिंह यूजीसी के पूर्व चेयरमैन के साथ ही उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शिक्षा सलाहकार और बीएचयू, देवी अहिल्या और सागर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं। इस मामले के आरोपियों में छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त आईएफएस अफसर और रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के अध्यक्ष संजय शुक्ला भी हैं। वे रावतपुरा कॉलेज से भी जुड़े हैं।

    सीबीआई की गिरफ्त से बाहर कई आरोपी

    अभी तक केवल कॉलेज के निदेशक अतुल तिवारी की गिरफ्तारी हुई है, जबकि रविशंकर महाराज, संजय शुक्ला, लेखापाल लक्ष्मीनारायण तिवारी और डॉ अतिन कुंडू सीबीआई की गिरफ्त से बाहर है।

    सीबीआई की जांच में यह साफ हुआ है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी), आईटी और यूजी-पीजी बोर्ड के भीतर एक सुनियोजित रैकेट चल रहा है। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत भी है। इस रैकेट ने मोटी रिश्वत के बदले कई निजी मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई, जबकि उनमें कई खामियां थीं।

    55 लाख रुपये का ऑफर दिया

    • इस मामले में रविशंकर महाराज की सीधे तौर पर संलिप्ता पाई गई है। रविशंकर महाराज ने टीआईएसएस के चेयरमैन डीपी सिंह से सौदेबाजी के बाद श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के निदेशक अतुल तिवारी को रायपुर पहुंची एनएमसी की टीम से बातचीत करने को कहा। इसके बाद तिवारी ने टाटीबंध स्थित होटल में ठहरी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग निरीक्षण दल की प्रमुख और मांड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बेंगलुरु में आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ मंजप्पा सीएन को सीधे 55 लाख रुपये का ऑफर किया।
    • डॉ मंजप्पा ने निरीक्षण दल के अन्य सदस्य बेंगलुरू के डॉ सतीश, डॉ चैत्रा एमएस, डॉ अशोक शेलके से इस बारे में बात कर सभी कों बराबर हिस्सा देने को कहा। डॉ सतीश ने हवाला ऑपरेटर के जरिए मिले 55 लाख रुपये बेंगलुरू में चैत्रा के पति रविचंद्रन के साथ जाकर एकत्र किया था। इस बीच भनक लगने पर सीबीआई ने डॉ मंजप्पा, डॉ चैत्रा एमएस, डॉ अशोक शेलके और अतुल तिवारी को रायपुर और डॉ सतीश व रविचंद्रन को बेंगलुरू में घेराबंदी कर दबोचा।

    1300 करोड़ से अधिक का रिश्वतकांड

    सीबीआई की शीर्ष सूची में रावतपुरा कॉलेज नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज शीर्ष सूची में है, जिसने रिश्वतखोरी के बदले मान्यता लेने की कोशिश की। इनके साथ ही कॉलेज से जुड़े अन्य पदाधिकारियों की भी जल्द गिरफ्तारी के संकेत है।

    सूत्रों का कहना है कि देशभर आठ राज्यों के निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के नाम पर 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के रिश्वत लेने के प्रमाण सीबीआई की जांच में सामने आए है। जांच की जद में आए श्री रावतपुरा कॉलेज के पांच प्रमुख पदाधिकारियों के साथ एनएमसी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 11 अधिकारियों समेत 35 नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी की तैयारी चल रही है।

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