Raipur: प्राण प्रतिष्ठा से पहले रायपुर में छाई आस्था की लहर, 3 प्राचीन राम मंदिर बने आकर्षण का केंद्र
22 जनवरी को राम मंदिर ( Ram Mandir in Raipur ) में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। देश के हर कोने में जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी आस्था की लहर देखने को मिल रही है। 400 साल पुराने मठ और मंदिरों में स्थापित श्रीराम सीता लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न और हनुमानजी की प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।
जागरण डेस्क, रायपुर। Ram Mandir in Raipur: 500 वर्षों के इंतजार के बाद, अयोध्या धाम में भगवान राम के मंदिर का निर्माण, दुनिया भर के हिंदुओं के लिए आस्था और उत्सव का एक महत्वपूर्ण दिन होगा। 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
देश के हर कोने में जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी आस्था की लहर देखने को मिल रही है। रायपुर के कई प्राचीन मंदिरों में शोभायात्रा, विशेष पूजन, दीप प्रज्वलन और महाआरती की तैयारी हो रही है।
400 साल पुराना मठ
बता दें कि 400 साल पुराने मठ और मंदिरों में स्थापित श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी की प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। साथ ही मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। 22 जनवरी के दिन मंदिरों
के साथ-साथ चौराहों पर भी हजारों दिये जलाए जाएंगे। आपको बता दें कि रायपुर में तीन प्राचीन श्रीराम मंदिर हैं। इनमें श्रीराम-सीता, लक्ष्मण की प्रतिमाएं बिल्कुल एक जैसी प्रतीत होती है।
यहां 22 जनवरी को हजारों लोग पहुंचेंगे। श्रवण शर्मा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 400 साल से अधिक पुराने दूधाधारी मठ में रोजाना दर्शन करने सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मठ में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को आकर्षित करतीं हैं। मठ में दक्षिण मुख वाला शंख, रामेश्वरम से लाया गया पानी में तैरने वाला पत्थर आकर्षण का केंद्र है।
ये श्रीराम मंदिर काफी मशहूर
वीआइपी रोड में 6 साल पहले तैयार की गई श्रीराम मंदिर काफी मशहूर है। यहां जस्थान के मकराना गांव के संगमरमर पत्थरों पर की गई नक्काशी आकर्षण का केंद्र है। मंदिर का गुंबद 108 फीट ऊंचा है। सोने के सिंहासन पर भगवान श्रीराम-सीता विराजित हैं। मंदिर के पीछे माता अंजनी की गोद में बाल हनुमान की प्रतिमा और प्राचीन हनुमान की प्रतिमा स्थापित है। यहां भोजन महज 20 रुपये मिलता है। वहीं, मंदिर की दूरी जयस्तंभ चौक, रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर है।
250 साल पुराना ये मठ क्यों है मशहूर
पुरानी बस्ती में स्थित जैतूसाव मठ भी 250 साल पुराना है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मठ की काफी सजावट होगी। बता दें कि हर साल रामनवमीं में यहां भगवान श्रीराम को मालपुआ का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही इसका प्रसाद हजारों श्रद्धालुओं को दिया जाता है। बता दें कि इस मठ में महात्मा गांधी भी पहुंचे थे और कुएं से पानी निकलवाकर हरिजन बालिका के हाथों पिया था।
वहीं, बनियापारा, पुरानी बस्ती में स्थित गोपीदास मठ भी 250 साल से अधिक पुराना है। यहां श्रीराम-सीता, लक्ष्मण की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। यहां हर साल राम-जानकी विवाहोत्सव की धूम मचती है। इस मंदिर से थोड़ी दूर नागरी दास मठ है, जहां श्रीराम-जानकी, लक्ष्मण की प्रतिमा है। बता दें कि दूधाधारी मठ, गोपीदास मठ, नागरी दास मठ में लगभग एक जैसी प्रतिमाएं हैं।
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