'यह अभियान टेस्ट मैच की तरह है', छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई; 10 हजार सुरक्षाकर्मियों ने संभाला मोर्चा
छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ करीब 10000 सुरक्षाकर्मियों की मदद से शुक्रवार को पांचवें दिन भी व्यापक अभियान जारी रहा। यह अभियान बस्तर क्षेत्र में शुरू की गई सबसे बड़ी नकस्ली विरोधी कार्रवाइयों में से एक है। इस साल अब तक राज्य में अलग-अलग मुठभेड़ों में 144 नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें से 128 नक्सली बीजापुर समेत सात जिलों वाले बस्तर संभाग में मारे गए।

पीटीआई, रायपुर। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर पहाड़ी क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ करीब 10,000 सुरक्षाकर्मियों की मदद से शुक्रवार को पांचवें दिन भी व्यापक अभियान जारी रहा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के शीर्ष नेताओं समेत करीब 500 कार्यकर्ता इलाके में छिपे हुए हैं और तेलंगाना पुलिस इस अभियान में मदद कर रही है।
यह अभियान बस्तर क्षेत्र में शुरू की गई सबसे बड़ी नकस्ली विरोधी कार्रवाइयों में से एक है, जिसमें जिला रिजर्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स और छत्तीसगढ़ पुलिस के विशेष कार्य बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और इसके विशिष्ट कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) सहित विभिन्न इकाइयों के कर्मी शामिल हैं।
तीन नक्सलियों को मार गिराया गया
गुरुवार को कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया गया और हथियारों, विस्फोटकों और अन्य सामग्रियों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया गया।यह अभियान सोमवार को अंतर-राज्यीय सीमा पर कर्रेगुट्टा और दुर्गमगुट्टा की घनी जंगली पहाड़ियों में शुरू किया गया था।
इस क्षेत्र के कुछ हिस्से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में आते हैं, जो राज्य की राजधानी रायपुर से 450 किलोमीटर दूर है। एक अधिकारी ने बताया कि माना जाता है कि यह पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर 1 का बेस है, जो माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य गठन है।
उन्होंने कहा कि खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पीएलजीए बटालियन नंबर 1, तेलंगाना राज्य समिति और माओवादियों की दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति से जुड़े 500 से अधिक नक्सली हिडमा और दामोदर जैसे वरिष्ठ माओवादियों के नेतृत्व में इलाके में छिपे हुए हैं।
'टेस्ट मैच की तरह है यह अभियान'
अधिकारी ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण अभियान है क्योंकि यह पीएलजीए बटालियन नंबर 1 और दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (डीकेएसजेडसी) और तेलंगाना राज्य समिति में माओवादियों के थिंक टैंक को निशाना बनाकर प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादियों) की सैन्य ताकत को खत्म करने की लड़ाई होगी।"
उन्होंने बताया कि गुरुवार को हालांकि तीन नक्सलियों के शव बरामद किए गए, लेकिन मुठभेड़ में कई और नक्सली मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।
अधिकारी ने कहा, "यह अभियान टेस्ट क्रिकेट मैच की तरह है। यह लंबा चलेगा और हमें हर सत्र में बहुत रोमांचक खबर नहीं मिलेगी। लेकिन मैच के अंत में हमें बहुत अनुकूल परिणाम की उम्मीद है।"
उन्होंने कहा कि केंद्र, छत्तीसगढ़ सरकार और पड़ोसी राज्यों के सभी हितधारक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस अभियान में शामिल हैं। उन्होंने कहा, "अभी तक हमारे सभी जवान सुरक्षित हैं। दुर्गम इलाकों और भीषण गर्मी को छोड़कर कोई समस्या नहीं है। लेकिन जवानों का मनोबल ऊंचा है।"
अभियान में हेलीकॉप्टर और ड्रोन का किया जा रहा इस्तेमाल
अधिकारी ने कहा कि अभियान में हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन में शामिल कुछ जवानों को निर्जलीकरण और हीटस्ट्रोक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बता दें, सुरक्षा बलों ने पिछले साल जनवरी से अब तक कई मुठभेड़ों में 350 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें से ज्यादातर बस्तर क्षेत्र में केंद्रित हैं। बस्तर क्षेत्र में 29 मार्च को हुई दो मुठभेड़ों में 11 महिलाओं समेत 18 नक्सली मारे गए थे।
इस साल अब तक राज्य में अलग-अलग मुठभेड़ों में 144 नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें से 128 नक्सली बीजापुर समेत सात जिलों वाले बस्तर संभाग में मारे गए।
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