चीता कारिडोर में निर्माणाधीन हाईवे पर कूनो प्रबंधन और NHAI में ठनी, काम बंद
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में हाईवे निर्माण को लेकर विवाद हो गया है। कूनो पार्क प्रबंधन और एनएचएआइ के बीच वार्ता विफल होने के बाद हाईवे का काम रोक दिया गया है। चीतों के कॉरिडोर के लिए एलिवेटेड रोड की मांग की जा रही है जबकि एनएचएआइ केवल ढाई सौ मीटर की एलिवेटेड सड़क बनाने को तैयार है।
डिजिटल डेस्क, श्योपुर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के सवाई माधोपुर के बीच निर्माणाधीन हाईवे को लेकर कूनो पार्क प्रबंधन और एनएचएआइ के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। दोनों पक्षों के बीच वार्ता विफल होने के बाद हाईवे निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच चर्चा होने की संभावना है।
कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों ने कई बार मध्य प्रदेश से राजस्थान के जंगलों में प्रवेश किया, जिसके बाद वन विभाग ने चीता कारिडोर की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, यह कारिडोर अब तक आधिकारिक रूप से घोषित नहीं हुआ है।
श्योपुर में मुरैना से सवाई माधोपुर को जोड़ने के लिए गोरस-श्यामपुर नेशनल हाईवे का निर्माण चल रहा है, जिसकी लागत लगभग 209 करोड़ रुपये है। कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन ने इस हाईवे के निर्माण पर आपत्ति जताई है, यह कहते हुए कि 32 किलोमीटर का क्षेत्र चीता कारिडोर है।
कूनो प्रबंधन ने एनएचएआइ से यहां एलिवेटेड रोड (लंबे पुल वाली सड़क) की मांग की है, ताकि चीतों और अन्य वन्यजीवों की आवाजाही में कोई बाधा न आए। उधर, एनएचएआइ का कहना है कि कार्ययोजना के अनुसार केवल ढाई सौ मीटर की एलिवेटेड सड़क का निर्माण संभव है।
एनएचएआइ के उप अभियंता विजय अवस्थी ने कहा कि हाईवे बनाने से पहले कूनो प्रबंधन की अनुमति ली गई थी, जिसमें एलिवेटेड रोड की शर्त नहीं थी। वहीं, मुख्य वन संरक्षक उत्तम कुमार शर्मा ने कहा कि चीता कारिडोर में लंबे एलिवेटेड रोड की सशर्त अनुमति दी गई थी, जिसे एनएचएआइ मानने को तैयार नहीं है।
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