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    जगदलपुर: नगरनार का इस्पात अब बनेगा देश की शक्ति का आधार, बन सकेंगे सैन्य उपकरण व युद्धपोत

    Updated: Thu, 14 Nov 2024 03:47 PM (IST)

    नगरनार प्लांट के इस्पात से एलपीजी सिलिंडर पुल स्टील संरचना बड़े व्यास वाले पाइप बायलर रेलवे वैगन साइकिल फ्रेम जनरेटर मोटर ट्रांसफार्मर आटोमोबाइल आदि उद्योगों के लिए क्वाइल का निर्माण किया जा सकता है। इनमें आधे से अधिक उत्पादों के लिए हाट रोल्ड क्वाइल का निर्माण कर आपूर्ति भी शुरू की जा चुकी है। प्लांट को कमीशन हुए 14 माह हो गए हैं।

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    नगरनार स्टील प्लांट ( Photo JNN )

    विनोद सिंह, जगदलपुर। देश की आत्मशक्ति का प्रतीक नगरनार का एकीकृत इस्पात संयंत्र, जहां से निर्मित इस्पात से सैन्य उपकरणों का निर्माण होगा। इससे देश की ताकत बढ़ेगी और दुश्मन देशों का मनोबल टूटेगा। एनएमडीसी स्टील लिमिटेड के इस संयंत्र में सबसे चौड़ी हाट स्ट्रिप मिल स्थापित है, जो 900 मिलीमीटर से 1650 मिलीमीटर तक की चौड़ाई में हाट रोल्ड क्वाइल को एक से 16 मिलीमीटर तक की मोटाई में रोल कर सकती है।

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    यह क्षमता संयंत्र की सबसे बड़ी ताकत भी है। संयंत्र को भारतीय मानक ब्यूरो (आइएसओ) के चार प्रमाणपत्र प्राप्त हो चुके हैं। साथ ही यहां बनने वाले 10 में से छह उत्पादों को क्वालिटी कंट्रोल का प्रमाणन प्रमाणपत्र भी मिल चुका है।

    भारत को विश्व में महाशक्ति बनाने में सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी सबसे जरूरी है। अब तक देश में युद्धपोत बनाने के लिए इस्पात विदेश से मंगवाया जा रहा था। हाल ही में बोकारो स्टील प्लांट ने सैन्य उपकरणों के योग्य इस्पात का निर्माण शुरू किया है। बस्तर का नगरनार प्लांट भी इसमें योगदान देने जा रहा है। अधिशासी निदेशक एवं स्टील प्लांट प्रोजेक्ट के प्रमुख के प्रवीण कुमार का कहना है कि स्टील प्लांट के उत्पाद मिश्रण में कम कार्बन स्टील, डुअल फेज स्टील और एपीआइ गुणवत्ता वाला इस्पात शामिल है।

    यहां के इस्पात से भविष्य में सैन्य उपकरण, युद्धपोत व पानी के व्यवसायिक जहाजों का भी निर्माण किया जा सकेगा। इसके लिए निर्धारित श्रेणी के हाट रोल्ड क्वाइल बनाने का परीक्षण किया जा चुका है। क्वालिटी कंट्रोल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन भी प्रस्तुत किया जा चुका है। युद्धपोत एवं व्यवसायिक जहाज के लिए वेसल क्वालिटी के इस्पात की जरूरत होती है, जिसे बनाने में नगरनार स्टील प्लांट सक्षम है। यह प्लांट देश के आर्थिक विकास में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब देश की सैन्य ताकत को बढ़ाने में भी सहायक बनेगा।

    अभी विदेश से मंगाते हैं इस्पात

    अब तक युद्धपोत बनाने के लिए इस्पात विदेश से आयात किया जाता था। हाल ही में सेल (स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड) के बोकारो स्टील प्लांट ने वेसल और एबीएस श्रेणी के इस्पात का निर्माण शुरू किया है। प्रमाणन प्रमाणपत्र मिलने पर नगरनार स्टील प्लांट रक्षा आयुध के निर्माण के लिए उच्च श्रेणी के इस्पात का निर्माण करने वाला देश का सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा संयंत्र होगा। एनएसएल की अध्ययन टीम रक्षा और जहाज निर्माण सहित अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग आने वाले इस्पात (हाट रोल्ड क्वाइल), जिसमें एबीएस (अमेरिकन ब्यूरो आफ शिपिंग) श्रेणी भी शामिल है, के निर्माण की संभावना पर भी काम कर रही है। बता दें कि एबीएस श्रेणी का इस्पात अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप होता है।

    राज्य में सैन्य कॉरिडोर बनाने की पहल हों

    भारत-पाक के बीच 1971 के युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल शमशेर सिंह कक्कड़ ने कहा कि यह खुशी की बात है कि नगरनार स्टील प्लांट के इस्पात से सैन्य उपकरण बनेंगे। सरकार को अब एक कदम आगे जाकर राज्य में सैन्य कॉरिडोर बनाने पर भी विचार करना चाहिए। उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में सैन्य कॉरिडोर बनाने की शुरुआत हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में सैन्य कॉरिडोर बनने से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। इस्पात के परिवहन की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।

    सैन्य उपकरण, युद्धपोत बनाने के लिए देंगे इस्पात

    नगरनार रक्षा आयुध के क्षेत्र में सैन्य उपकरणों व विशेषकर युद्धपोत के निर्माण के लिए आवश्यक स्टील के उत्पादन में सक्षम है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में यह संयंत्र सहभागी बनकर काम शुरू कर चुका है। उच्च शक्ति वाले पानी के जहाज के निर्माण के लिए चार से 10 मिलीमीटर मोटाई और 1100 से 1600 चौड़ाई के हाट रोल्ड क्वाइल की अधिक जरूरत होती है। इससे बने जहाज लंबे समय तक पानी में रहने के बाद भी खराब नहीं होते। यह हल्के और मजबूत होते हैं।

    - के प्रवीण कुमार, अधिशासी निदेशक एवं प्रोजेक्ट हेड नगरनार स्टील प्लांट।