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    CG News: छत्तीसगढ़ में किसानों को मिली बड़ी सौगात, 18% धान बोनस की सब्सिडी का मिल रहा 54% हिस्सा

    By Jagran NewsEdited By: Paras Pandey
    Updated: Sat, 02 Dec 2023 12:53 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ में जिस धान और किसान को लेकर कांग्रेस और भाजपा की राजनीति का पारा चढ़ा रहता है उसमें चौंकाने वाले तथ्य ये हैं कि प्रदेश के पांच से 25 एकड़ तक जमीन वाले 18 प्रतिशत किसानों के खातों में धान खरीदी सब्सिडी या बोनस की 54 प्रतिशत राशि पहुंच रही है। 82 प्रतिशत किसान पांच एकड़ से कम रकबे वाले हैं।

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    छत्तीसगढ़ में 18% किसानों को धान बोनस-सब्सिडी का मिल रहा 54% हिस्सा न्याय योजना में कितना न्याय?

    संदीप तिवारी, रायपुर। छत्तीसगढ़ में जिस धान और किसान को लेकर कांग्रेस और भाजपा की राजनीति का पारा चढ़ा रहता है, उसमें चौंकाने वाले तथ्य ये हैं कि प्रदेश के पांच से 25 एकड़ तक जमीन वाले 18 प्रतिशत किसानों के खातों में धान खरीदी, सब्सिडी या बोनस की 54 प्रतिशत राशि पहुंच रही है। इन्हीं में 25 एकड़ से अधिक रकबा वाले एक प्रतिशत किसान ऐसे हैं, जो विभिन्न योजनाओं का सात प्रतिशत लाभ उठा रहे हैं। 

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    शेष 82 प्रतिशत किसान पांच एकड़ से कम रकबे वाले हैं, जिनके हिस्से में महज 46 प्रतिशत आ रहा है। राज्य सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य में कराए गए काश्त का रकबा और किसानों की संख्या की जनगणना के अंतिम सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में किसानों की कुल संख्या 40 लाख 10 हजार 772 है। इनमें 24 लाख 34 हजार 321 किसानों के पास पांच एकड़ से भी कम जमीन है। नईदुनिया ने अपनी पड़ताल में पाया कि प्रदेश में कर्ज माफी, सब्सिडी और बोनस को लेकर होने वाली सियासत का सबसे ज्यादा लाभ प्रदेश के नेताओं, अधिकारियों व जमींदारों को मिल रहा है। 

    एक प्रतिशत किसान विभिन्न योजनाओं का उठा रहे हैं सात प्रतिशत लाभ 

    वर्तमान में किसानों को ढाई एकड़ सिंचित रकबे पर 58 हजार और असिंचित रकबे पर 44 हजार रुपये की दर से कर्ज लेने की पात्रता है। इस वर्ष 24 लाख किसानों ने 6,900 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इससे समझा जा सकता है कि कर्ज माफी से बड़े किसानों को कितना फायदा होना है। बता दें कि भूपेश सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ नौ हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी दे रही है। वर्तमान में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,183 रुपये है। इसके अलावा न्याय योजना से प्रति क्विंटल 600 रुपये दिया जाता है। 

    बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान 3,200 रुपये क्विंटल की दर से खरीदी की घोषणा की है, वहीं भाजपा ने 3,100 रुपये क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल और दो साल का बकाया बोनस देने का वादा किया है। केवल धान खरीदी पर राज्य बजट का 35 प्रतिशत हिस्सा होगा खर्च घोषणा पर अमल करने के लिए कांग्रेस को प्रति क्विंटल अंतर की राशि 1,016 रुपये देना होगा। कांग्रेस 20 क्विंटल के लिए प्रति किसान 64,000 रुपये तो भाजपा 21 क्विंटल के लिए 65,100 रुपये अतिरिक्त राशि देगी। 

    दोनों में से किसी की भी सरकार बने, अकेले धान खरीदी पर करीब 45 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में अनुपूरक को मिलाकर राज्य का बजट 1.27 लाख करोड़ का है। ऐसे में राज्य के कुल बजट का करीब 35 प्रतिशत हिस्सा केवल धान खरीदी पर ही खर्च हो जाएगा। बता दें कि वर्ष 2022-23 में 30,000 करोड़ रुपये धान खरीदी के एवज में कुल भुगतान होने का अनुमान है।

    कृषक वर्ग - कुल किसान - प्रतिशत - रकबा (हेक्टेयर में) - प्रतिशत सीमांत (ढाई एकड़ या कम) - 24,34,321 - 60 - 10,39,903.20 - 21 लघु (ढाई से पांच एकड़) - 8,79,477 - 22 - 12,38,488.85 - 25 अल्प सीमांत (पांच से 10 एकड़) - 4,93,056 - 12 - 13,15,920.81 - 26 मध्यम (10 से 25 एकड़) - 1,80,823 - 05 - 10,25,558.38 - 21 दीर्घ (25 एकड़ से ज्यादा) - 23,095 - 01 - 3,71,857.32 - 07 कुल - 40,10,772 - 100 - 49,91,728.56 - 100 स्रोत: कृषि विभाग की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य में काश्त का रकबा और संख्या की कृषि जनगणना के अंतिम सर्वेक्षण के मुताबिक किसानों की संख्या व कुल जमीन का रकबा हेक्टेयर में (एक हेक्टेयर यानी 2.4711 एकड़)

    एक्सपर्ट व्यू किसानों की संख्या और रकबा के बीच बहुत बड़ा गेप है

    प्रदेश में कितने किसान बेचते हैं धान प्रदेश के 40 लाख से अधिक किसानों में से करीब 15 लाख किसान धान नहीं बेच पाते हैं क्योंकि उनके पास भूमि है पर उतना उत्पादन नहीं है। धान बेचने के लिए समितियों में 24.98 लाख किसान पंजीकृत हैं। इस बार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी करने के साथ 125 लाख टन कुल खरीदी का अनुमानित लक्ष्य रखा गया है। वर्जन राजीव गांधी किसान न्याय योजना में अधिक लाभ पाने वालों में लघु व सीमांत किसानों की संख्या ज्यादा है। 

    बाकी आंकड़ों को देखकर ही कुछ बोल पाएंगे। चंदन संजय त्रिपाठी, संचालक, कृषि विभाग, छत्तीसगढ़ शासन महज सात से 10 प्रतिशत किसानों के पास सबसे अधिक जमीन है। 60 प्रतिशत सीमांत यानी छोटे किसान हैं। यह पिछले 70 वर्षों से चल रहा है। बोनस व कर्ज माफी की योजना पांच एकड़ से अधिक वाले किसानों के लिए नहीं होनी चाहिए।

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