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    CRPF के कुत्तों ने तैनाती के बाद बरामद किया 5000 किलो विस्फोटक, आतंकी-नक्सली हमलों को रोकने में मिली मदद

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Sun, 26 Mar 2023 03:53 PM (IST)

    सीआरपीएफ के कुत्तों ने तैनाती के बाद 5000 किलो विस्फोटक बरामद किया है जिससे आतंकी और नक्सली हमलों को नाकाम कर दिया गया। इसके साथ ही बहादुर सुरक्षाकर्मियों की जान भी बचाई गई है। आइए जानते हैं इन कुत्तों को बारे में...

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    CRPF के कुत्तों ने तैनाती के बाद बरामद किया 5000 किलो विस्फोटक

    बस्तर (छत्तीसगढ़), एएनआई। पूरे भारत में कठिन मौसम की स्थिति और उबड़-खाबड़ इलाकों में काम करते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कुत्तों ने देश में लगभग 5,000 किलोग्राम विस्फोटक बरामद करके और बहादुर सुरक्षाकर्मियों की जान बचाकर बड़े आतंकी और नक्सली घटनाओं को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, हर कोई इस बात से परिचित नहीं हो सकता है कि कैसे ये कुत्ते आतंक प्रभावित क्षेत्रों के साथ-साथ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में सीआरपीएफ कर्मियों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के दौरान अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। 

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    विस्फोटक बरामद करने में की सीआरपीएफ कर्मियों की मदद

    बेंगलुरु में सीआरपीएफ के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग स्कूल (डीबीटीएस) में कुत्तो को प्रशिक्षित किया जा रहा है।डीबीटीएस के डिप्टी कमांडेंट महेंद्र एम हेगड़े ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में मनाए गए सीआरपीएफ दिवस के मौके पर कहा, "देश भर में अपनी तैनाती के बाद से इन कुत्तों ने सामूहिक रूप से लगभग 5,000 किलोग्राम विस्फोटक बरामद करने में सीआरपीएफ कर्मियों की मदद की है।'

    कई सुरक्षाकर्मियों की बचाई जान

    हेगड़े ने कहा कि आधा किलोग्राम विस्फोटक बड़ी संख्या में लोगों की मौत का कारण बन सकता है। ऐसे में कोई भी कल्पना कर सकता है कि विस्फोटकों की इतनी मात्रा (बरामद किए गए विस्फोटकों की संख्या) से कितनी क्षति हो सकती है। इन कुत्तों ने कई सुरक्षाकर्मियों की जान बचाई है।

    नक्सल प्रभावित जिलों से बरामद हुए 80 प्रतिशत विस्फोटक

    डिप्टी कमांडेंट ने कहा कि कुल बरामद विस्फोटकों में से 80 प्रतिशत देश के नक्सल प्रभावित जिलों से बरामद किए गए हैं। अब तक छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित जिलों में लगभग 500 कुत्तों को तैनात किया गया है और अधिक की आवश्यकता होगी।

    ''कुत्तों की संख्या पर्याप्त नहीं है''

    हेगड़े ने बताया कि वर्तमान में सीआरपीएफ के पास 1500 कुत्ते हैं। हमारे पास अब कुत्तों की संख्या पर्याप्त नहीं है। हमें और अधिक कुत्तों की आवश्यकता है, क्योंकि नई चुनौतियों से निपटने के लिए कुत्तों को तैनात किया जाना है। कुत्ते परिचालन क्षेत्रों में सैनिकों का नेतृत्व करते हैं।" 

    बेंगलुरु में 2011 में की गई BDTS की स्थापना

    डिप्टी कमांडेंट ने आगे बताया कि परिचालन गतिविधियों में कुत्तों के महत्व को समझते हुए बेंगलुरु में BDTS की स्थापना 2011 में की गई थी। सबसे पहले, हमने बेल्जियम शेफर्ड और डच शेफर्ड नस्लों को पेश किया और उन्हें मल्टीटास्किंग करने के लिए प्रशिक्षित किया। प्रशिक्षण स्कूल ने एक हजार कुत्तों को प्रशिक्षित किया है और उन्हें देश भर में विभिन्न स्थानों पर तैनात किया है, चाहे वह जम्मू-कश्मीर, झारखंड, बिहार और ओडिशा हो या फिर अन्य हिस्से हों।

    कुत्तों को प्रशिक्षित करता है स्कूल

    स्कूल कुत्तों को हमले की पूर्व चेतावनी, आईईडी का पता लगाने और राष्ट्र-विरोधी तत्वों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करता है। इन कुत्तों को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में भी तैनात किया जाता है। केवल दो नस्लों के कुत्तों के चयन के बारे में पूछे जाने पर डिप्टी कमांडेंट ने बताया कि सीआरपीएफ को आमतौर पर छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर जैसे कठिन क्षेत्रों में तैनात किया जाता है, जहां मौसम की स्थिति प्रतिकूल होती है और ड्यूटी के घंटे भी लंबे होते हैं। हमने नस्ल बेल्जियम शेफर्ड को नौकरी के लिए फिट पाया और हाल ही में, डच शेफर्ड को बल में शामिल किया गया है, जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।

    लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड नहीं आते काम

    अधिकारी ने कहा, "लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड जो आमतौर पर भारत में होते हैं, वे काम नहीं करते हैं। इन दोनों नस्लों की कार्य क्षमता हमारे बल की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है।" प्रशिक्षण के बारे में विस्तार से बताते हुए अधिकारी ने आगे बताया कि डीबीटीएस एक ऐसा प्रशिक्षण स्कूल है, जहां कुत्तों के साथ-साथ सैनिकों को भी प्रशिक्षित किया जाता है। हैंडलर्स को मानव के साथ-साथ पशु मनोविज्ञान भी सीखना पड़ता है, क्योंकि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद और एक कुत्ते को एक इकाई के साथ तैनात किया जाता है। एक हैंडलर कुत्ते के लिए सब कुछ होता है।

    दो महीने का दिया जाता है प्रशिक्षण

    हैंडलर्स को अपने संबंधित कुत्तों की तैनाती के दौरान प्रशिक्षण, स्वास्थ्य प्रबंधन और उपयोग की देखभाल करनी होती है। जब एक पिल्ला 30 दिन का हो जाता है, तो उसे उसकी मां से अलग कर दिया जाता है और हैंडलर को सौंप दिया जाता है। दो महीने के फाउंडेशन प्रशिक्षण के बाद, हैंडलर और कुत्ते को अगले स्तर के प्रशिक्षण के अधीन किया जाता है। प्रत्येक कुत्ते के लिए, हमारे पास दो हैंडलर हैं ताकि एक की अनुपस्थिति में दूसरे इसे संभाल सकें।

    कुत्ते के साथ हैंडलर को किया जाता है तैनात

    अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कुत्ते के साथ-साथ उसके हैंडलर को कठिन क्षेत्रों में तैनात किया जाता है और बाद में, हैंडलर की पसंद के अनुसार पोस्टिंग दी जाती है। इन कुत्तों की सेवानिवृति के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश है। कुत्ते के 8 वर्ष पूरे होने पर उसकी फिटनेस की जांच के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाता है और यदि फिट पाया जाता है तो एक वर्ष की अवधि के लिए कार्य बढ़ाया जाता है।

    कुत्तों का किया जा रहा है सम्मान

    हेगड़े ने बताया, "सेवानिवृत्ति के बाद, कुत्तों को स्कूल में ही रखा जाता है और 70 प्रतिशत राशन (कार्य समय की तुलना में) प्रदान किया जाता है। अंतिम सांस तक इसका सम्मान किया जा रहा है।"