जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला का विवादित बयान, बोले- कोई कश्मीरी पंडित कभी नहीं लौटेगा घाटी
चीन के साथ विवाद पर संसद में चर्चा के मुद्दे को उठाते हुए फारूक ने कहा कि विपक्ष की तरफ से बार-बार मांग उठाए जाने के बाद भी सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। इसे लोकतांत्रिक नहीं माना जा सकता।

रायपुर, जेएनएन: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने दावा किया है कि कोई भी कश्मीरी पंडित अब कभी भी कश्मीर नहीं लौटेगा। कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और मास्टर ऑफ नथिंग-डब्ल्यूडी (विदाउट डिग्री) के लेखक शिव ग्वालानी की बेटी की शादी में शामिल होने रायपुर पहुंचे फारूक ने कहा कि पिछले 32 वर्षों में हालात काफी बदल चुके हैं। कश्मीरी पंडितों से वादा करने वाले राज्यपाल भी अब नहीं रहे। कश्मीर में शांति बहाल हुए बिना कश्मीरी पंडितों की वापसी मुश्किल है।
वैवाहिक आयोजन में राजनीतिक बात से मना करते हुए फारूक ने अधिकांश सवालों को टालने की कोशिश की, लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर होने में देर नहीं लगाई। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर टिप्पणी से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ही इस संबंध में सही जवाब दे पाएगी। कश्मीर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में भागीदारी और गठबंधन के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा होने के बाद ही गठबंधन के विषय में विचार किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रति आक्रामक रवैया अपनाते हुए कहा कि वह प्रतिदिन कुछ न कुछ नया कानून बना देते हैं। वह जम्मू-कश्मीर में नए भूमि पट्टा कानून पर टिप्पणी कर रहे थे, जिसके तहत वाणिज्यिक संपत्तियों के पट्टेदारों को सरकार को संपत्ति सौंपने को कहा गया है। इसके तहत पट्टेदारों को सरकार द्वारा संपत्ति पर बनाए गए ढांचे के लिए मुआवाजा देने का प्रविधान है।
उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला कितने कानूनों का जवाब दें। चीन के साथ विवाद पर संसद में चर्चा के मुद्दे को उठाते हुए फारूक ने कहा कि विपक्ष की तरफ से बार-बार मांग उठाए जाने के बाद भी सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। इसे लोकतांत्रिक नहीं माना जा सकता। पाकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी पर जवाब देने से इन्कार करते हुए उन्होंने कहा कि इसपर तो विदेश मंत्री को जवाब देना चाहिए। उनकी तरफ से पाकिस्तानी विदेश मंत्री की टिप्पणी पर जवाब दिया जाना उचित नहीं रहेगा। देश की अर्थव्यवस्था पर ¨चता जताते हुए उन्होंने डालर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई। सरकार की तरफ से स्थिति सुधारने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए जाने को उन्होंने दुखद करार दिया।
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