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    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रयास रंग लाए, छत्तीसगढ़ की 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को केंद्र की मंजूरी

    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजातियों में शामिल कराने के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ की 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की स्वीकृति दे दी है।

    By Vijay KumarEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 11:20 PM (IST)
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    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रयास रंग लाए, 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मिली स्वीकृति

    रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजातियों में शामिल कराने के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ की 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री बघेल ने 11 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भेजकर छत्तीसगढ़ की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया था।

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    एसटी में शामिल छत्तीसगढ़ की 12 जातियां

    छत्तीसगढ़ की जिन 12 जातियों को एसटी में शामिल किया गया है, उनमें भारिया भूमिया के पर्याय के रूप में भूईंया, भूईयां, भूयां, भरिया हैं, वहीं पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो को व धनवार के पर्याय के रूप में धनुहार, धनुवा को, गदबा, गोंड के साथ गोंड़ को, कोंध के साथ कोंद, कोडाकू व कोड़ाकू को, नगेसिया और नागासिया के पर्याय के रूप में किसान, धनगढ़ का परिशोधन धांगड़ शामिल हैं।

    इतनी आबादी है प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की

    जनगणना 2011 के अनुसार राज्य में अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 78 लाख 22 हजार 902 है। प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग एक तिहाई जनसंख्या (30.62 प्रतिशत) अनुसूचित जनजातियों की है। इनमें सर्वाधिक 72 लाख 31 हजार 82 ग्रामीण इलाकों में निवासरत हैं।

    यह होता है फायदा

    अनुसूचित जनजातियों के लिए जितने भी नियम-अधिनियम बनाए गए हैं, उनका लाभ मिलता है। शिक्षा में छात्रवृत्ति समेत विभिन्न् योजनाओं का लाभ मिल जाता है। अनुसूचित जनजातियों के लिए जो भी संवैधानिक अधिकार हैं, उनका लाभ मिलता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत किसी जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल किया जाता है। यह अधिकार भारत सरकार के पास है। राज्यों की ओर से प्रस्ताव भेजे जाने पर भारत सरकार इसकी स्वीकृति करती है।