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    Chhattisgarh: अब शोधकर्ताओं को महात्मा गांधी से जुड़े हर दस्तावेज आसानी से होंगे प्राप्त, बनाया जाएगा संग्रह

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sun, 18 Jun 2023 09:30 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ में जल्द ही महात्मा गांधी की राज्य और ब्रिटिश काल की यात्रा से जुड़े इतिहास को प्रदर्शित करने वाले दस्तावेजों को संरक्षित करने के लिए एक संग्रह होगा। राज्य का सांस्कृतिक विभाग संग्रह को विकसित करने पर काम कर रहा है।

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    Chhattisgarh: अब शोधकर्ताओं को महात्मा गांधी से जुड़े हर दस्तावेज आसानी से होंगे प्राप्त, बनाया जाएगा संग्रह

    रायपुर, एजेंसी। छत्तीसगढ़ में अब शोधकर्ताओं को महात्मा गांधी से जुड़े हर दस्तावेज आसानी से प्राप्त हो सकेंगे। जल्द ही महात्मा गांधी की राज्य और ब्रिटिश काल की यात्रा से जुड़े इतिहास को प्रदर्शित करने वाले दस्तावेजों को संरक्षित करने के लिए एक संग्रह होगा।

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    राज्य का सांस्कृतिक विभाग संग्रह को विकसित करने पर काम कर रहा है। बता दें कि हाल ही में महात्मा गांधी की यात्राओं और राज्य के समृद्ध इतिहास से संबंधित अभिलेखों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी की मेजबानी की गई थी।

    छत्तीसगढ़ के शोधकर्ताओं के लिए फायदेमंद होगा

    इतिहासकार केके अग्रवाल ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा कि 'महात्मा गांधी के सभी अभिलेख, 1933 में उनकी छत्तीसगढ़ यात्रा और ब्रिटिश काल भोपाल के वल्लभ भवन में रखे गए हैं। इन सभी को संस्कृति विभाग रायपुर भेज दिया गया है। हम रायपुर में एक व्यवस्थित संग्रह बना रहे हैं, जो छत्तीसगढ़ के शोधकर्ताओं के लिए फायदेमंद होगा। यह कदम निःसंदेह काबिले तारीफ है। अनुसंधान विद्वानों के लिए संग्रह फायदेमंद होने जा रहा है।'

    इस राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत गांधी ने छत्तीसगढ़ से की थी

    अग्रवाल ने आगे बताया कि, '20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी रायपुर आए और फिर धमतरी चले गए। रायपुर के बाद गांधी नागपुर गए जहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) का 35वां अधिवेशन होना था और यह वही कार्यक्रम था जहां असहयोग आंदोलन के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाना था।

    नवंबर 1933 में, महात्मा गांधी ने 'हरिजन' समुदाय से संबंधित लोगों के उत्थान के लिए पूरे देश का दौरा करने की घोषणा की। इस राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत गांधी ने छत्तीसगढ़ से की थी और 'मार्च' दुर्ग से शुरू किया गया था। 22 नवंबर, 1933 को महात्मा गांधी दुर्ग पहुंचे और घनश्याम सिंह गुप्ता के मेहमान बने।