मानसून में शिशुपाल पर्वत घूमने का बना सकते हैं प्लान, ट्रैकिंग और वाटरफॉल के साथ शानदार नजारों का लें आनंद
Best Places to Visit in Monsoon इस मानसून में अगर आप घूमने का मन बना रहे हैं तो छत्तीसगढ़ सबसे बढ़िया जगह है। यहां के खूबसूरत जलप्रपात नदियां जंगल और पहाड़ देशभर में विख्यात है जो सभी का मन मोह लेते हैं। यही कारण है कि इस मौसम में बड़ी संख्या में पर्यटक यहां घूमने आते हैं। जानिए यहां कैसे पहुंच सकते हैं और कैसे रुक सकते हैं।

गिरीश वर्मा, रायपुर। मानसून के समय में घूमने के लिए छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित शिशुपाल पर्वत सबसे उपयुक्त जगहों में से एक है। ट्रैकिंग-कैंपिंग और आकर्षक व्यू प्वाइंट देखने की चाहत रखने वाले युवाओं के लिए यह अच्छा विकल्प है। जिले में कई जलप्रपात, खल्लारी मंदिर, चंडी मंदिर और पुरातात्विक नगरी सिरपुर भी आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
रायपुर से 180 किमी दूरी पर है स्थित
शिशुपाल पर्वत राजधानी रायपुर से लगभग 180 किमी की दूरी पर स्थित है। प्रकृति की गोद में शांति ढूंढने वाले लोगों के लिए इस पहाड़ पर चढ़ना किसी रोमांचक यात्रा जैसा है। साथ ही यह कई रहस्यों से भरा हुआ है। वर्षा की बूंदों के साथ यहां पहाड़ ने पूरी तरह से हरियाली की चादर ओढ़ ली है।
1200 फीट की ऊंचाई पर उगते सूरज की पहली किरणों के साथ सेल्फी लेने यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। घोड़ाधार जलप्रपात में 300 मीटर की ऊंचाई से गिरते पानी का दृश्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता हैं। साफ मौसम में पर्वत की ऊंचाई से लगभग 90 किमी की दूरी तक देखा जा सकता है।
एक ही पर्वत पर नौ जलप्रपात
एनएच-53 पर स्थित सरायपाली से लगभग 26 किमी की दूरी पर शिशुपाल पर्वत है। लगभग 10 किमी के क्षेत्रफल में फैला पर्वत पेड़-पौधों से आच्छादित है। इसकी सबसे ऊंची चोटी को खेमाखुटी कहा जाता हैं। इसके पूर्वी भाग में स्थित घोड़ाधार जलप्रपात पर्वत की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। यहां आप ट्रैकिंग के साथ रिवर क्रासिंग और माउंटेन रेपलिंग का आनंद ले सकते हैं।
शिशुपाल पर्वत के रास्ते में ट्रैकिंग करते युवा।
काशीपठार, रानी झरना, थीपा पानी, रानी तालाब, कबीर चौरा सहित आठ और जलप्रपात हैं। चोटी पर भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर भी है। सरायपाली से लगभग 10 किमी दूर स्थित बरतियाभाठा में पत्थरों के कई शिल्प है। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले श्राप के चलते यहां बाराती पत्थर में बदल गए थे। शिशुपाल पर्वत से रायपुर वाले रास्ते में आप कोडार जलाशय घूमने जा सकते हैं।
यहां रोज भालू भी आते हैं आरती में
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर बागबाहरा में खल्लारी माता मंदिर और चंडी मंदिर भी दर्शन के लिए जा सकते हैं। दोनों मंदिर पांच किमी के दायरे में स्थित है। 800 से अधिक सीढ़ियां चढ़ने के बाद खल्लारी माता के दर्शन होते हैं। थोड़ी दूरी पर डोंगा पत्थर देखने को मिलता है। 10 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा यह अद्भुत पत्थर छोटी नाव जैसा दिखाई देता है। घूंचापाली गांव के चंडी मंदिर में भालू आते हैं और दर्शन के बाद प्रसाद खाकर चले जाते हैं।
बागबाहरा का खल्लारी माता मंदिर। (फोटो- इंटरनेट मीडिया)
धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए मंदिर भी
महानदी के तट पर पुरातात्विक स्थल सिरपुर है। यहां ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर है। पुरातात्विक खुदाई में यहां पर प्राचीन बौद्ध मठ भी मिले हैं। गंधेश्वर महादेव मंदिर, आनंद प्रभु कुटीर और स्वास्तिक बौद्ध विहार आदि दर्शनीय स्थल है।
महासमुंद से करीब 30 किमी दूर राजिम है, जहां राजीव लोचन मंदिर, कुलेश्वर महादेव मंदिर और महानदी सहित तीन नदियों के संगम के दर्शन होते हैं। यहां से 25 किमी दूर स्थित चंपारण भी आप जा सकते हैं। गरियाबंद जिले में जतमई-घटारानी मंदिर व जलप्रपात, भूतेश्वरनाथ मंदिर और सिकासार जलाशय भी अच्छे स्थल है।
गरियाबंद जिले में स्थित जतमई-घटारानी मंदिर। (फोटो- इंटरनेट मीडिया)
इस तरह पहुंचे, यहां रुके
रायपुर एयरपोर्ट और स्टेशन से आप आसानी से महासमुंद और गरियाबंद जा सकते हैं। यहां से निजी वाहन लेकर सभी पर्यटन स्थलों की सैर की जा सकती है। महासमुंद, सरायपाली, राजिम, गरियाबंद और रायपुर में रुकने के लिए सभी तरह के होटल, लाज और धर्मशाला उपलब्ध है।
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