छत्तीसगढ़ के रामगढ़ पहाड़ में एक हफ्ते से आग, कालिदास की रंगशाला पर खतरा
छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक रामगढ़ पहाड़ पिछले एक हफ्ते से आग में जल रहा है जिससे 50 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र नष्ट हो चुका है। यहां स्थित कालिदास की रंगश ...और पढ़ें

जेएनएन, अंबिकापुर। पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ा छत्तीसगढ़ का रामगढ़ पहाड़ एक सप्ताह से आग में जल रहा है। पहाड़ के निचले भाग में ही विश्व की प्राचीनतम प्राकृतिक नाट्यशाला स्थित है। महाकवि कालिदास की कृति मेघदूतम की रचनास्थली के लिए प्रसिद्ध रामगढ़ के सीताबेंगरा गुफा कालिदास की रंगशाला के नाम से भी जानी जाती है। इसी के आसपास एक सप्ताह पहले आग लगी।
धीरे-धीरे यह आग समूचे पहाड़ क्षेत्र में पहुंच चुकी है। रात के समय कई किलोमीटर दूर से ही समूचा पहाड़ धधकता नजर आता है। इस समय 50 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र जल चुका है। इस क्षेत्र में दमकल वाहनों के नहीं पहुंच पाने के कारण वन विभाग के कर्मचारी आग पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं।
आग पर पूरी तरह से नहीं पाया जा सका काबू
ब्लोअर मशीन और पत्तियों को काटने के प्रयास के बावजूद आग पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। सूखी पत्तियों की वजह से आग तेजी से फैल रही है। इस आग से क्षेत्र के वन्यजीवों को भी खतरा हो गया है और कई भालू तथा बंदर मैदानी क्षेत्रों में आ गए हैं। बंदर पर्यटकों से भोजन छीनने लगे हैं और कई बार गाडि़यों के ऊपर झुंड बनाकर बैठ जा रहे हैं।
रामगढ़ के आसपास दो-तीन भालुओं का विचरण शुरू हो गया है। उदयपुर के वन परिक्षेत्राधिकारी कमलेश राय ने बताया कि वर्तमान में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले जंगल में लगी आग को बुझाने में कर्मचारी तथा वन प्रबंधन समिति के लोग लगे हुए हैं।
नाट्यशाला के निकट ही होता है प्रतिवर्ष रामगढ़ महोत्सव
रामगढ़ पहाड़ पर स्थित कालिदास की नाट्यशाला के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए ही उसके निकट प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग प्रतिवर्ष आषाढ़ के पहले दिन से दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का आयोजन करता है। इसमें राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और देश भर के साहित्यकार-कलाकार जुटते हैं। सरकार के राम वन गमन परिपथ में भी रामगढ़ को शामिल किया गया है।

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