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    Chhattisgarh Coal Scam: कोयले की दलाली में किनका-किनका हाथ काला!

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Mon, 17 Oct 2022 11:21 AM (IST)

    रायगढ़ के कोयला खान से इतना कोयला उत्पादन होता है कि यह 25 रुपये की दर से ही प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये आमदनी का स्रोत बन गया। यानी 700 करोड़ रुपये से अधिक की वार्षिक आमदनी का मार्ग प्रशस्त कर लिया गया था।

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    कोयले की दलाली में जिनका-जिनका हाथ काला हुआ है, उनके नाम कब उजागर होंगे

    रायपुर, सतीश चंद्र श्रीवास्तव। एक पुरानी कहावत है, कोयले की दलाली में हाथ काला हो ही जाता है। इसी कहावत में अधिक कमाई का सूत्र छिपा है। ईडी का दावा है कि भ्रष्ट नौकरशाहों, नेताओं, कारोबारियों और दलालों की चौकड़ी ने कमाई के सूत्र को पकड़ा और प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये की आमदनी का मार्ग निकल आया। धनवर्षा शुरू हो गई। आकलन है कि गिरोह के सरगना सूर्यकांत तिवारी ने ऐसा जाल बिछाया कि 16 महीने में 500 करोड़ रुपये वसूल लिए गए हैं। इसके लिए नौकरशाह के रूप में खनन विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर समीर बिश्नोई ने केंद्रीय व्यवस्था में एक छोटा सा बदलाव किया।

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    खनिज परिवहन की अनुमति की आनलाइन व्यवस्था को बदल कर मैनुअल का प्रविधान कर दिया। जिलाधिकारी कार्यालय की माइनिंग शाखा की हस्तलिखित अनुमति के बिना किसी भी माध्यम से कोयले की ढुलाई पर रोक लगा दी। प्रदेश में ईडी की कार्रवाई जारी है। आइएएस बिश्नोई और सूर्यकांत के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी के साथ कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल आठ दिनों के लिए ईडी के रिमांड पर हैं।

    ईडी की गिरफ्त में समीर बिश्नोई (हरे रंग की शर्ट में)। जागरण

    सारे भ्रष्टाचार उजागर होंगे, सच सामने आएगा

    रायगढ़ की कलेक्टर रानू साहू और उनके पति तथा खनन विभाग के डायरेक्टर जेपी मौर्य से पूछताछ चल ही रही है। तीन आइएएस अधिकारियों सहित 16 कारोबारियों को लपेटे में लेने वाले माइनिंग घोटाले ने स्वाभाविक रूप से राजनीतिक विस्तार भी ले लिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विभाग होने के कारण विपक्ष को जोरदार तरीके से हमलावर होने का मौका मिल गया है। हर स्तर पर ट्विटर वार छिड़ गया है। नेताओं की रचनात्मकता भी उभर कर सामने आ रही है।

    पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने ट्वीट किया है- बेल पर मुखिया अब बेलगाम हो गया, चंद पैसों के लिए भ्रष्ट अधिकारियों का गुलाम हो गया। यह लो 25 रुपये प्रति टन का साक्ष्य। आगे की कार्रवाई के लिए तैयारी कर लें। अब माफी भी मांग लीजिए। सारे नाम सामने आएंगे। सारे भ्रष्टाचार उजागर होंगे, सच सामने आएगा, सब सामने आएगा। उधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह पर हमलावर हैं।

    ईडी का शिकंजा किन-किन पर कसता है

    भाजपा सरकार के कार्यकाल के प्रियदर्शनी घोटाले को आधार बनाते हुए उन्होंने ट्वीट किया है- भ्रष्टाचार के पितामह को लगता है कि मार्गदर्शक मंडल में हुई वाइल्ड कार्ड एंट्री से बाहर आने के लिए छत्तीसगढ़ को बदनाम करेंगे, ये नहीं चलेगा। कौन किसका एटीएम है, इसका प्रमाण तो देना ही पड़ेगा। (संदर्भ- रमन सिंह ने पिछले दिनों बघेल पर सोनिया गांधी का एटीएम होने का आरोप लगाया है।) पनामा के खाते में दर्ज है जिनका नाम, वे फिर करने लगे छत्तीसगढ़ को बदनाम। वैसे नान की डायरी में नागपुर से लखनऊ तक का जिक्र है, वे किस स्वाइप मशीन से हस्तांतरित हुए थे, प्रदेश की जनता जानना चाह रही है। प्रदेश के दोनों प्रमुख नेताओं के बीच ट्विटर पर लड़ाई छिड़ी है। इस बीच ईडी ने रिमांड के लिए दायर आवेदन में बताया है कि भ्रष्टाचार के धुरंधरों ने मात्र 25 रुपये प्रति टन की दलाली के सूत्र को पकड़ा।

    रायगढ़ के कोयला खान से इतना कोयला उत्पादन होता है कि यह 25 रुपये की दर से ही प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये आमदनी का स्रोत बन गया। यानी 700 करोड़ रुपये से अधिक की वार्षिक आमदनी का मार्ग प्रशस्त कर लिया गया था। ईडी को 500 करोड़ रुपये के लेनदेन के दस्तावेज मिल चुके हैं। सूत्रधार की भूमिका में नाम आया कांग्रेस के पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर के दामाद सूर्यकांत तिवारी का। उन्हें जुलाई में बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था, परंतु फिलहाल जमानत लेकर भूमिगत हैं। अब समय बताएगा कि ईडी का शिकंजा किन-किन पर कसता है। उधर, भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर दी है।

    विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका मिलने के बाद नारायण चंदेल को बड़ा मुद्दा मिल गया है। प्रदेश के राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल पहले ही रायगढ़ की जिलाधिकारी रानू साहू को भ्रष्ट बताते हुए मोर्चा खोले हुए हैं। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू नशे के धंधे में जुटे पुलिस अधिकारियों की सूची आला अधिकारियों को सौंपने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से आहत हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव केंद्रीय नेतृत्व की वादाखिलाफी के कारण सरकार में होते हुए भी असहज हो जा रहे हैं। कोयला की दलाली से करोड़पति बनने का फार्मूला सफल है। अब ईडी को ही बताना है कि कोयले की दलाली में जिनका-जिनका हाथ काला हुआ है, उनके नाम कब उजागर होंगे, सलाखों के पीछे कब भेजा जाएगा?

    [संपादकीय प्रभारी, रायपुर]

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