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    Chhattisgarh: आजादी के 75 साल बाद मिला वोट का अधिकार, नक्सल प्रभावित गांव के आदिवासियों को दिए गए पहचान पत्र

    देश की आजादी के 75 साल बाद भी कई लोग ऐसे हैं जिनकी कोई आइडेंटिटी नहीं है। यानी उनका न तो आधार कार्ड है ना वोटर कार्ड और ना ही राशन कार्ड। ऐसे लोग छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित गमपुर गांव में रहते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 02 Jun 2023 05:30 AM (IST)
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    Chhattisgarh: आजादी के 75 साल बाद मिला नक्सल प्रभावित गांव के आदिवासियों को पहचान पत्र

    दंतेवाड़ा, प्रदीप गौतम। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के बैलाडीला खदान की तराई में बसे गांव गमपुर के आदिवासियों को देश की आजादी के 75 वर्ष बाद पहचान पत्र मिला है। घोर नक्सल प्रभावित यह गांव बीजापुर जिले में है, लेकिन दुर्गम पहाड़ और भौगोलिक स्थिति के कारण दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल के ज्यादा निकट है।

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    बीजापुर की ओर से यहां पहुंच मार्ग नहीं है, इस कारण आदिवासी पहाड़ चढ़कर 40 किमी का सफर तय कर किरंदुल बाजार पहुंचते हैं। सरकार ने किरंदुल में कैंप लगाकर आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनाना प्रारंभ किया है।

    गमपुर गांव में नक्सली सरकारी पहचान पत्र का विरोध करते हैं, इसलिए उनके भय से कई ग्रामीण कार्ड बनवाने के लिए नहीं आ रहे थे। अब फोर्स की मौजूदगी से परिस्थितियां बदली हैं तो लोग पहचान पत्र बनवाने के लिए आ रहे हैं। बुधवार को किरंदुल नगरपालिका कार्यालय पहुंच 120 ग्रामीणों ने मतदाता पत्र के लिए आवेदन किया। 37 का राशन कार्ड और 37 का आधार कार्ड बनाया गया।

    कार्ड बनवाने पहुंचीं आदिवासी महिलाएं

    दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में कैंप लगाकर आधार, राशन कार्ड, मतदाता परिचय पत्र बनाया गया।  छोटे-छोटे बच्चों के साथ 40 किमी का सफर कर पहुंचीं महिलाएं गमपुर से 40 किमी का जंगली, पहाड़ी रास्ता पैदल तय कर ग्रामीण किरंदुल आ रहे हैं। इनमें कई महिलाएं हैं, जो बच्चों के साथ भीषण गर्मी झेलते हुए पहुंची हैं।

    आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं होने से ये योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। बामन, जोगा, बुधरी, हिड़मे आदि का कहना है कि सरकारी दस्तावेज मिलने पर हम योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रहेंगे।