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    CG News: छत्तीसगढ़ में 'हर घर नल' के रास्ते का 'कांटा' बना घटिया निर्माण, वर्ष 2019 में शुरु हुई थी योजना

    By Jagran News Edited By: Paras Pandey
    Updated: Wed, 03 Jan 2024 06:30 AM (IST)

    योजना से ग्रामीणों को उम्मीद थी कि उनके घरों में नल लगने के बाद उन्हें पानी लेने दूर नहीं जाना पड़ेगा और घर पर ही शुद्धजल उपलब्ध हो जाएगा। एक वर्ष पहले योजना पूरी हुई तो कुछ दिन तक घरों में नल से पानी आता रहा पर वक्त के साथ इन नलों में पानी आना बंद हो गया और साथ ही ग्रामीणों की उम्मीदें भी धूल धुसरित हो गई।

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    योजना में बस्तर संभाग के 3000 से अधिक गांव में घर-घर तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य था

    अनिमेष पाल, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के बड़ांजी गांव की मुख्य बस्ती में टोंगसीगुड़ा पहुंचते ही चौक पर जल जीवन मिशन रेट्रोफिटिंग नल-जल प्रदाय योजना के भूमिपूजन का शिलालेख बताता है कि 59.72 लाख रुपये से इस पारा के प्रत्येक घर तक नल और जल पहुंचा दिया गया है।

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    पर खराब सड़क की धूल से धूमिल शिलालेख में पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री रुद्र गुरु, कवासी लखमा व सांसद दीपक बैज व विधायक राजमन बेंजाम की मल्टीकलर तस्वीर की तरह ही इस गांव में जल-जीवन मिशन की स्थिति भी हो चुकी है।

    टोंगसीपारा के पंच पितांबर के घर लगा नल बेकार 

    योजना से ग्रामीणों को उम्मीद थी कि उनके घरों में नल लगने के बाद उन्हें पानी लेने दूर नहीं जाना पड़ेगा और घर पर ही शुद्धजल उपलब्ध हो जाएगा। एक वर्ष पहले योजना पूरी हुई तो कुछ दिन तक घरों में नल से पानी आता रहा, पर वक्त के साथ इन नलों में पानी आना बंद हो गया और साथ ही ग्रामीणों की उम्मीदें भी धूल धुसरित हो गई। बड़ांजी ही नहीं पूरे बस्तर में योजना की स्थिति इसी तरह है। वर्ष 2019 में शुरु हुई केंद्र सरकार की जल-जीवन मिशन योजना बस्तर में आकर अपने मिशन से भटक चुकी है। 

    योजना में बस्तर संभाग के 3000 से अधिक गांव में घर-घर तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य था, पर चार वर्ष बाद करीब 300 गांव में ही नल-जल योजना शुरू हो सकी है। इसमें 240 गांव में आंशिक तो 71 गांव में शत-प्रतिशत लोगों तक पानी पहुंच रहा है। केंद्र सरकार की इस योजना में महत्वपूर्ण कड़ी राज्य सरकार थी। पूर्ववर्ती सरकार में मनमानी तरीके से ठेके दिए गए।

    जिससे स्तरहीन काम हुआ और लक्ष्य के दस प्रतिशत लोगों को भी पानी नहीं मिल सका। बस्तर जैसे क्षेत्र जहां आज भी लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाता है, विभागीय लापरवाही का नुकसान लोगों को भुगतना पड़ा है। जल-जीवन मिशन में सम्मिलित बड़ांजी गांव की रिपोर्ट। बड़ांजी में कमला के घर लगा नल का चबूतरा अब सामान रखने का काम आता है।

    टंकी की पाइप फटने से रिसाव

    टंकी में रिसाव व आपूर्ति लाइन में भी खराबी जलप्रदाय के लिए बनाई गई पानी टंकी की पाइपलाइन में रिसाव दिखाई दे रहा था। जलापूर्ति लाइन के भी कई जगह टूट-फूट जाने से पानी सड़क पर बहता दिखाई दिया। पानी टंकी के पास रहने वाले शंकर कश्यप ने बताया कि निर्माण के कुछ माह बाद ही जलप्रदाय टंकी की पाइप लाइन में खराबी आ गई थी और पानी रिसने लगा था। कई बार शिकायत कर चुके हैं, पर इसे सुधारा नहीं गया। ग्रामीणों का मानना है कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है, जिसकी वजह से कुछ ही माह में योजना की दुर्दशा हो गई।

    बड़ांजी के पंच तरस रहे पानी के लिए गांव में सोलर सिस्टम से लगाई गई जलप्रदाय टंकी से करीब 50 मीटर की दूरी पर रहने वाले इस पारा के पंच पिंताबर नाग के यहां लगाया गया नल अब किसी काम का नहीं है। पितांबर ने बताया कि उनके घर पर पाइप से पानी बहुत कम आ रहा था, इसलिए घर के आंगन के पास पाइप काटकर दूसरी पाइप जोड़ दी है, जिससे थोड़ा बहुत पानी मिल जाता है। उन्होंने बताया कि पारा के अधिकतर घर में लगाए गए नल किसी काम के नहीं हैं।

    नल का चबूतरा बन गया सामान रखने की जगह गांव की कमला कश्यप के घर के आंगन में लगा नल का चबूतरा अब सामान रखने के काम आता है। कमला ने बताया कि शुरुआती एक माह ही उनके यहां पानी आया है। इसके बाद पानी आना बंद हो गया और अब यह नल किसी काम का नहीं है।

    ठेकेदार ने नल का केवल पाइप लगाया था, नल की टोटी नहीं लगाई। पास ही रहने वाले नूरसिंह कश्यप ने बताया कि उनके घर में भी लगाए गए नल से पानी नहीं आता और वे सभी चौक पर हैंडपंप से पानी लाने जाते हैं।