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    CG News: मोदी सरकार के भेजे अन्न का मतांतरण के लिए हो रहा दुरुपयोग, अनाज से मिशनरी हर साल कमा रही 100 करोड़

    Updated: Sat, 16 Nov 2024 06:00 AM (IST)

    लगभग सात लाख ईसाई आबादी वाले छत्तीसगढ़ में मिशनरियों के प्रतिनिधि प्रत्येक मतांतरित परिवार से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मात्र एक मुट्ठी चावल अंशदान करा र ...और पढ़ें

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    मोदी सरकार के भेजे अन्न का मतांतरण के लिए हो रहा दुरुपयोग

     संदीप तिवारी, रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जो योजना गरीबों की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित के लिए सराही जा रही थी। अब उसी योजना के तहत मिलने वाले अनाज को एक-एक मुट्ठी लेकर मतांतरण के लिए किया जा रहा है।

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    चावल को खुले बाजार में 25 से 30 रुपये किलो में बेचा जा रहा

    दुरुपयोग का आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की इस योजना से मिलने वाले अनाज से मिशनरियां प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये से अधिक धन एकत्र कर रही हैं। लगभग सात लाख ईसाई आबादी वाले प्रदेश में मिशनरियों के प्रतिनिधि प्रत्येक मतांतरित परिवार से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मात्र एक मुट्ठी चावल अंशदान करा रहे हैं। फिर इस अनाज जिसमें मूलरूप से चावल ही होता है उसे खुले बाजार में 25 से 30 रुपये किलो में बेचा जा रहा है।

    विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए या फारेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट, 2019) लागू होने के बाद गांव-गांव में फैले प्रचारकों के वेतन भुगतान में मुश्किल खड़ी हो गई थी। इस मुश्किल को हल करने के लिए सरकारी अन्न योजना का सहारा लिया गया। पड़ताल में स्पष्ट हो रहा है कि प्रदेश में जशपुर से लेकर बस्तर तक मतांतरण कराने में जुटे संगठनों ने धन की व्यवस्था का प्रबंध देश के आंतरिक संसाधन से ही किया है।

    सरकारी अनाज मतांतरण के लिए उपयोग कर रहे कुछ लोग- मंत्री दयाल दास बघेल

    इस संबंध में छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार गरीबों के लिए चावल दे रही है। अगर कुछ लोग इसका मतांतरण के लिए उपयोग कर रहे हैं तो पूरे प्रकरण की गंभीरता से जांच कराएंगे। आंकड़ों समझे मतांतरण की साजिश 35 किलो चावल -प्रति माह चार सदस्यों वाले परिवार को मिलता है

    2.5 करोड़- लोगों को अनाज योजना का लाभ

    प्रदेश में सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण स्थिति जशपुर जिले में है, जहां आबादी का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मतांतरित हो जाने का आकलन है। यद्यपि मार्च 2024 में आरटीआइ के अनुसार यहां मात्र 210 लोग कानूनी तौर पर ईसाई बने और उन सभी की मौत भी हो चुकी है। दूसरी तरफ 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार जशपुर के 22.5 प्रतिशत अर्थात 1.89 लाख लोगों ने स्वयं को ईसाई बताया था।

    10 लोगों ने मिशनरियों की एक मुट्ठी चावल योजना के बारे में बताया

    वर्तमान समय में यह आंकड़ा तीन लाख से ऊपर जा चुका है। बजरंग दल के पूर्व जिलाध्यक्ष नीतिन राय ने बताया कि वर्ष 2020 में जशपुर के बगीचा ब्लॉक स्थित समरबहार गांव में चंगाई सभा के दौरान गिरफ्तार 10 लोगों ने मिशनरियों की एक मुट्ठी चावल योजना के बारे में बताया था। 20 जनवरी 2024 को शहर से सटे जुरगुम गांव में गिरफ्तार लोगों ने भी इसकी पुष्टि की है।

    प्रदेश स्तर पर यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से भी अधिक

    एक आकलन के अनुसार इस योजना से अंबिकापुर, जशपुर, रायगढ़ और बलरामपुर जिले में ही प्रति वर्ष 50 से 55 करोड़ रुपये जुटाए जा रहे हैं। प्रदेश स्तर पर यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से भी अधिक है।

    मिशनरियां अब स्वयंसेवी संस्था के रूप में सिर्फ स्कूल और अस्पताल के लिए ही विदेश फंड प्राप्त कर सकतीं हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेवाई) और प्रदेश सरकार की अन्नपूर्णा योजना के तहत प्रत्येक परिवार को दिया जाने वाला चावल मतांतरण प्रक्रिया से जुटे प्रचारकों (पास्टर) के लिए अर्थ संग्रहण का साधन बन गया है। - सत्येंद्र तिवारी, न्यायिक सलाहकार कल्याण आश्रम