'जब कोई नक्सली मारा जाता है तो कोई भी खुश नहीं होता', छत्तीसगढ़ में बोले अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि बस्तर ने 50 साल में विकास नहीं देखा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच वर्ष में बस्तर को सब-कुछ देना चाहते हैं। दंतेवाड़ा में आयोजित संभाग स्तरीय बस्तर पंडुम (बस्तर मेला) के समापन समारोह को संबोधित करते शाह ने कहा कि सरकार मार्च 2026 तक नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। जो लोग आत्मसमर्पण करेंगे वे मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएंगे।

जेएनएन, दंतेवाड़ा। गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को बस्तर में कहा कि मैं नक्सली भाइयों से आग्रह करता हूं कि वे हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हों। आप हमारे अपने हैं। जब कोई नक्सली मारा जाता है तो कोई भी खुश नहीं होता। आप हथियार उठाकर अपने आदिवासी भाइयों और बहनों के विकास को नहीं रोक सकते।
मोदी सरकार बस्तर को सब-कुछ देना चाहते हैं
आगे कहा कि बस्तर ने 50 साल में विकास नहीं देखा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच वर्ष में बस्तर को सब-कुछ देना चाहते हैं। दंतेवाड़ा में आयोजित संभाग स्तरीय बस्तर पंडुम (बस्तर मेला) के समापन समारोह को संबोधित करते शाह ने कहा कि सरकार मार्च 2026 तक नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। जो लोग आत्मसमर्पण करेंगे, वे मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएंगे, बाकी को सुरक्षा बल जवाब देंगे।
जिस गांव के लोगों के सहयोग से गांव के सभी नक्सली आत्मसमर्पण कर देंगे, उस गांव को 'नक्सली मुक्त गांव' घोषित कर विकास के लिए एक करोड़ रुपये की विकास निधि दी जाएगी। ग्राम सभा कर गांवों में आत्समर्पण की प्रक्रिया लाएं। आत्समर्पित नक्सलियों की सुरक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था सरकार सुनिश्चित करेगी।
अगले वर्ष से राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में मनेगा बस्तर मेला
अमित शाह ने बस्तर मेला को अगले वर्ष से राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में मनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि देश भर के आदिवासी जिलों के कलाकारों को महोत्सव में आमंत्रित किया जाएगा और बस्तर की संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी। 12 मार्च से पांच अप्रैल तक चले बस्तर पंडुम में 47 हजार कलाकारों ने भाग लिया है।
तेलंगाना में छत्तीसगढ़ के 86 नक्सलियों ने डाले हथियार, इसमें 20 महिला नक्सली
गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ के 86 नक्सलियों ने हैदराबाद में तेलंगाना पुलिस के समक्ष समर्पण कर मुख्यधारा में वापसी कर ली। इनमें 20 महिला नक्सली हैं। समूह में समर्पण करने वाले नक्सलियों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।
तेलंगाना की पुनर्वास नीति के तहत समर्पण करने वाले चार एरिया कमेटी सदस्यों को एक-एक लाख व अन्य 82 सदस्यों को 25-25 हजार रुपये का चेक दिया गया। बता दें कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा व बीजापुर की सीमा तेलंगाना से लगी हुई है।
समर्पण करने वाले नक्सलियों ने कही ये बात
इन जिलों के सीमाई क्षेत्रों से जिला मुख्यालय कहीं-कहीं सौ किलोमीटर की दूरी पर हैं, जबकि तेलंगाना के पड़ोसी जिलों के मुख्यालय नजदीक हैं और परिवहन के साधन सहज उपलब्ध हैं। समर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे आक्रामक सरकारी अभियान और विकास कार्यों से प्रभावित होकर वह मुख्य धारा में वापसी कर रहे हैं।
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