जहां गूंजती थी बम बारूद की आवाज, वह अबूझमाड़ बन रहा फुटबाल की नर्सरी
दशकों से माओवादियों की शरणस्थली रहा अबूझमाड़ अब फुटबाल की नर्सरी बन रहा है। यहां के युवा राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं, कुछ माओवादी हिंसा पीड़ित परिवा ...और पढ़ें

सब जूनियर नेशनल फुटबाल प्रतियोगिता 2025 में भाग लेने वाली छत्तीसगढ़ टीम
विनोद सिंह, जगदलपुर। बस्तर का सुदूर और घने जंगलों से आच्छादित भौगोलिक विषमताओं वाला अबूझमाड़ क्षेत्र, जो दशकों से माओवादियों की शरणस्थली के रूप में जाना जाता था, अब अपनी पहचान बदलकर फुटबाल की नर्सरी के रूप में तेजी से उभर रहा है।
विशेष पिछड़ी जनजाति अबूझमाड़िया के रहवास वाला यह क्षेत्र, जहां कभी बम बारूद और गोलीबारी की गूंज सुनाई देती थी, अब खेल के मैदान में बदल रहा है। लगभग 600 वर्ग किलोमीटर में फैले अबूझमाड़ में खेल प्रतिभाएं लगातार निकल रही हैं। इनमेंं कुछ माओवादी हिंसा पीड़ित परिवारों से भी हैं।
यहां के ग्राम इरकभट्टी के सुरेश कुमार ध्रुव जैसे युवा भारतीय अंडर-18 एशियन कप फुटबाल में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। अभिषेक कुंजाम को भारत के चर्चित ईस्ट बंगाल फुटबाल क्लब ने, अखिलेश उइके और मनोज लेकाम को कोलकाता प्रीमियम डिवीजन लीग के लिए पीयरलेस क्लब ने अनुबंधित किया है। लड़कों के साथ लड़कियां भी फुटबाल में धमाल मचा रही हैं।
अबूझमाड़ अब फुटबॉल की नर्सरी के रूप में उभर रहा
मुस्कान सलाम जैसी कई लड़कियां छत्तीसगढ़ की महिला फुटबाल टीम में शामिल होकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। नाम के साथ पैसा कमा रहे फुटबाल खिलाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं।
आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन द्वारा पिछले माह रामकृष्ण मिशन आश्रम नारायणपुर (आरकेएम) में आयोजित अंडर-13 नेशनल फुटबाल प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ की 20 सदस्यीय टीम में 12 खिलाड़ी इसी अबूझमाड़ क्षेत्र के थे। अबूझमाड़ को फुटबाल की नर्सरी के रूप में विकसित करने का सबसे बड़ा श्रेय आरकेएम फुटबाल अकादमी को है।
खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर कर रहे हैं क्षेत्र का प्रतिनिधित्व
नारायणपुर में आरकेएम की स्थापना 1985 में हुई थी और लगभग एक दशक पहले ही फुटबाल अकादमी शुरू की गई है। अबूझमाड़ के अंदरूनी क्षेत्रोंं से छोटे-छोटे बच्चों में खेल प्रतिभा की पहचान कर उन्हें गांव से बाहर लाकर आरकेएम फुटबाल अकादमी से जोड़ने के साथ ही पढ़ाई के लिए रामकृष्ण मिशन में स्कूल के साथ निश्शुल्क आवासीय और भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई गई है।
फुटबाल अकादमी में अबूझमाड़ और नारायणपुर क्षेत्र के अंदरूनी गांवों के दो सौ से अधिक लड़के-लड़कियां फुटबाल की कोचिंग ले रही हैं। आज के दौर में जहां देश में क्रिकेट को धर्म मान लिया गया है वहां फुटबाल की इस नर्सरी का ही कमाल है कि आरकेएम पिछले लगातार पांच वर्षो से राष्ट्रीय शालेय खेल मेंं सुब्रतो कप फुटबाल मेंं छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है।
माओवादी हिंसा पीड़ित परिवारों के बच्चे भी
फुटबाल की नर्सरी आरकेएम अकादमी में अबूझमाड़ के कुतुल, जाटलूर, आकाबेड़ा, मुसनार, लंका, कोहकामेटा, ओरछा आदि अंदरूनी क्षेत्रों से कई बच्चे हैं। हाल ही सब जूनियर नेशनल फुटबाल चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ का प्रतिधित्व करने वाली टीम में प्रीतम मंडावी, रमेश मंडावी, रमेश पोयम, अंकित नुरेटी, मनोज बरदा, डोनेश्वर सम्राट, नारंगो पल्लो, गुरुबो पल्लों, रामलाल कुमेटी, किशोर मोहंदा, उमेश मंडावी, दिनेश सलाम, दिनेश पल्लो आदि 12 खिलाड़ी शामिल थे। ये सभी 10 से 13 वर्ष आयुवर्ग के हैं। इनमेंं कुछ माओवादी हिंसा पीड़ित परिवार से भी हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल मैदान
आरकेएम अकादमी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के तीन फुटबाल मैदान बनकर तैयार हैं। इनमे से एक फीफा मानकों का एस्ट्रो टर्फ मैदान है जो कि आश्रम ने स्वयं के पैसे से पांच करोड़ रुपये खर्च करके बनाया है। दो घास वाले मैदान हैं।
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ द्वारा पिछले वर्ष आरकेएम फुटबाल अकादमी को दो स्टार मान्यता प्रदान की गई है, जिससे यहां के बच्चे सीधे देश के बड़े फुटबाल क्लब से आई लीग में सभी कैटेगरी में भाग लेने में सक्षम हैं।
दो स्टार की मान्यता मिलने के बाद आरकेएम फुटबाल अकादमी खेल परिसर में अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ द्वारा पिछले डेढ़ वर्ष की अवधि में राष्ट्रीय स्तर की पांच बड़ी फुटबाल चैंपियनशिप का आयोजन किया जा चुका है। 22 दिसंबर से संतोष ट्राफी फुटबाल प्रतियोगिता के ग्रुप स्टेज की मेजबानी भी मिल गई है।
खिलाड़ियों में उर्जा प्रतिभा गजब की
छत्तीसगढ़ फुटबाल एसोसिशन के सहायक महासचिव और अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ के कार्यकारिणी सदस्य मोहनलाल का कहना है कि अबूझमाड़ और नारायणपुर के बच्चों में प्रतिभा के साथ फुटबाल के प्रति दीवानगी गजब की है।
फुटबाल की नर्सरी बन चुके आरकेएम अकादमी को राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिताओं की एक के बाद एक मेजबानी दी जा रही है तो इसका कारण यहां खेल आयोजन के लिए पर्याप्त अच्छी सुविधाएं तो हैं ही खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना भी है। राष्ट्रीय स्तर के कोच बच्चों की प्रतिभा को निखारने कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर के कोच दे रहे प्रशिक्षण
आरकेएम के सचिव स्वामी व्यापतानंद का कहना है कि अबूझमाड़ और नारायणपुर को फुटबाल हब बनाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है। कभी माओवादी हिंसा और पिछड़ापन इस क्षेत्र की छवि थी, आज फुटबाल और मलखंभ ने क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी है।
विशेष रूप से गरीब और आदिवासी वर्ग के बच्चे, जो संसाधनों की कमी के कारण पहले पढ़ाई और खेलों से दूर थे, अब मिशन की सहायता से राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों द्वारा बच्चों को पेशेवर तरीके से फुटबाल की बारीकियां सिखाई जाती हैं। यहां के कई खिलाड़ी राज्य, राष्ट्रीय और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं।

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