National Sports Day 2022: भारत के हर राज्य के खेल घोषित, आज तक तय नहीं हो सका छत्तीसगढ़ का राजकीय खेल
छत्तीसगढ़ में कहीं न कहीं राजकीय खेल तय न हो पाने की टीस हम छत्तीसगढ़ियों के मन में बाकी रह गई है। भारत के 29 में से तकरीबन हर राज्य के अपने राजकीय खेल घोषित हैं। छत्तीसगढ़िया भी खेल के लिए इस दीवानगी से अछूते नहीं है।

रायपुर, जागरण आनलाइन डेस्क। National Sports Day 2022 तीन सरकार और राज्य गठन के 22 साल बाद भी हम छत्तीसगढ़ के लोग अब भी अपने राजकीय खेल के तय होने के इंतजार में है। छत्तीसगढ़ में राजकीय चिह्न, भाषा, पक्षी, फल व फूल तय हो चुके हैं जिस पर सभी को गर्व भी है। पर कहीं न कहीं राजकीय खेल तय न हो पाने की टीस हम छत्तीसगढ़ियों के मन में बाकी रह गई है।
राज्यों के राजकीय खेल
मालूम हो कि भारत के 29 में से तकरीबन हर राज्य के अपने राजकीय खेल घोषित हैं। छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र के भी अपने-अपने राजकीय खेल हैं। जानकारी हो कि हम भारतीय मैदान से ज्यादा इसके बाहर खेल खेलते हैं। हाकी-क्रिकेट हो या अन्य कोई परंपरागत खेल हर घर, गली-नुक्कड़ में इसके अघोषित विशेषज्ञ हमें मिल ही जाएंगे, क्योंकि इससे जुड़ी भावनाएं ही हैं, जो हमें ऐसा करने पर मजबूर करती है। हम छत्तीसगढ़िया भी खेल के लिए इस दीवानगी से अछूते नहीं है।
वैसे तो छत्तीसगढ़ में परंपरागत गिल्ली-डंडा, फुगड़ी से लेकर क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन सरीखे प्रोफेशनल खेलों के दीवानों की कमी नहीं है। इन सबके बावजूद हम छत्तीसगढ़ियों को लिए, कहने को अपना कोई ऐसा खेल नहीं है जिसे हम गौरव के साथ प्रशासनिक तौर पर अपना कह सकें। दरअसल बात यह है कि छत्तीसगढ़ ने कभी भी अपना कोई राजकीय खेल घोषित ही नहीं किया है।
क्यों चाहिए हमें अपना खेल
खेलों में छत्तीसगढ़ के योगदान के आंकड़ों की बात करें तो हाल ही में हुए बर्मिंघम कामनवेल्थ गेम्स कि बात की जाए तो भारतीय खिलाड़ियों ने 61 मेडल अपने नाम किए। इसमें छत्तीसगढ़ का गौरव सिर्फ आकर्षि कश्यप ही रही। वहीं 1900 में ओलंपिक खेलों की शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक छत्तीसगढ़ के कुछ ही खिलाड़ी रहे जिन्होंने यहां तक का सफर तय किया है।
लेजली क्लाडियस, आर.बेस्टियन, विसेंट लकड़ा, राजेन्द्र प्रसाद, हनुमान सिंह से लेकर रियो ओलंपिक 2016 की हाकी प्लेयर रेणुका सिंह समेत गिनती के ही नाम हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोफेशनल्ज्मि और ब्रांड बिल्डिंग के बगैर आज के दौर में कोई भी खेल अब आसान नहीं है। छत्तीसगढ़ को भी खेल जगत में आगे बढ़ना है तो खेल से पहले लोगों में खेल भावना लाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग संचालक का कहना है कि राजकीय खेल के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह मंत्रालय स्तर का मामला है। खेल विभाग ने अब तक इस संबंध में कोई प्रस्ताव तैयार नहीं भेजा है। छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ महासचिव के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब तक राजकीय खेल घोषित करने संबंधी कभी कोई पहल नहीं हुई है। ओलंपिक संघ की ओर से राजकीय खेल तय करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने रखेंगे।
अन्य राज्यों के राजकीय खेल
राजस्थान-बास्केटबाल
हरियाणा-कुश्ती
मध्य प्रदेश-मलखंभ
तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब-कबड्डी,
उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा-हाकी
उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल-फुटबाल
सिक्किम-तीरंदाजी
नागालैंड-नागा रेसलिंग, मणिपुर-पोलो,
केरल- फुटबाल, वालीबाल
कर्नाटक- क्रिकेट
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