'1 महीने में 25-25 हजार रुपये दो', 84 बच्चों को कुत्ते का झूठा खाना खिलाने पर हाईकोर्ट का फैसला
बिलासपुर के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को कुत्ते का झूठा खाना खिलाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख़्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकार को एक महीने के भीतर सभी 84 छात्रों को 25-25 हज़ार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की बड़ी लापरवाही है और इससे बच्चों की जान जा सकती थी।

डिजिटल डेस्क, बिलासपुर। सरकारी स्कूल में बच्चों को कुत्ते का झूठा खाना खिलाने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि एक महीने के भीतर सभी छात्रों को 25-25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 2 जजों की पीठ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गरु ने मामले पर सुनवाई करते हुए 84 छात्रों को मुआवजा देने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने दिया आदेश
हाईकोर्ट का कहना है कि स्कूल में जानबूझकर कुत्ते का झूठा खाना परोसना राज्य सरकार की बड़ी लापरवाही है। इससे कई मासूम बच्चों की जान भी जान सकती थी। इसलिए स्कूल के 84 बच्चों को 1 महीने के अंदर 25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले कै पलारी ब्लॉक में स्थित लच्छनपुर शासकीय माध्यमिक विद्यालय का है। 28 जुलाई को स्कूल में बना मिड डे मील का खाना कुत्ते ने जूठा कर दिया था। ऐसे में बच्चों ने इसकी जानकारी शिक्षकों को दी, मगर मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया और सभी बच्चों को यही खाना परोसा गया।
इस घटना के बाद अभिभावकों ने स्कूल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और सभी बच्चों को एंटी-रैबीज वैक्सीन के 3-3 इंजेक्शन लगाए गए। वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल संतोष कुमार साहू, कलस्टर प्राचार्य औक संबंधित शिक्ष समेत मिड डे मील बनाने वाले स्व-सहायता समूह को निष्कासित कर दिया गया है।
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