केले के एक तने से बनेंगी 20 ईंटें, पानी में भिगाने से होगी मजबूत; पढ़ें कैसे
केले के अनुपयोगी तने से कागज के बाद अब मजबूत और टिकाऊ ईंट भी बनने लगी है। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी (सीएसवीटीयू) के कैमिकल इंजीनियर छात्र करण चंद्राकर ने यह नया प्रयोग किया है। इन ईंटों का परीक्षण किया जा चुका है। अब जल्द ही उत्पादन शुरू किया जाएगा। सीएसवीटीयू ने स्टार्टअप के तहत छह लाख रुपये ग्रांट भी दे दिया है।

टी.सूर्याराव नईदुनिया, भिलाई। केले के अनुपयोगी तने से कागज के बाद अब मजबूत और टिकाऊ ईंट भी बनने लगी है। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी (सीएसवीटीयू) के कैमिकल इंजीनियर छात्र करण चंद्राकर ने यह नया प्रयोग किया है। इन ईंटों का परीक्षण किया जा चुका है। अब जल्द ही उत्पादन शुरू किया जाएगा। सीएसवीटीयू ने स्टार्टअप के तहत छह लाख रुपये ग्रांट भी दे दिया है।
कैमिकल इंजीनियर छात्र करण चंद्राकर ने दावा किया है कि केले के तनों से बनी ईंट इतनी मजबूत होंगी कि आपका घर 60 वर्षों से सुरक्षित रहेगा। जहां सामान्य तौर पर भट्ठे में बनने वाली लाल ईंट की कीमत प्रति ईंट 10 रुपये होती है। उसी तरह केले के तने से बने ईंट भी इसी कीमत पर बाजार में उपलब्ध रहेगी। भविष्य में बड़े पैमाने पर ऐसी ईंटों के बनने से कीमत कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
केले के एक तने से बनाई जा सकती 20 ईंटें
चंद्राकर ने बताया कि केले के एक तने से 20 ईंटें बनाई जा सकती है। इन ईंटों को आग में पकाने की आवश्यकता नहीं होती। पानी में भिगोकर ही बनाया जाएगा। आवश्यकता अनुसार ईंटों को 21 दिन, 51 दिन और 81 दिनों तक पानी में डूबोकर रखा जाता है। दो मजूदरों के माध्यम से डेढ़ लाख मूल्य की साधारण मशीन से ईंट बनाई जा सकेगी। बेमेतरा जिले में तीन हजार एकड़ में केले की फसल ली जाती है। फसल लेने के बाद केले के पेड़ का तना किसी काम का नहीं रहता है, इसलिए किसान भी इसे निश्शुल्क दे रहे हैं।
मिट्टी, चूना और गोबर को मिलाकर बनाया पेस्ट
करण चंद्राकर ने बताया कि केले के तने के रेशा निकालने के बाद जो पानी और अपशिष्ट बचेगा, उसमें मिट्टी, चूना, गोबर को मिलाकर एक पेस्ट बनाया जाएगा। फिर इसे मशीन में डालकर ईंट का आकार दिया जाएगा, जो सामान्य ईंट से बड़ी होगी। पानी में डूबाकर रखने से मजबूती ईंट बनकर तैयार हो जाएगी। करण ने बताया कि केले के तने में मिलने वाले कैल्शियम, पोटेशियम सिलिका, मैग्नीशियम, फास्फोरस और क्लोराइड ईंट को मजबूती प्रदान करेंगे।
ऐसा आया विचार
करण चंद्राकर ने बताया कि क्योंकि वे एक कैमिकल इंजीनियर है, इसलिए उनके मन मस्तिष्क में यह बात आई कि जब गोबर से ईंट बनाई जा सकती है तो केले के तने में ईंट की मजबूती के लिए आवश्यक सारे तत्व उपलब्ध है। ऐसे में उसका उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता। जब प्रयोग सफल रहा तो इसे बनाने का निर्णय लिया है।
ऐसी मिलेगी ईंटों को मजबूती
साधारण ईंट को हवा और पानी में रखा जाए तो वह गल जाती है, जबकि केले के पेड़ के तने से बनी ईंट जैसे ही वातावरण के कार्बन डाइआक्साइड के संपर्क में आएगी तो इसमें उपलब्ध तत्व के माध्यम से कैल्शियम कार्बोनेट बनेगा। इससे ईंट और मजबूत होगी।
डा.आरएन पटेल, डायरेक्टर, सीएसवीटीयू फाउंडेशन फार रूरल टेक्नालाजी एंड एंटरप्रंन्योरशिप (फोरटे) का इस मामले में कहना है, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय द्वारा निधि आईटीबीआई योजना के तहत इस प्रोजेक्ट को सराहा गया है। राशि की स्वीकृति दी गई है। ग्रांट दी गई राशि की वापसी स्टार्टअप के शुरू होने के बाद 7.5 प्रतिशत शेयर सीएसवीटीयू को देना होगा।
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