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    चीन- रूस... कहां तक पहुंचेगी ईरान पर अमेरिका के हमले की तबाही, क्या महंगा होगा पट्रोल-डीजल, भारत की क्या है तैयारी

    अमेरिका के ईरान की तीन खास परमाणु साइटों पर हमले के बाद एक बार फिर स्ट्रेट ऑफ होरमुज के बंद होने की आशंका बढ़ गई है। यह वही जलडमरूमध्य है, जिससे होकर दुनिया के पांचवें हिस्से की तेल और गैस की सप्लाई होती है। हालांकि, भारत के लिए यह रास्ता अहम है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सप्लाई चेन में कोई बड़ी बाधा नहीं आएगी क्योंकि भारत ने हाल के वर्षों में अपनी इस तरह की जरूरत के सोर्स को काफी हद तक मजबूत बना लिया है।

    By Ashish Kushwaha Edited By: Ashish Kushwaha Updated: Sun, 22 Jun 2025 04:53 PM (IST)
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    नई दिल्ली। इस समय दुनिया की धड़कने तेज हैं। इसकी वजह ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव है। उससे ज्यादा टेंशन बढ़ाने वाला फैक्टर 'स्ट्रेट ऑफ होरमुज' है। यह वही संकरी जलधारा है जहां दुनिया का लगभग 20% तेल सप्लाई होता है। ताजा हालात में जब ईरान ने इस अहम समुद्री मार्ग को बंद करने की धमकी दी है, तब पूरी दुनिया की सांसें थमी हुई हैं।

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    लेकिन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश भारत इस बार डरा नहीं है। पिछले कुछ सालों में तेल आयात के सोर्स में किए बढ़े रणनीतिक फैसलों ने भारत को मजबूत किया है। अब भारत में तेल का आयात सिर्फ खाड़ी देशों की मेहरबानी पर नहीं टिका है। बल्कि यह रूस, अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों से सप्लाई की वैकल्पिक व्यवस्था भी पूरी तरह तैयार है।

    तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल भले मची हो, लेकिन भारत का एनर्जी के मामले में अपने रोडमैप को आज इतना संतुलित और रणनीतिक कर लिया है कि दुनिया भर की उथल-पुथल के बीच भी वह कह रहा है कि हम तैयार हैं!

    स्ट्रेट ऑफ होरमुज: यह इतना अहम क्यों है?

    यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी (Persian Gulf) को अरब सागर से जोड़ता है और इसकी चौड़ाई सबसे संकरी जगह पर महज 33 किलोमीटर है। यहां से प्रतिदिन औसतन 20.3 मिलियन बैरल तेल और 290 मिलियन क्यूबिक मीटर एलएनजी का ट्रांसपोर्ट होता है। सऊदी अरब, इराक, यूएई, कुवैत, कतर और ईरान जैसे तेल उत्पादक देशों की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है।

    भारत पर क्या होगा असर?

    समाचार एजेंसी पीटीआई ने वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म Kpler के आंकड़ों के हवाले से बताया कि, भारतीय रिफाइनर जून में 2–2.2 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) रूसी कच्चे तेल का आयात करने की तैयारी में हैं, जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक है। यह मात्रा इराक, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत से संयुक्त रूप से आयात किए जा रहे लगभग 2 मिलियन बैरल प्रतिदिन से अधिक है।

    मई 2025 में रूस से भारत का कच्चे तेल आयात 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहा था। जून में यह बढ़कर 2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है। इसी तरह, अमेरिका से तेल आयात भी मई के 280,000 बैरल प्रतिदिन से बढ़कर जून में 439,000 बैरल प्रतिदिन पहुंच गया है। 1 से 19 जून के बीच, भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 35% हिस्सा रूस से आया।

     

    स्ट्रेट ऑफ होरमुज पर संकट के बीच भारत का रणनीतिक शिफ्ट

    स्ट्रेट ऑफ होरमुज, जिससे होकर भारत अपने करीब 40% कच्चे तेल और लगभग आधे प्राकृतिक गैस का आयात करता है, इस समय ईरान-अमेरिका तनाव के चलते संकट में है। ईरान ने इसे बंद करने की धमकी दी है, लेकिन Kpler का मानना है कि इसके पूरे तरह से बंद होने की संभावना बेहद कम है। Kpler के विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा कि अगर तनाव गहराता है या होरमुज में कोई अल्पकालिक बाधा आती है, तो रूसी तेल की हिस्सेदारी और बढ़ेगी, जिससे भारत को राहत मिलेगी।


    भारत के पास क्या विकल्प हैं?

    यदि होरमुज में आपूर्ति बाधित होती है, तो भारत अमेरिका, नाइजीरिया, अंगोला और ब्राज़ील से आयात बढ़ा सकता है, हालांकि भाड़ा अधिक होगा। भारत के पास 9-10 दिन के आयात जितना रणनीतिक भंडार भी है, जिससे आपूर्ति में तत्काल राहत मिल सकती है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 13 जून को कहा था कि भारत के पास ऊर्जा की पर्याप्त उपलब्धता है और जरूरत पड़ने पर वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसे IOC, BPCL, और HPCL ने कीमतें स्थिर रखकर पहले से ही मार्जिन बनाया हुआ है, जिससे कुछ समय तक दबाव झेला जा सकता है।


    तेल की कीमतें और भारत पर असर

    हमले के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमतें $77 प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यदि तनाव बढ़ा, तो तेल की कीमतें $90 से ऊपर जा सकती हैं। भारत में यदि कीमतें बढ़ीं तो सरकार सब्सिडी या रणनीतिक भंडार से राहत दे सकती है।


    भारत ने आयात नीति में किए फेरबदल

    रूसी तेल, जो सुएज नहर, केप ऑफ गुड होप और प्रशांत महासागर के रास्ते आता है, स्ट्रेट ऑफ होरमुज से स्वतंत्र है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद से रूस भारत को छूट दरों पर तेल उपलब्ध करा रहा है। 2022 से अब तक रूस से भारत का तेल आयात 1% से बढ़कर 40% से अधिक हो चुका है।